भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही भ्रष्टाचार के मामले मे सख्त हैं, लेकिन उनकी इस मंशा पर शासन पानी फेरने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा है। इसकी वजह है तीन माह पहले अचानक शासन ने जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू में पदस्थ एक दर्जन अफसरों की नई जगह पदस्थापना कर दी थी , लेकिन उसके बाद से नए अफसरों की पदस्थापना ही नहीं की जा रही है। जिसकी वजह से ईओडब्ल्यू में जांच अधिकारियों का संकट खड़ा हो चुका है। खास बात यह है कि अफसरों की पदस्थापना के लिए ईओडब्ल्यू के स्पेशल डीजी द्वारा गृह विभाग को चि_ी भी लिखी जा चुकी है। इस चिट्ठी में उनके द्वारा स्पष्ट कह गया है कि पुलिस अफसरों की पदस्थापना नही किए जाने से पेंडेंसी बढ़ गई है। इससे पहले भी दिसंबर और जनवरी को डीजीपी सुधीर सक्सेना को खाली पदों पर नियुक्ति करने के संबंध में रिपोर्ट दी जा चुकी है। दरअसल बीते साल नवंबर माह में गृह विभाग ने ईओडब्ल्यू में पदस्थ दर्जन भर से ज्यादा डीएसपी को नई जगह पदस्थ कर दिया था। इसके बाद से लगातार अफसरों की मांग की जा रही है। इस स्थिति की वजह है एजेंसी में विवेचना के अधिकार डीएसपी व इंस्पेक्टर को रहते हैं। नए अफसरों के इंतजार में काफी दिनों तक स्थानांतरित अफसरों को ईओडब्ल्यू ने रिलीव ही नहीं किया था। स्थानांतरित अधिकारियों को रिलीव करने के लिए राज्य शासन ने दबाब बनाया तो उन्हें रिलीव करना पड़ गया। इसके बाद भी उनकी जगह दूसरे अधिकारियों की पदस्थापना नहीं की जा रही है। ईओडब्ल्यू की सागर जैसी इकाई में दो महिला अधिकारी पूरी जिम्मेदारी संभाल रही हैं तो जबलपुर में भी स्थिति चिंताजनक है और ग्वालियर इंदौर में भी लगभग ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। इसकी वजह से जांच का काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
नहीं लिया जा रहा है निर्णय…
ईओडब्ल्यू ने अपने यहां से तबादलों के बाद उनके बदले में नए डीएसपी-इंस्पेक्टर की पदस्थापना के लिए नाम भेजे थे। जिन पर करीब तीन सप्ताह बाद भी कोई फैसला नहीं किया जा सका है। सूत्रों का कहना है कि भेजे गए नामों में से कुछ नाम तय कर लिए गए हैं, लेकिन फाइल पीएचक्यू-गृह विभाग के बीच घूम रही है। अफसरों की कमी की वजह से कई मामलों की जांच ही आगे नही बढ़ पा रही है।
इस साल में 7 मामले दर्ज
अफसरों की कमी की वजह से इस साल अब तक प्रदेश में एजेंसी ने महज सात मामले ही दर्ज किए हैं। इसकी वजह है एफआईआर दर्ज करने के बाद उसमें जांच भी करनी होती है। जांच के बाद चालान पेश करने की भी जिम्मेदारी उठानी होती है। इसकी वजह से इस मामले में भी शिथिलता दिखना शुरु हो गई है।
18/02/2023
0
136
Less than a minute
You can share this post!