
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। हरसूद विधानसभा सीट खंडवा जिले में आती है। पिछले 33 सालों से यहां भाजपा का दबदबा रहा। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर आदिवासी गोंड और कोरकू समाज प्रभावी और निर्णायक मतदाता हैं। किसी भी दल के उम्मीदवार की जीत में ये अहम भूमिका निभाते हैं। 1957 में वजूद में आई यह सीट भाजपा का गढ़ है। 1990 से लगातार यहां पर भाजपा का उम्मीदवार ही जीतता आ रहा है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत 1985 में मिली थी। भाजपा के कुंवर विजय शाह यहां के विधायक हैं। यहां विजय शाह के मुकाबले में कांग्रेस का हर दांव फेल साबित हुआ। 1977 में हरसूद विस क्षेत्र अजजा सीट घोषित हुई। इसके बाद 1985 का एकमात्र चुनाव कांग्रेस जीत पाई। शेष सभी में जनता पार्टी और भाजपा जीती है। इसका मुख्य कारण जमीनी स्तर पर कांग्रेस के संगठन का लगातार कमजोर होने के साथ-साथ सामयिक मुद्दों पर जनता के बीच नहीं जाना है । वहीं भाजपा के संगठन की मजबूती के अलावा विकास बड़ा आधार है। विजय शाह इस सीट से 7 बार विधायक रह चुके है। इस क्षेत्र में विजय भाजपा के पर्याय हैं। भाजपा के एकमात्र अजेय आदिवासी विधायक विजय शाह जब -जब सरकार बनी मंत्री पद संभालते नजर आए हैं। भाजपा के बड़े आदिवासी चेहरे के रूप में विजय शाह जाने जाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि इलाके की जिस सीट से वो चुनाव लड़ेंगे विजय ही होंगे। तो वहीं कांग्रेस की तरफ से पिछली बार चुनाव लड़े सुखराम साल्वे एक बार फिर टिकट की चाह में खड़े हैं। 1990 से अब तक हुए 7 चुनावों में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है, जबकि पिछले 14 चुनावों में 8 बार भाजपा, 3-3 बार कांग्रेस व स्वतंत्र पार्टी हरसूद से विजयी रही। खंडवा जिले के हरसूद विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां 1990 से 2018 तक भाजपा के कद्दावर व 20 साल से मंत्री विजय शाह सात बार से लगातार चुनाव जीतकर अपने विरोधियों को मात देते आए हैं। 1977 व 1980 में क्रमश: सूरजबालू (जनता पार्टी) तथा मोतीमनांग पटेल (भाजपा) से विजयी रहे हैं।
विकास के अपने-अपने दावे
स्थानीय विधायक एवं मंत्री विजय शाह का कहना है कि क्षेत्र में सडक़, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और स्कूल- कॉलेज की सुविधा के वादे पूरे किए हैं। किसानों के लिए खालवा उद्वहन सहित मोरंणा गंजाल सिंचाई परियोजना का काम जारी है। हरसूद माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना पूर्ण हो चुकी है। रोजगार के लिए युवाओं को ट्रेनिंग सहित अन्य -माध्यमों से रोजगार के मुद्दे पर काम जारी है। वहीं कांग्रेस नेत्री नेहा टोनी ठाकुर का कहना है कि इंदिरा सागर बांध परियोजना से डूब प्रभावित पुनर्वास स्थल नया हरसूद के विस्थापितों को भूखंडों पर मालिकाना हक के अलावा रोजगार की उपलब्धता के लिए यहां औद्योगिक विकास नहीं हो सका। क्षेत्र के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन छनेरा के साथ नया हरसूद का नाम जोड़ने के लिए विस्थापित संघर्ष कर रहे हैं। हरसूद क्षेत्र के वोटरों का कहना है कि खालवा क्षेत्र में स्थायी रोजगार का अभाव। हर साल अधिकतर लोग दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करते हैं। खालवा को तहसील का दर्जा मिलने के बाद भी क्षेत्र ग्राम पंचायत में ही सिमटा। यहां नपं बनाने की घोषणा, घोषणा ही रह गई। पुनर्वास स्थल पर वर्षों से छतिग्रस्त ड्रेनेज की समस्या वर्षों से बनी है। यहां एक भी बैंक शाखा नहीं है, ना ही एटीएम है। लोगों को समस्याओं के निराकरण के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं। वर्षों से जमे अधिकारियों की मनमानी चरम पर है।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
हरसूद में मुद्दे आम विधानसभा इलाकों से थोड़ा अलग है। यहां सबसे बड़ा मुद्दा विस्थापितों के पुर्नवास से जुड़ा है। साल 2011 में नर्मदा विकास प्राधिकरण ने इस इलाके को न्यू चंडीगढ़ की तरह बसाने का सपना दिखाया था, लेकिन इस इलाके के लोगों के आज भी अपने डूबे घर का जिक्र रोने पर मजबूर कर देता है। यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। रोजगार की समस्या से जूझ रहा यह इलाका स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ा हुआ है। इन तमाम मुद्दों पर जब राजनैतिक दलों के नुमाइंदों से बात की गई तो दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए।
जातिगत समीकरण
हरसूद विधानसभा सीट एक आरक्षित विधानसभा सीट है। इस सीट पर मुद्दे से ज्यादा जातिगत समीकरण प्रभावी है। यहां आदिवासी गोंड और कोरकू समाज सबसे ज्यादा मतदाता है। यहां कुछ संख्या में सामान्य वर्ग के भी वोट हैं। क्षेत्र में लगभग 2 लाख 17 हजार 9 सौ मतदाता है। इसमें 1 लाख 5 सौ पुरुष एवं 1 लाख 5 हजार 1100 महिला के साथ 4 तृतीय जेंडर मतदाता हैं। यहां सर्वाधिक 90 हजार कोरकू वर्ग के मतदाता हैं। इस वर्ग पर जिसकी पकड़ मजबूत होगी, उसकी स्थति मजबूत मानी जाएगी। इसके अलावा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत और यादव, बंजारा, मुस्लिम वर्ग सहित अन्य मतदाता हैं, जो भाजपा-कांग्रेस के लिए निर्णायक भूमिका में रहेंगे।