
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में भाजपा की शिव सरकार का हर वर्ग को साधने पर फोकस है। इसके लिए अब प्रदेश सरकार ने पड़ौसी राज्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मप्र में भी गोबर खरीदी की योजना बनाई है। इस पर सरकार एक अरब रुपए खर्च करने की तैयारी में है। यह बात अलग है कि, इसकी शुरुआत प्रदेश की एक सैकड़ा गौशालाओं और उससे सटे ग्रामों से की जाएगी। यह काम पशुपालन विभाग के माध्यम से किया जाएगा। यह गोबर 2 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जाएगा। इसके लिए पशुपालन विभाग ने योजना बनाकर एक प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया है। जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा। अधिकारियों का अनुमान है कि गोबर खरीदी पर रोजाना प्रत्येक गौशाला को करीब तीन हजार रुपए के आसपास भुगतान करना होगा। इस तरह एक गौशाला से हर साल गोबर खरीदी पर 10 से 12 लाख रुपए का खर्च आएगा। इसके साथ ही गौशालाओं में प्रॉम बनाने के लिए बायोगैस प्लांट लगाए जाने की योजना है। एक बायोगैस प्लांट पर करीब 60 लाख रुपए खर्च आने का अनुमान है। विभाग ने तय किया है कि हर गौशाला को गोबर खरीदी के लिए वर्किंग कैपिटल के रूप में एक करोड़ रुपए एडवांस में दिए जाएंगे। इस तरह 100 गौशालाओं को 100 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। यह राशि उन्हें बिना ब्याज के दी जाएगी। यह राशि गोबर खरीदी, बायो गैस प्लांट की स्थापना और अन्य जरूरी चीजों पर खर्च की जाएगी। एक साल बाद गौशालाओं से 20 लाख रुपए प्रति साल के हिसाब से यह राशि वापस ली जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि लगभग एक साल में गौशाला में प्रॉम की बिक्री शुरू हो जाने से उनके पास पैसे की आवक होने लगेगी, जिससे वे आसानी से पैसे चुका पाएंगी। प्रमुख सचिव पशुपालन गुलशन बामरा का कहना है कि गोबर खरीदी को लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। अब इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है।
प्रदेश में हैं 1758 गौशालाएं
प्रदेश में फिलहाल 1758 गौशालाओं का संचालन हो रहा है। इनमें दो लाख 76 हजार गौवंश हैं। 1500 गौशालाएं अभी निर्माणाधीन हैं। इनका निर्माण पूरा होने पर करीब डेढ़ लाख गौवंश गौशालाओं में पहुंच जाएगा। अभी अनुमान के मुताबिक प्रदेश में सडक़ों पर करीब साढ़े चार लाख गौवंश हैं।
छग में किया अफसरों ने अध्ययन
मुख्यमंत्री द्वारा की गई गोबर खरीदी की घोषणा के बाद गौ पालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड की एक टीम ने छत्तीसगढ़ का दौरा कर वहां की गोबर खरीदी प्रक्रिया का अध्ययन कर 7 बिंदुओं की रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी है। इस टीम में गौ पालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि भी शामिल थे। छत्तीसगढ़ में गोठान बनाए गए हैं, जहां पर गोबर की खरीदी की जाती है। गौठान में बड़ी संख्या में निराश्रित गायें रखी गई हैं और वहीं पर ग्रामीण गोबर बेचने पहुंचते हैं। चूंकि मप्र में गोठान जैसी कोई चीज नहीं है, इसलिए गौशालाओं में गोबर खरीदने का निर्णय लिया गया है।