फाइलों में अटकी 6600 करोड़ की सिंचाई परियोजना

  • माधव राव सिंधिया वृहद सिंचाई परियोजना के हाल बेहाल

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर-चंबल अंचल के पांच जिलों शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, मुरैना और गुना के लिए 6600 करोड़ रूपए की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना (श्रीमंत माधव राव सिंधिया वृहद सिंचाई परियोजना ) मंत्रालय की फाइलों में अटक कर रह गई है। इस परियोजना से पांचों जिलों में 2 लाख हैक्टेयर में सिंचाई और पीने का पानी मिलना है। इससे पहले इस परियोजना के प्रथम चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) ही करीब आठ महीने तक जल संसाधन विभाग की तकनीकी शाखा बोधी में अटकी रही। प्रशासकीय स्वीकृति में देरी से इस पर भी संशय है कि परियोजना का भूमिपूजन विधानसभा चुनाव से पहले हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. माधव राव सिंधिया के नाम पर प्रस्तावित यह परियोजना सिंधिया के गृहनगर और राजनीतिक कार्यक्षेत्र को प्रभावित करने वाली है। सिंधिया समर्थक विभागीय मंत्री तुलसीराम सिलावट का प्रयास है कि इस परियोजना का भूमिपूजन विधानसभा चुनाव से पहले हो जाए। मंत्री स्तर से निरंतर प्रयास और समीक्षा के बावजूद लगभग ढाई साल से इस परियोजना के पहले चरण की डीपीआर को अभी प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिल सकी है। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट का कहना है कि श्रीमंत माधव राव सिंधिया वृहद सिंचाई परियोजना के संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा हो चुकी है। इसकी शेष औपचारिकताएं शीघ्र पूरी कर ली जाएंगी। जल्द से जल्द परियोजना का भूमिपूजन होगा और परियोजना धरातल पर उतरेगी।
800 गांवों को मिलेगा लाभ
श्रीमंत माधव राव सिंधिया वृहद सिंचाई परियोजना से लगभग 800 ग्रामों के 2 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। पोहरी-श्योपुर मुख्य मार्ग के ऊपर ग्राम कटीला पर लगभग 360 एमसीएम जल भण्डारित क्षमता का बैराज-बांध प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश-राजस्थान सीमा पर मप्र में तीन फीडर जलाशय क्रमश: 79 एमसीएम, 89एमसीएम एवं 130 एमसीएम के प्रस्तावित हैं। मुख्य बांध का जल भण्डार क्षेत्र 3216 वर्ग किमी होगा, जिसमें मध्यप्रदेश का 2445.80 वर्ग किमी तथा 770.20 वर्ग किमी क्षेत्र राजस्थान का होगा। प्रस्तावित सभी बांधों में सूक्ष्य सिंचाई पद्यति के माध्यम से लगभग ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में, सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। गुना-शिवपुरी जिले के प्रस्तावित बांधों से बम्होरी, गुना, बदरबास, कोलारस, शिवपुरी, पोहरी आदि गांवों में पेयजल भी उपलब्ध हो सकेगा। परियोजना से लगभग 800 ग्रामों के 2 लाख परिवार लाभान्वित होंगे।
सरकार को भेजा गया है प्रस्ताव
परियोजना के पहले चरण का 2001 करोड़ रुपये का डीपीआर बोधी से स्वीकृत होने के बाद मंत्रालय में अटकी है। परियोजना को लेकर अभी साधिकार समिति की बैठक होनी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस समिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त, अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन सहित अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी परियोजना को स्वीकृति देंगे। इसके बाद परियोजना का प्रस्ताव मंत्रि-परिषद में जाएगा। मंत्रि-परिषद से स्वीकृति मिलने के बाद इसकी प्रशासकीय स्वीकृति होनी है। प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद विभाग इस कार्य के लिए निविदा बुलाएगा। निविदा खुलने के बाद ही परियोजना धरातल पर उतरेगी। माना जा रहा है कि इस तरह की औपचारिकता में कम से कम 6 महीने से अधिक का समय लग सकता है, जबकि विधानसभा चुनाव इस वर्ष नवम्बर-दिसम्बर में संभावित हैं। अक्टूबर माह में आचार संहिता लागू हो सकती है।

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