
भोपाल/खबर सबकी डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में अंधेर नगरी जैसा राज बना हुआ है। विभाग में भ्रष्टाचारों में फंसे अफसरों को करोड़ों रुपए के टेंडर की जिम्मेदारी सौंप दी गई है ,तो लोकायुक्त केस में फंसे एक अधिकारी को संविदा नियुक्ति दे दी गई है। इस विभाग की खासियत यह है कि जो जितना विवादास्पद अफसर होता है , उसे उतना ही अधिक उपकृत किया जाता है। इसे दो उदाहरणों से समझा जा सकता है। इस मामले में शासन व सरकार की मंशा पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं। दरअसल हाल ही में लोक निर्माण विभाग में कार्यपालन यंत्री पद से सेवानिवृत्त हुए नईमुद्दीन सिद्धीकी को पिछले दिनों संविदा नियुक्ति दी गई है। सिद्दीकी को कोर्ट केसों को लेकर विधिक सलाहकार के रूप में दोबारा कांट्रेक्ट अप्वाइंटमेंट दिया गया है। सिद्दीकी को लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना ने अरेरा हिल्स के ठेकेदारों ने 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़वाया था। संविदा नियुक्ति के देते समय सिद्दीकी के इस सर्विस रिकॉर्ड को पूरी तरह से नजरअंदाज किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दागियों के हाथों में करोड़ों के टेंडर…
अरविंद-टीनू जोशी दंपत्ति के खिलाफ लोकायुक्त, आयकर और ईडी के केसों के दौरान लोक निर्माण विभाग के जिन दो अफसरों को उनसे जुड़े मामलों में निलंबित कर दिया गया था। ये अधिकारी दीपक असाई और आरडी चौधरी हैं। दीपक असाई अधीक्षण यंत्री हैं और प्रमुख अभियंता कार्यालय में उनके पास प्रदेश के पीडब्ल्यूडी के टेंडरों का कार्य है। उनके पास मुख्य अभियंता का प्रभार है। उनके कार्यक्षेत्र में लगभग 10000 करोड़ रुपए के हर साल टेंडर जारी होते हैं। इसी तरह आरडी चौधरी परियोजना क्रियान्वयन इकाई में कार्यपालन यंत्री हैं, जो अधीक्षण यंत्री के प्रभार में हैं। चौधरी के पास भी परियोजना क्रियान्वयन इकाई के टेंडरों की जिम्मेदारी है और यहां से हर साल लगभग 5000 करोड़ रुपए के टेंडर जारी होते हैं।