यस एमएलए/सिंचाई के लिए महाराष्ट्र की नहरों पर निर्भर

विधानसभा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।  बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा सीट प्रदेश की सीमावर्ती सीट है। यहां से महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर लगे हुए हैं। लांजी प्रदेश की सबसे संवेदनशील सीटों में से एक है। ये इलाका नक्सल प्रभावित है। कोटेश्वर धाम और लांजी का किला इस क्षेत्र की पहचान है। दोनों ही ऐतिहासिक स्थान हैं। लांजी में विकास तो खूब हुआ है, लेकिन आज भी सिंचाई को लेकर लांजी क्षेत्र का बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र की नहरों पर निर्भर है। अधिकांश नहरें जर्जर हैं। लांजी विधानसभा क्षेत्र के चारों ओर चमचमाती सडक़ें और बाघ नदी सहित कई नालों पर निर्माणाधीन पुल दिखाई पड़ते हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए यहां की विधायक और कमल नाथ सरकार के दौरान विधानसभा उपाध्यक्ष रहीं हिना कांवरे की सक्रियता नजर आती है।  
लांजी विधानसभा सीट से अभी कांग्रेस की हिना लिखीराम कांवरे विधायक हैं। 2018 और 2013 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा के रमेश भटेरे को शिकस्त दी थी। कांद्रीकला के मनोहर सहारे का कहना है कि हिना कांवरे ने नक्सल प्रभावित गांव भानेगांव, किरनापुर, साडरा, बहेला आदि में बिजली, पानी, सडक़ की सौगात दी है। सुनार काकोड़ी के रामचंद्र निन्होरे ने बताया कि विधायक ने सोन नदी, देव नदी, बाघ नदी पर ऊंचे पुल निर्माण का वादा किया और इन्हें पूरा करवा रही हैं। कुछ लोग लांजी की लचर स्वास्थ्य सेवा को लेकर नाराज हैं। संदीप सिंह ने बताया कि हिना कांवरे का गृहग्राम किरनापुर है। यहां 30 बिस्तर के अस्पताल भवन अब बन पाया है।
अपने-अपने दावे
कांग्रेस विधायक हिना लिखीराम कांवरे का कहना है कि डबल मनी घोटाले का मामला सदन में कई बार उठाया, लेकिन सरकार की नींद नहीं खुली। पैसा वापस लेने के लिए कानून का सहारा लेना पड़ेगा। 2019-20 में जब लोग अपना पैसा बगैर सोचे-समझे लगा रहे थे, अगर सरकार उस समय ध्यान दे देती तो लोगों के हजारों करोड़ रुपये बच जाते।  वहीं भाजपा नेता डा. वेदप्रकाश का कहना है कि लांजी के लगभग हर घर का पैसा दोगुना करने की चाहत में डूब गया है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने लोगों के पैसे वापस दिलवाने के लिए अपने स्तर पर कोई प्रयास नहीं किए। सडक़ बनाना, पुल-पुलिया बनाना सरकार की जिम्मेदारी है, इसके लिए प्रदेश सरकार राशि दे रही है। लोग उपचार कराने गोंदिया और बालाघाट जाने पर मजबूर हैं। लांजी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। शर्मा का आरोप है कि क्षेत्र में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। लांजी में उद्योग-धंधों का अभाव है और लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने मजबूर हैं। लांजी और आसपास के गांवों के लगभग 25 से 30 हजार लोग खरीफ की फसलों की बुवाई और कटाई के समय आते हैं। बाकी समय हैदराबाद पहुंचकर मजदूरी कर रहे हैं। हैदराबाद के लिए लांजी से प्रतिदिन सात बसें चलती हैं। प्रीतम डेकाटे ने बताया कि लांजी के बोलेगांव से शुरू हुआ पैसा दोगुना करने का खेल वर्ष 2021 में अपने चरम पर पहुंचा। इसके चक्कर में लोगों ने खेती करनी बंद कर दी थी। सडक़ों पर चार पहिया वाहनों की संख्या बढ़ गई थी और लोगों में महंगी कार खरीदने की होड़ लगी थी। पैसा दोगुना करने का झांसा देने का काम लगभग नौ वर्षों तक चला। खजरी के मुकेश कुमार कहते हैं कि 10 आरोपित जेल में हैं। मास्टरमाइंड सोमेंद्र बोलेगांव का निवासी है। