
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बैतूल जिले की मुलताई विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ का प्रभाव माना जाता है। यही वजह है कि इस सीट पर बीते चुनाव में कांग्रेस के सुखदेव पांसे दोबारा विधायक बनने में सफल रहे थे। क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए पांसे की पहचान पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के बेहद करीबी के रूप में भी होती है। इसकी वजह से ही वे कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल किए गए थे, लेकिन उसके बाद भी इलाके में कोई खास विकास काम नहीं करा सके। इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस के बीच ही अधिकांश बार मुकाबला होता है, लेकिन बीच में किसान नेता के रुप में जरुर दो बार डॉ. सुनीलम को जीत मिली थी, लेकिन उसका कारण रहा था यहां पर हुआ किसानों पर गोली चालन, जिसमें करीब आधा दर्जन किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद ही यहां की राजनैतिक तासीर बदल गई थी। अगर मौजूदा विधायक पांसे की बात की जाए तो वे पहली बार 2003 में विधायक बने थे। इसके बाद 2018 में कांग्रेस की सरकार बनते ही पीएचई मंत्री बने। 15 महीने तक मंत्री रहने के बाद भी उनके अधिकतर बड़े वादे फाइलों से बाहर नहीं निकल सके। इसकी वजह से अब भी इस क्षेत्र के लोग चहुंमुखी विकास हो या फिर सूर्यपुत्री मां ताप्ती के उद्गम स्थल के सुंदरीकरण की बात, मोही में नया औद्योगिक क्षेत्र बनने से बड़े स्तर पर रोजगार मिलने का सपना, पूरे होने का इंतजार ही कर रहे हैं। मुलताई तहसील मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर ग्राम आष्टा में चौपाल पर बैठे ग्रामीण खेतों में पानी न पहुंचाने का दोषी पांसे को ही बताते हैं। किसान गुलाबराव देशमुख कहते हैं कि हमें तो नेताओं पर अब भरोसा ही नहीं रहा। ग्रामीण भोजू पाटनकर, प्रहलाद गलफट, बोले कि पांसे के मंत्री बनने पर लगा था कि खेतों को पानी मिलेगा, पर कुछ नहीं हुआ। परसोड़ी, धाबला, बलेगांव के किसान भी नाराज ही दिखे।
मुलताई का जातिगत समीकरण
इस सीट पर कुनवी और पंवार मतदताओं को बोलबाला हमेशा से रहा है। इसकी वजह है इन दोनों ही जातियों के मतदाताओं की बहुलता। इस सीट पर जहां कुनबी समाज के 35 फीसदी मतदाता है तो वहीं, पंवार समाज के मतदाताओं की संख्या 25 फीसदी है। यही वजह है कि कांग्रेस व भाजपा इन दोनों ही समाजों से प्रत्याशी बनाती है। 2023 के विधानसभा चुनाव में एक बात तो लगभग तय है कि कुनबी बाहुल्य मुलताई विधानसभा सीट से कांग्रेस के साथ भाजपा भी इस जाति समूह से जुड़े व्यक्ति को उम्मीदवार बनाएगी। मुलताई विधानसभा सीट से पिछले कई चुनाव से कुनबी समाज का प्रत्याशी ही चुनाव जीत रहा है। भाजपा से जहां चंद्रशेखर देशमुख चुनाव जीते तो कांग्रेस के इसी समाज के सुखदेव पांसे चुनाव जीतते आ रहे हैं। पिछले बार भाजपा ने नया प्रयोग करते हुए पंवार समाज से जुड़े राजा पंवार को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन विधानसभा के पंवार बाहुल्य क्षेत्र दुनावा से लीड लेने के बाद राजा पंवार कुंबी बाहुल्य क्षेत्र पट्टन, सांईखेड़ा क्षेत्र से पिछडऩे के बाद हार गए थे। इसी गलती को इस बार भाजपा ठीक करना चाह रही है और इसी के चलते कुनबी समाज के भाजपा से जुड़े कई नेता सक्रिय हो गए हैं।
इन वादों को भी पूरा होने का इंतजार
– ताप्ती उद्गम स्थल का सुंदरीकरण का वादा अधूरा
– मुलताई में बेरोजगारों के लिए उद्योग-धंधे शुरू करवाने की घोषणा अब तक अधूरी।
– पुराने अस्पताल की जमीन पर शापिंग काम्प्लेक्स भी नहींं बन पाया।
– ताप्ती में मिलने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए।
– मुलताई – नागपुर हाईवे के किनारे पार्क और ओपन जिम बनवाने, नगर के सुंदरीकरण का वादा अधूरा ।
यह है सीट का इतिहास
यह सीट 1951 में वजूद में आई थी। इस सीट की बात करें तो यहां की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बराबर मौका दिया है। इस सीट पर 7 बार कांग्रेस तो 5 बार बीजेपी को जीत मिली हैं। इस सीट पर लगातार तीन बार जीतने का रिकार्ड भाजपा के नाम पर है। हालांकि तीनों ही बार उसके उम्मीदवार अलग-अलग थे। 2018 के पहले यहां पर बीजेपी के हेमंत खंडेलवाल विधायक थे। 2013 में बीजेपी के हेमंत खंडेलवाल ने कांग्रेस के हेमंत वागाद्रे को 24 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इसी तरह से 2008 के चुनाव में बीजेपी के अखलेश आर्या ने कांग्रेस के विनोद डागा को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। जबकि अगर बीते चुनाव की बात की जाए तो बीते चुनाव में पांसे ने राजा पंवार को हराया था।
ताप्ती उद्गम स्थल भी जस का तस
गायत्री परिवार से जुड़े समाजसेवी रामदास देशमुख का कहना है कि सूर्यपुत्री मां ताप्ती के उद्गम स्थल पर दर्शन के लिए प्रतिदिन देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं। इसके सुंदरीकरण, श्रद्धालुओं की सुविधाओं में विस्तार के लिए तमाम वादे किए गए पर कुछ खास हो नहीं पाया। ताप्ती महोत्सव का आयोजन जरूर हुआ है, लेकिन सुविधाएं जुटाना भी जरूरी है।
कुनबी उम्मीदवार ही उतरेगा मैदान में
इस सीट पर कांग्रेस से सुखदेव पांसे का टिकट अभी से तय माना जा रहा है, जबकि भाजपा की ओर से दो बार चुनाव जीते चंद्रशेखर देशमुख , जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे नरेश फाटे और भाजपा नेत्री माधुरी सांबले की दावेदारी बनी हुई है। सांबले की दावेदारी की वजह है उनका महिला, युवा होने के साथ-साथ शिक्षित, सक्रिय एवं व्यवहार कुशलता के साथ ही उनका कुनबी समाज का सशक्त चेहरा होना है।