कैसे हो चार माह में उत्पादन शुरू, नौ माह में ईंट तक नहीं रखी

 अल्ट्रा सोलर मेगा पॉवर

-ओंकारेश्वर का अल्ट्रा सोलर प्रोजेक्ट का मामला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र के ओंकारेश्वर में लगाया जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा अल्ट्रा सोलर मेगा पॉवर प्रोजेक्ट अफसरों की लापरवाही की वजह से नौ माह बाद भी शुरु  नहीं हो पाया है। हालात यह है कि इसके लिए अभी वन एवं पर्यावरण की अनुमति मांगी जा रही है। दरअसल प्रदेश के वन विभाग ने मांगी गई अनुमति पर आपत्ति लगा रखी है, जिसकी वजह से अब इस मामले मेें ऊर्जा विभाग द्वारा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अब अनुमति मांगी गई है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने  बीते साल अगस्त माह में इस प्रोजेक्ट के लिए तीन निजी कंपनियों से अनुबंध किया था, जिसके तहत इस साल सितम्बर तक पहले चरण में 278 मेगावॉट बिजली  उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया था। दरअसल ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्लांट परियोजना 600 मेगावॉट क्षमता की तय की गई है। इस प्रोजेक्ट में एनएचडीसी सहित चार कंपनियों ने तीन हजार करोड़ का निवेश करने का करार किया है। अनुबंध के अनुसार पहले चरण में 278 मेगावॉट का प्रोजेक्ट है। इसके निर्माण के लिए पहले चरण में 300 मेगावॉट क्षमता के लिए निविदा नवंबर 2021 में जारी की गई थी। प्रोजेक्ट से तैयार होने वाली 600 मेगावॉट बिजली राज्य सरकार की पॉवर कंपनी एमपीएमसीएल द्वारा खरीदी जाएगी।  इसका निर्माण ओंकारेश्वर बांध के पास प्रस्तावित है। इसके तहत सर्विस स्टेशन, पेनल और सब स्टेशन बनाने का काम किया जाना है। इसके अलावा डेम के बाहर सोलर के लिए बड़े-बड़े पेनल लगाए जाने हैं। इसके ऊर्जा विभाग को 30 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है। बांध के आस- पास सभी जमीन वन भूमि है।
वन भूमि का फंसा पेंच
इस मामले में वन भूमि का पेंच तब आया जब, अनुबंध के अनुसार कंपनियां प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए जमीन पर पहुंचीं। जैसे ही कंपनियों द्वारा वहां पर जमीन की फेंसिंग का काम शुरू किया गया , तभी वन विभाग के अमले ने आकर बोर्ड लगा दिया, जिसमें लिखा हुआ था कि ये वन भूमि है, जो संरक्षित वन में आती है। इसमें किसी प्रकार से निर्माण करना गैर कानूनी है। ऊर्जा विभाग द्वारा इस संबंध में जब स्पष्टीकरण मांगा गया तो डीएफओ ने 50 वर्ष से अधिक समय का रिकॉर्ड सामने रख दिया गया। दरअसल प्रोजेक्ट प्लान में जहां सब स्टेशन सहित अन्य निर्माण कार्य किया जाना है। उसे कलेक्टर ने राजस्व भूमि बताई थी। अब वन विभाग द्वारा उसे वन भूमि बताए जाने से सब स्टेशन बनाने सहित अन्य निर्माण कार्यों को रोकना पड़ गया है।  

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