
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। उमरिया जिले में 2 विधानसभा सीटें हैं। इस जिले में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता आया है। जिले की मानपुर विधानसभा सीट पर 2003 से भाजपा की मीना सिंह लगातार जीत रही हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल है और आज भी विकास की रफ्तार की बेहत धीमी है।
पार्टियां हर चुनाव के पहले यहां से कुपोषण और बेरोजगारी जैसी समस्या हटाने की बात करती हैं। मगर चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि इन मुद्दों से दूरी बना लेते हैं। मानपुर की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। रोजगार के साधनों के अभाव में इलाके में पलायन थम नहीं पा रहा है। स्कूली शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा की भी हालत खराब है। इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल हैं। कुपोषण को लेकर स्वास्थ्य अमला नाकाम साबित हो रहा है । मानपुर में किसान भी परेशान नजर आता है। मानपुर विधानसभा की सियासत में हर चुनाव में दिलचस्प समीकरण बनते हैं। इस सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है और कांग्रेस आगामी चुनाव में विधायक की नाकामियों को लेकर उतरने के लिए तैयार है। मगर सवाल है कि यदि इस बार वह सही उम्मीदवार चयन में नाकाम रही तो उसके मप्र में सरकार बनाने के इरादे का क्या होगा?
विकास के अपने-अपने दावे
क्षेत्र के विकास को लेकर अपने-अपने दावे हैं। विधायक, और जनजातीय कार्य विकास मंत्री मीना सिंह का कहना है कि मानपुर में शिक्षा, सडक़ और अन्य विकास कार्यों पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कुछ ऐसे मार्ग भी बनवाए जिनके निर्माण में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ी। उमरिया से बरही तक के मार्ग को तीन मीटर चौड़ा बनाने की शर्त पर निर्माण की अनुमति दी गई और यह बजट भी आधा रह गया। पाली में कोयला खदानों को स्वीकृति मिली है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। उनका कहना है कि विधायक निधि के तहत 225 करोड़ रुपये की लागत से सोन नदी पर बनी इंदवार जल परियोजना, 66 गांवों तक पहुंचा पानी, 50 करोड़ रुपये की लागत से जुहेला नदी पर बनी मानपुर पेयजल योजना 120 गांव लाभान्वित, 84 करोड़ रुपये का लागत से मानपुर से शहडोल तक सीसी सडक़, 10 करोड़ रुपये की लागत से बने मानपुर और पाली दो आइटीआई, 30 करोड़ रुपये से बना कन्या शिक्षा परिसर, इसके अलावा मानपुर में कालेज, भवन, केलहारी घाट का पुल, रायपुर – पाली मार्ग पर पुल, सोन नदी पर खरनोंदी – मझौली मार्ग पर पुल निर्माण और सोन नदी पर बलहोर- पोंडी पुल का निर्माण हुआ है। वहीं कांग्रेस नेता और निकटतम प्रतिद्वंद्वी ज्ञानवती का कहना है कि विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल पर बेहतर नियोजन के साथ कार्य किया जाए तो न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बांधवगढ़ नेशनल पार्क पहुंचने वाले विदेशी मेहमानों का हम जितना बेहतर ध्यान रखेंगे, लोगों को उतना लाभ होगा। सरसवाही सहित कई क्षेत्र हैं जहां वर्षा काल में सडक़ मार्ग बाधित हो जाता है।
जातिगत समीकरण
मानपुर विधानसभा सीट का 2006 में परिसीमन के बाद गठन हुआ था। इस सीट पर 2 लाख 23 हजार मतदाता हैं। इस सीट पर 38 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं। मानपुर विधानसभा पर जीत का परचम लहराने के लिए रणनीतियां बनने लगी हैं। विधानसभा के पहले ही बीजेपी को तगड़ा झटका लगा क्योंकि, भाजपा नेता रहे और जनपद पंचायत मानपुर के अध्यक्ष रामकिशोर चतुर्वेदी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। अब चुनाव नजदीक हैं तो टिकट के दावेदार भी सामने आने लगे हैं। बात बीजेपी की करें तो वर्तमान विधायक मीना सिंह ही सबसे आगे नजर आ रही हैं। क्योंकि मीना सिंह के अलावा बीजेपी में कोई प्रबल दावेदार दिखाई नहीं दे रहा है। हांलाकि दो बार से जिला पंचायत सदस्य मौजीलाल चौधरी बीजेपी से विधायक की टिकट की आस में हैं और दावेदार भी। कांग्रेस की बात करें तो बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में आए जनपद अध्यक्ष रामकिशोर चतुर्वेदी भी दावेदारों की लिस्ट में हैं, तो वहीं जिला पंचायत सदस्य तिलकराज सिंह भी दावेदार के रूप में सामने हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी से दो बार विधायक प्रत्याशी रहीं शकुंतला प्रधान का नाम भी दावेदारों में आगे है। जिला पंचायत सदस्य अमरु कोल भी कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे हैं।
मानपुर के मुद्दे
मानपुर विधानसभा के मुद्दों की बात करें तो उमरिया जिले के इस इलाके में आज भी विकास की रफ्तार काफी सुस्त नजर आती है। पार्टियां हर चुनाव के पहले यहां से कुपोषण और बेरोजगारी जैसी समस्या हटाने की बात करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि इन मुद्दों से दूरी बना लेते हैं। मानपुर विधानसभा सीट की कागजों में तो सरकारी योजनाएं दौड़ती हैं, लेकिन धरातल पर दिखाई नहीं देती। एक नहीं कई समस्याओं से घिरा नजर आता है मानपुर। सिंचाई सुविधाओं के अभाव में किसानों के खेत प्यासे नजर आते हैं। सिंचाई के लिए ग्यारह करोड़ की लागत से बना भदार जलाशय भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। जलाशय का पानी नहरों तक तो जाता है , लेकिन किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता। ये वो समस्याएं हैं ,जिनसे जूझ रही है मानपुर की जनता। बड़ेरी गांव में चाय दुकान पर बैठे प्रीतम पटेल बताते हैं कि यह सडक़ छह मीटर चौड़ी बननी थी लेकिन नेशनल पार्क के बीच से गुजरने के कारण मार्ग की चौड़ाई वन विभाग ने नहीं बढऩे दी। क्षेत्र के कुछ अन्य हिस्सों में सडक़ और पुल-पुलिया निर्माण नहीं होने की शिकायत भी लोग करते हैं। भाजपा की मीना सिंह इस क्षेत्र से चौथी बार विधायक हैं और जनजातीय कार्य विकास विभाग की मंत्री हैं। उन्होंने शिक्षा और जल परियोजनाओं सहित कई क्षेत्रों में कार्य किए हैं लेकिन विश्व स्तरीय पर्यटन क्षेत्र के विकास को लेकर उनका कोई विशेष कार्य नजर नहीं आता। वन क्षेत्र के ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां हर दूसरे घर में पार्क में सफारी कराने वाली जिप्सियां हैं।