- हरीश फतेहचंदानी

प्रदेश में भाजपा की सत्ता में पुन: वापसी के लिए वीडी शर्मा ने पूरी तौर पर मैदानी स्तर पर संगठन के साथ ही पन्ना प्रमुखों को सक्रिय करने पर फोकस करना शुरू कर दिया है। इसकी वजह है वे चाहते हैं कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को कम से कम 51 फीसदी मत मिलें। यही वजह है कि इस बार भोपाल में दो दिन बाद होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी 51 फीसदी वोट हासिल करने की रणनीति मुख्य मुद्दा रहने वाला है। इसके बाद 26 जनवरी को सभी जिलों और 27 जनवरी को सभी मंडलों में कार्यसमिति की बैठकें किया जाना तय किया गया है। इसके बाद 29 जनवरी को बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की बैठकें होगी। इस मामले में वीडी शर्मा का कहना है कि गुजरात की तरह मप्र में भी प्रो-इनकम्बेंसी है, इसलिए भाजपा 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी।
यही नहीं 51 फीसदी वोट शेयर के लक्ष्य के लिए प्रत्येक बूथ, बूथ समिति, पन्ना प्रमुख और पन्ना समिति को मजबूत बनाया जाएगा। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है कि राजनीति के साथ सामाजिक भूमिका भी निभाएं। इस आह्वान को अंतिम छोर के कार्यकर्ता तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए खुद वीडी शर्मा मैदानी स्तर पर दौरे कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की शुरुआत करने जा रहे हैं। इन दौरों के समय वे पन्ना प्रमुखों से लेकर मतदान प्रभारी और सेक्टर स्तर तक के पदाधिकारियों से मिलेंगे। यही वजह है कि बूथ की मजबूती का विषय प्रदेश कार्यसमिति का प्रमुख विषय रहने वाला है।
प्रदेश में 64 हजार 100 बूथ पर बीजेपी पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। करीब 13 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संगठन एप से जोड़ा गया है। बूथ पर बीजेपी ने एक बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए की नियुक्ति की है। इसके साथ ही पन्ना प्रमुख और पन्ना समिति भी बनाई, लेकिन उनकी संख्या कम है। अब बीजेपी ने बूथ अध्यक्षों को पन्ना प्रमुख और समिति बनाने और डिजिटल एप से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। दरअसल प्रदेश की मतदाता सूची में 18 लाख से अधिक पन्ना हैं। इसकी वजह से प्रदेश में भाजपा को करीेब करोड़ पन्ना समिति सदस्यों की जरूरत है। यह एक बड़ा आंकड़ा है, जिसे भाजपा हासिल करना चाहती है। यदि यह सफल हो जाती है तो उसके पास सदस्य के प्रति परिवार तीन वोटर के हिसाब से सीधे सीधे तीन करोड़ वोट होंगे। अभी बीजेपी के चार लाख पन्ना प्रमुख ही बने हैं। इन पन्ना प्रमुख की मदद से ही बीजेपी घर-घर तक पहुंच बनाएगी। गुजरात जीत के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि हम पन्ना प्रमुख से आगे बढ़ कर अब घर घर अभियान पर काम कर रहे हैं। अब भाजपा की तरफ से कोई ना कोई घर-घर तक जाएगा और लोगों से संवाद स्थापित करेगा। बता दें इसमें पन्ना प्रमुख की भूमिका अहम होगी।
पन्ना समिति क्या करती है
पन्ना प्रमुख हर वोटर से मिलकर और फोन से संपर्क करता है। जब तक उसके पन्ने का आखरी वोटर मतदान तक नहीं पहुंच जाता है, उसकी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है। चुनाव शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद हर पन्ना प्रमुख रिपोर्ट तैयार करता है। उसके फीडबैक के आधार पर तय होता है कि कितने लोगों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया। इससे जीत की संभावना का अंदाजा भी लगाया जाता है। इसके अलावा पन्ना समितियों के सदस्य चौक-चौराहों पर होने वाली चर्चाओं में भी भाजपा की रीति-नीति के एम्बेसडर की तरह काम करते हैं। यह समितियां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम करती है। साथ ही यह भी बताती है कि किस क्षेत्र में और मेहनत करने की जरूरत है। फीडबैक से पता चलता है कि क्षेत्र की जरूरत और माहौल क्या है, उसे देखते हुए भाजपा की रणनीतिक टीमें अपना प्लान आगे बढ़ाती हैं।
यह है भाजपा की योजना
बीजेपी की रणनीति पन्ना प्रमुख के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का ना सिर्फ प्रचार-प्रसार करना है , बल्कि हितग्राहियों को जोडऩा है। पीएम आवास, स्ट्रीट वेंडर योजना में लोन लेने वाले हितग्राहियों की मैपिंग करेंगे और उनको आईडेंटिफाई किया जाएगा और उनको पार्टी की विचारधारा से जोड़ने का काम करेंगे। बीजेपी के बूथ के डिजिटल होने से कार्यकर्ताओं तक एक क्लिक में संगठन के निर्णय और फैसलों की जानकारी पहुंच जाएगी। बूथ का कार्यकर्ता जनता का फीडबैक एप के माध्यम से संगठन तक आसानी से कम समय में पहुंचा सकेगा। जिस पर पार्टी को निर्णय लेने में आसानी होगी। जनता तक पार्टी का मैसेज पहुंचाने में भी यह आसान होगा।
भाजपा की पन्ना समिति
चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची के हरेक पेज पर 30 नाम होते हैं। बीजेपी ने एक पेज में शामिल 30 नामों में से पांच लोगों को पार्टी की पेज समिति का सदस्य बना रखा है, यानी चुनाव आयोग की सूची में शामिल हर 6वां व्यक्ति बीजेपी पन्ना समिति का सदस्य है। हर पन्ना सदस्य के घर में कम से कम तीन सदस्य तो होते ही हैं। कई पन्ना सदस्यों के घरों में 4-5 वोटर भी मौजूद हैं, जिससे उसके वोटर्स की संख्या बढ़ जाएगी। पार्टी नेता इसे मॉडरेट ढंग से जोड़ते हैं, तो भी प्रत्येक पन्ना सदस्य घर के तीन वोट तो जुटाता ही है। पन्ना समिति का एक पन्ना प्रमुख भी है, जो सभी सदस्यों से टच में रहता है। पन्ना प्रमुख की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने 30 वोटर से बात करके उनसे संपर्क करके यह तय करे कि वे सभी मतदान करें और बीजेपी के पक्ष में वोट करें। उत्तर प्रदेश और गुजरात में सफल रहे इस प्रयोग में कोशिश की गई कि समिति में ऐसे लोगों को सदस्य बनाया जाए, जिन्हें केंद्र या राज्य सरकार की योजना का लाभ मिला हो।