अकड़ मिजाज भूपेंद्र सिंह पर सबको गुस्सा क्यों आता है?

 भूपेंद्र सिंह

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की राजनीति में प्रदेश के नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह इकलौते ऐसे नेता हैं जिनकी न तो विपक्षी नेताओं से पटरी बैठती है और न ही अपनों (भाजपाईयों)से। दरअसल भूपेंद्र सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे किसी को भाव (महत्व) नहीं देते हैं। हमेशा अकड़ मिजाज में रहने वाले भूपेंद्र सिंह की अति महत्वाकांक्षा उन पर अब भारी पड़ने लगी है। पहले उन्हीं के जिले के दो मंत्रियों (गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत) तथा विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला, फिर कांग्रेस ने उन्हें भ्रष्टतम मंत्री बताकर लोकायुक्त में उनके खिलाफ शिकायत कर दी थी। मप्र कांग्रेस की शिकायत पर लोकायुक्त ने भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर दी है। लोकायुक्त ने उनके खिलाफ पीई दर्ज की है।
गौरतलब है कि मप्र कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया और कांग्रेस के आरटीआई प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पुनीत टण्डन ने इस संबंध में शिकायत की थी। कांग्रेस नेताओं ने हाल ही में पीसीसी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह पर चुनाव आयोग में प्रस्तुत उनके शपथ पत्रों, एडीआर रिपोर्ट और खसरा अभिलेखों के आधार पर अनुपातहीन संपत्ति होने के आरोप लगाए थे। कांग्रेस नेताओं की इस शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच क्रमांक 00३5/ई/ 202३-24 के मामले में पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त से 8 अगस्त तक जांच रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस नेताओं ने मंत्री भूपेंद्र सिंह पर यह भी आरोप लगाया था कि उनके और उनके परिवारजनों ने 10 साल के भीतर लगभग 46 करोड़ की अकूत संपत्ति अर्जित की है। ये भी कहा था कि आश्चर्यजनक रूप से वर्ष 2018-19 में लगभग 7 करोड़ रूपये वार्षिक आय होने संबंधी रिटर्न प्रस्तुत करना भी अर्जित अनुपातहीन एवं आय से अधिक संपत्ति को दर्शाता है।
मंत्री की मनमानी पड़ रही है भारी
जानकारों का कहना है कि मंत्री भूपेंद्र सिंह की मनमानी उन पर ही भारी पडऩे लगी है। भूपेंद्र सिंह को सीएम शिवराज सिंह चौहान का बेहद करीबी माना जाता है। ऐसे में वे ने केवल सागर जिले में बल्कि सत्ता और संगठन में भी अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं। यही नहीं वे विपक्ष के नेताओं को भी दबाव में रखने की कोशिश करते रहते हैं। यही वजह है कि जब कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई थी तो उसने भूपेंद्र सिंह के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलवाया था। वहीं अब उनकी मनमानी से उनकी पार्टी के नेता भी उनके खिलाफ हो गए हैं। आरोप है की भूपेंद्र सिंह जिले के नेताओं के खिलाफ लगातार मुहिम चलाते रहते हैं। वहीं सागर में ओबीसी की राजनीति के चलते भूपेंद्र सिंह की गोपाल भार्गव व गोविंद सिंह राजपूत के बीच खाई’ ज्यादा बढ़ गई। भूपेंद्र सिंह को केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का साथ है। गोपाल भार्गव को गोविंद सिंह राजपूत का साथ मिला है। भूपेंद्र सिंह दांगी हैं, जबकि गोविंद सिंह राजपूत हैं। प्रह्लाद पटेल के खेमे में शक्ति बाबू सिंह के भतीजे सरबजीत सिंह ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। उसे भूपेंद्र सिंह का भी समर्थन था।
सरबजीत सिंह ने गोविंद सिंह के भतीजे अरविंद सिंह को 5 हजार से अधिक वोटों से हराकर यह चुनाव जीता था। यही नहीं गोविंद सिंह राजपूत जब कांग्रेस में थे, तब से ही उनके खिलाफ सुरखी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से चुनाव लड़ने की तैयारी राजकुमार सिंह धनौरा कर रहे थे। उनकी सागर सांसद राजबहादुर सिंह से रिश्तेदारी है। ऐसे में भूपेंद्र सिंह का हमेशा राजकुमार को समर्थन रहा है। माना जा रहा है की पिछले दिनों गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ जमीने हड़पने का जो अभियान चलाया गया था, उसमें भी भूपेंद्र सिंह का ही हाथ था। इसलिए भूपेंद्र के खिलाफ उनके जिले के नेता एकजुट हो गए हैं।
कांग्रेस ने ये आरोप लगाए
– भूपेंद्र सिंह की पत्नी सरोज सिंह के नाम अचल संपत्तियों में साल 2008 में सागर में एक करोड़ का दीपाली होटल, साल 201३ में इसी होटल में 50 प्रतिशत भागीदारी और साल 2018 में ३३.27 करोड़ रुपए की संपत्ति दिखाई गई है। स्पष्ट है कि भूपेंद्र सिंह की पत्नी सरोज सिंह की अचल संपत्ति में साल 2008-09 से साल 2018 के बीच करीब ३३ गुना की बढ़ोतरी दिए गए शपथ पत्रों में दिख रही है।
– चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्रों से यह नजर आता है कि सरोज सिंह का होटल दीपाली और साल 201३ के बाद शुरू हुए दीपाली ऑटोमोबाइल नाम के प्रतिष्ठान के अतिरिक्त अन्य आय का साधन नहीं हैं। यदि भौतिक रूप से सागर जिले में स्थित दीपाली होटल और उसके साथ संलग्न मैरिज हॉल, एक्टेंशन होटल, प्ले जोन आदि का मूल्यांकन विशेषज्ञों के माध्यम से किया जाए, तो यह संपत्ति करीब 200 करोड़ से अधिक की है। इससे स्पष्ट होता है कि सरोज सिंह और उनके भागीदार भूपेंद्र सिंह ने अर्जित अनुपातहीन धन को दीपाली होटल और उसके साथ ही संलग्न संपत्तियों के निर्माण में खर्च कर करोड़ों के आयकर में हेराफेरी कर मनी लॉन्ड्रिंग भी की गई है।
– साल 2018 में भूपेंद्र सिंह के नामांकन के साथ दिए शपथ पत्र के अनुसार उनकी पत्नी सरोज सिंह को विभिन्न दान-पत्रों व रजिस्टर्ड विक्रय पत्रों के माध्यम से 1३ जून 2014, 07 मार्च 2015 और 2३ दिसंबर 2016 को करीब 1.06 हेक्टेयर भूमि /वाणिज्यिक भूमि और 60,6३2 वर्ग फीट पर निर्मित भवन व कार्यालय की संपत्ति मिलना बताया है। जबकि साल 2008, साल 2009 व साल 201३ के शपथ पत्र में सिर्फ होटल दीपाली में 50 प्रतिशत भागीदारी दिखाई गई है। इससे स्पष्ट है कि साल 201३ से साल 2018 के बीच सरोज सिंह की संपत्ति में कई गुना वृद्धि हुई है। यदि सरोज सिंह के नाम दान में मिले आवास, सह कार्यालय का भौतिक मूल्यांकन किया जाए, तो यह सागर स्थित संपत्ति का वर्तमान मूल्य करीब 15 से 20 करोड़ के आसपास है।
– चुनाव आयोग के समक्ष समय-समय पर दिए गए शपथ पत्रों से स्पष्ट है कि भूपेंद्र सिंह की अचल संपत्तियों में साल 2008 में 1.10 करोड़ रुपए, साल 2009 में 1.40 करोड़ रुपए, साल 201३३ में ३.57 करोड़ और साल 2018 में 7.67 करोड़ कीमत दिखाई गई है। स्पष्ट है कि लोकसेवक के पद पर रहते हुए भूपेंद्र सिंह की अचल संपत्ति में कई गुना की वृद्धि हुई है। इसी तरह उनकी चल संपत्तियों में साल 201३ में 1.३0 करोड़ और साल 2018 में 2.86 करोड़ दर्शाए गए हैं, जो कि पांच साल के दौरान करीब दोगुना से अधिक की वृद्धि है। यह गंभीर सवाल खड़े करता है।
– कांग्रेस का ओराप है कि चुनाव आयोग के समक्ष समय-समय पर प्रस्तुत शपथ पत्रों से स्पष्ट है कि साल 2008 व 2009 में मंत्री भूपेन्द्र सिंह के पास ग्राम बामोरा जिला सागर में 10 एकड़ कृषि भूमि 50 लाख रूपये की थी, जो साल 201३ में मात्र 1.३7 एकड़ जिसकी कीमत 19.25 लाख दिखाई गई है। साल 201३ से साल 2018 के बीच भूपेन्द्र सिंह को विरासत में 5.71 हेक्टेयर और 0.22 हेक्टेयर जमीन मिलना बताया गया है जिसकी अनुमानित कीमत 1.29 करोड़ रूपए बताई गई है। इसकी जांच करने की जरूरत है।
– साल 2018 के नामांकन शपथ पत्र से स्पष्ट है कि भूपेन्द्र सिंह की आश्रित पुत्रियों को ३.22 और ३.22 हेक्टेयर भूमि 24.07.2018 और ३0.07.2018 को मिली है, जिनका भुगतान सरोज सिंह पत्नी भूपेन्द्र सिंह द्वारा करना दिखाया गया है। इससे स्पष्ट है कि सरोज सिंह द्वारा वर्ष 201३ से 2018 के बीच बेटियों के नाम अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की गई है।
अब लोकायुक्त के निशाने पर भूपेंद्र
कांग्रेस के साथ ही भाजपा नेताओं के निशाने पर आए नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह अब लोकायुक्त के निशाने पर आ गए हैं।  मप्र कांग्रेस की शिकायत पर लोकायुक्त ने भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर दी है। लोकायुक्त ने उनके खिलाफ पीई दर्ज की है। गौरतलब है कि मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया और कांग्रेस आरटीआई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पुनीत टंडन ने ३0 मई को भोपाल स्थिति प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने मंत्री भूपेंद्र सिंह और उनके परिवार पर 2008 से 2018 के बीच बेहिसाब संपत्ति एकत्रित करने के आरोप लगाए थे। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि साल 2018 के बाद भी मंत्री भूपेंद्र सिंह, उनके परिवार और रिश्तेदारों ने आय से अधिक संपत्ति एकत्रित की। कांग्रेस ने 2008 के विधानसभा चुनाव, 2009 के लोकसभा चुनाव, 201३ के विधानसभा चुनाव और 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेंद्र सिंह के चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्रों की जानकारी दी। साथ साल 201३ और 2020 में प्रकाशित एडीआर रिपोट्र्स को भी अपने आरोपों का आधार बनाया।

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