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष और हिना कावरे से चुनाव में पराजित प्रत्याशी रमेश भटेरे रहते हैं। लांजी के विवेक जोशी सहित कई लोगों का कहना है कि रमेश भटेरे ने सोमेंद्र को काफी रुपये दिए थे और राजनीतिक प्रभाव के चलते छापामार कार्रवाई के पहले उससे वसूल भी लिए।
जातिगत समीकरण
इस इलाके में जातिगत समीकरण अहम हैं। यहां के चुनावी समर में जातिगत समीकरण को साधने के लिए राजनीतिक दलों को अच्छी खासी मशक्कत करना पड़ती है। लांजी सीट पर आदिवासी समाज के 30 फीसदी वोट हैं तो वहीं , मरार जाति के 30 फीसदी वोट हैं और लोधी समाज के भी करीब 20 फीसदी वोट हैं। यहां से विधायक हिना कांवरे मरार वर्ग से आती हैं।
सियासी मिजाज
लांजी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का लंबा एकाधिकार रहा लेकिन, पिछले तीस सालों में यहां का राजनैतिक दृश्य बदला है यहां जनता ने कभी कांग्रेस के उम्मीदवार को चुना तो कभी बीजेपी प्रत्याशी को तो कभी निर्दलीय पर भी भरोसा जताया है। यहां कांग्रेस और बीजेपी के अलावा जीजीपी प्रत्याशी भी मैदान संभालते हैं। जीजीपी उम्मीदवार दोनों ही दलों की जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। अब तक इस सीट पर हुए 14 चुनावों में 6 बार कांग्रेस तीन बार निर्दलीय दो बार बीजेपी का परचम लहराया.. तो वहीं एक बार प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी एक बार छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार भी जीता।
सियासी समीकरण
लांजी में जातिगत समीकरण, चेहरा और मुद्दे इन तीनों ही चीजों पर सियासी समीकरण बनते और बिगड़ते हैं। यहां से वर्तमान में कांग्रेस की हिना कांवरे विधायक हैं। 2018 में हिना कांवरे विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रही हैं। यहां दोनों ही दलों के बीच मुकाबला काफी करीबी रहता है। ऐसे में जीजीपी की भी बड़ी अहम भूमिका होती है।  जीजीपी यहां से चुनाव लडक़र जीत भले न पाए लेकिन हराने में अहम भूमिका निभाती है। साल 2018 में जीजीपी को करीब 5 हजार वोट मिले थे तो वहीं बसपा को भी 5 हजार 500 से ज्यादा मत मिले थे।
मुद्दे…
लांजी विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा डबल मनी है। यहां पैसा दोगुना करने के नाम पर शुरु हुए इस अवैध कारोबार में 2 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। लांजी के रहवासियों के साथ-साथ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के भी लोगों का पैसा लगा हुआ था। फर्जीवाड़ा उजागर हुआ तो धंधा बंद हो गया और लांजी के रहवासियों की गाढ़ी कमाई डूब गई। लिहाजा हर आदमी यहां परेशान है। लांजी सीट पर रोजगार भी बड़ा मुद्दा है। नौकरी की तलाश में यहां के 40 से 60 फीसदी तक लोग पलायन करते हैं। डबल मनी के मामले में कांग्रेस का आरोप है कि आरोपियों के बीजेपी जिलाध्यक्ष रमेश भटेरे से संबंध हैं, लिहाजा भटेरे की राह भी आसान नहीं है।

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