
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। नर्मदा के तट पर बसा गोटेगांव स्वर्ण राज का एक प्राकृतिक रूप से समृद्ध, बहुत भव्य मंदिर है । राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तपोस्थली की वजह से देशभर में यह प्रसिद्ध है। इसके बाद भी यह क्षेत्र शहरी विकास की दौड़ में शामिल नजर नहीं आता है, परंतु क्षेत्र के गांवों का रुख करें तो चिंताजनक स्थिति ही दिखाई देती है। बिजली, पानी, सडक़, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं तक नहीं हैं। सिंचाई के बेहतर इंतजाम का अभाव है। कुछ गांवों में सडक़ों की हालत ऐसी है कि चुनाव के दौरान मतदाता रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा तक दे चुके हैं। आदि शंकराचार्य की तपोस्थली व ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का परमहंसी आश्रम इसी विधानसभा क्षेत्र में है। इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति विधायक हैं। विधानसभा क्षेत्र के बगासपुर गांव में रहने वाले लीलाधर अहिरवार (62) ने बताया कि खुद की एक इंच जमीन तक नहीं है। सरकारी जमीन से उन्हें यह झोपड़ी हटानी पड़ेगी, क्योंकि वहां कालेज बनने वाला है। अकेले लीलाधर ही गरीबी की मार नहीं झेल रहे। इसी गांव के कमल ठाकुर का कच्चा मकान वर्षा में ढह गया था। उन्हें पड़ोसी ने घर में जगह दी है। यहां से कांग्रेस विधायक एनपी प्रजापति विकास न होने के लिए राज्य सरकार को दोष देते हैं, जबकि वे खुद कमलनाथ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष ही नहीं इसके पहले भी वे मंत्री भी रह चुके हैं। वे इस क्षेत्र से तीन बार विधायक रहने के बाद भी विकास नहीं करा सके। क्षेत्र की उनके द्वारा की गई अनदेखी की वजह से इस बार उनकी राह आसान नहीं है।
दावे प्रतिदावे
विधायक का दावा है कि उनके द्वारा 589 करोड़ रुपये की माछारेवा सिंचाई योजना स्वीकृत करवाई गई है, जिससे 36 गांवों में पाइपलाइन से सिंचाई का पानी पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा बरेहटा, करकबेल अस्पतालों में 12-12 लाख रुपये की लागत से सुविधायुक्त वार्डों का निर्माण करवाने के अलावा अस्पतालों को चार एंबुलेंस दिलवाईं गईं तथा प्राथमिक, माध्यमिक व मिडिल स्कूलों में 27 शेडों के लिए राशि स्वीकृत भी की गई है। इसके उलट भाजपा नेता और पूर्व विधायक कैलाश जाटव का कहना है कि विधायक रहते मैंने जिन विकास कार्यों की आधारशिला रखी थी, विधायक एनपी प्रजापति ने उनका केवल उद्घाटन किया। बायपास पर मैंने पुल का निर्माण प्रारंभ कराया था, जिसे वे पूरा नहीं कर पाए। भ्रष्टाचार, घोटाले और ट्रांसफर में भ्रष्टाचार के अलावा उनकी कोई उपलब्धि हो तो, बता दें। जुआ, सट्टा खुलेआम चल रहा है।
सहकारी शुगर मिल की जरूरत
किसानों ने बताया कि नरसिंहपुर जिला गन्ना उत्पादन में अग्रणी है परंतु , यहां सहकारी शुगर मिल की स्थापना तक नहीं हो सकी । अभी चार निजी शुगर मिलें हैं , परंतु किसानों को गन्ना के अच्छे दाम नहीं मिल पाते। जनप्रतिनिधि भी शुगर मिलों पर दबाव नहीं बना पाते हैं। यदि सहकारी शुगर मिल की स्थापना हो जाए तो गन्ना के अच्छे दाम मिल सकते हैं। जिले में 65 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है।
सरकारी तंत्र से शिकायत
सरकारी कामकाज (खासकर राजस्व, पंचायत व पुलिस) में भ्रष्टाचार से जनता नाराज है। श्यामलाल चौधरी ने कहा कि डेढ़ माह से राशन नहीं मिल रहा है। सुनीताबाई ठाकुर को पीएम आवास के लिए पंचायत के जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के चक्कर लगवाना पड़ रहे हैं। हरि सिंह को पीएम आवास नहीं। लोचन सिंह को पीएम आवास मिला परंतु परिवार को निस्तार के लिए खेतों में जाना पड़ता है। सोनम ठाकुर, सोना ठाकुर, नवियाबाई पीएम आवास व शौचालय योजना में नाम जुड़वाने के लिए कई साल से चक्कर लगा रही हैं।
यह हैं जातिगत समीकरण
आरक्षित सीट गोटेगांव में अजा -जजा और कुर्मी वोटर प्रत्याशी की हार जीत में निर्णायक साबित होते रहे हैं। वैसे यहां लोधी, कोटवार और कुर्मी वोटर भी पर्याप्त संख्या में हैं जो राजनीतिक धु्रवीकरण के बीच अपनी वजनदारी साबित करते हैं। अगर इस सीट का इतिहास देखें तो यहां का मतदाता किसी भी पार्टी पर ज्यादा देर तक विश्वास नहीं करता है। यही वजह है कि हर चुनाव में यहां के मतदाता अपने जनप्रतिनिधि को बदल देते हैं। मगर यह भी दिलचस्प है कि गोटेगांव विधानसभा आदिवासी बाहुल्य होने के बावजूद यहां की जनता सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के ही प्रत्याशी को अपना जनप्रतिनिधि चुनती आई है। यहां से मौजूदा विधायक होने के नाते एनपी प्रजापति कांग्रेस से दावेदार हैं तो वहीं भाजपा से पूर्व विधायक कैलाश जाटव की दावेदारी बनी हुई है।
बन सकता है पर्यटन केन्द्र
इस इलाके में झोतेश्वर मंदिर, लोधेश्वर मंदिर, हनुमान टेकरी, चट्टान, शिवलिंग बने हैं। यह एक ऐसा स्थान है जब जगतगुरु शंकराचार्य हर्षित और द्वारकाधीश पीठाधीश्वर सरस्वती महाराज ध्यान और पूजा करते थे। बसंत पंचमी के अवसर पर, 7 दिनों का मेला आयोजित किया जाता है। यही नहीं गोटेगांव से 12 किमी दूर जीवनदायिनी नदी ‘माँ नर्मदा’ में झांसी घाट है। इसके बाद भी एनपी प्रजापति सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद भी पर्यटन के रुप में इलाके को विकसित नहीं कर सके।