अकेले ही किला लड़ा रहे हैं चौकसे

चौकसे
  • पार्टी से कैसे जुड़ें छात्र -छात्राएं, नहीं है चिंता

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम
एक तरफ प्रदेश में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लगातार सूबे में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं, लेकिन पार्टी की ही छात्र इकाई यानि की एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे इसको लेकर बेफिक्र नजर आते हैं। उनके प्रदेशाध्यक्ष बने हुए नौ माह का समय हो गया है, लेकिन वे न तो अब तक अपनी कार्यकारिणी गठित कर पाए और न ही अब तक जिलों में अध्यक्ष ही बना पाए हैं। ऐसे में संगठन की गतिविधियां कैसी चल रही हैं समझा जा सकता है। वे प्रदेश कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो अकेले ही किला लड़ा रहे हैं। इसकी वजह से पार्टी के साथ ही चुनाव में युवाओं का साथ कैसे मिलेगा यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
एनएसयूआई के हाल यह तब बने हुए हैं, जबकि कमलनाथ द्वारा स्कूली बच्चों को भी पार्टी से जोडऩे के लिए बाल कांग्रेस तक का गठन किया जा चुका है। गौरतलब है कि युवाओं में पार्टी की पैठ बढ़ाने का यह सहयोगी संगठन इस मामले फिसड्डी साबित हो रहा है, जबकि भाजपा को युवाओं का भरपूर साथ मिल रहा है। ऐसे में एनएसयूआई की भूमिका बेहद अहम हो जाती है, लेकिन कांग्रेस का यह संगठन पूरी तरह से मैदानी स्तर पर गठन के अभाव में नदारत नजर आ रहा है। चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अपने सभी फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन (महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, एनएसयूआई) को बूथ प्रबंधन समेत अन्य जिम्मेदारियां सौंप रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जब भी चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठकें करते हैं, तो महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) को चुनाव संबंधी अलग-अलग लक्ष्य देने की बात कहते हैं। महिला कांग्रेस और युवा कांग्रेस ने मतदान केंद्रों के गठन समेत ब्लॉक स्तर पर संगठन को मजबूत करना शुरू दिया है। युवा कांग्रेस यूथ जोड़ो बूथ जोड़ो अभियान चला रही है, लेकिन एनएसयूआई हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इसकी वजह यह है कि एनएसयूआई में सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष का ही होना। प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे की नियुक्ति के बाद से बीते नौ माह से प्रदेश कार्यकारिणी व जिला अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर पाने की वजह से एनएसयूआई ने लंबे समय से सरकार के खिलाफ कोई धरना, प्रदर्शन नहीं किया है और चुनावी मैदान से भी वह पूरी तरह से गायब है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी भले ही एनएसयूआई को चुनाव की जिम्मेदारियां सौंपने की बात कहती है, लेकिन उस पर वह खरा कैसे उतरेगी कोई नहीं जानता है।
हर विस में 25 मतदान केंद्रों का जिम्मा होगा महिला कांग्रेस पर
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही भाजपा और कांग्रेस मतदान केंद्रों पर अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान दे रही हैं। मप्र कांग्रेस ने तय किया है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 25 मतदान केंद्रों की जिम्मेदारी महिला कार्यकर्ता संभालेंगी। इनका चयन करने की जिम्मेदारी मप्र महिला कांग्रेस को सौंपी गई है। मार्च अंत तक महिला कार्यकर्ताओं को चिन्हित कर उन्हें बूथ प्रबंधन प्रकोष्ठ द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रदेश में 64 हजार एक सौ मतदान केंद्र हैं। प्रदेश कांग्रेस ने बूथ, मंडलम और सेक्टर इकाई बनाने के बाद अब बूथ प्रबंधन की कार्ययोजना तैयार की है। इसमें पार्टी के सहयोगी संगठनों (युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल, एनएसयूआई, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग) को अलग-अलग मतदान केंद्रों की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया गया है। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल ने बताया कि प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में 25 मतदान केंद्र पर महिला कार्यकर्ता तैनात की जाएंगी। इन केंद्रों पर बुध प्रबंधन का पूरा काम महिला कार्यकर्ता संभालेंगी। सभी जिला इकाइयों को कार्यकर्ता चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। चयनित कार्यकर्ताओं को पार्टी के बूथ प्रबंधन प्रकोष्ठ द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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