
- ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से मप्र बनेगा इंडस्ट्रीयल हब
- प्रमुख देशों के चार हजार से अधिक प्रतिनिधि, राजदूत और उद्योगपति होंगे शामिल
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। प्रधानमंत्री मोदी के मूल मंत्र-रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म को अपनाते हुए आज मप्र नए भारत का ग्रोथ इंजन बनकर उभरा है। आज मप्र निवेशकों की पसंद बन रहा है। यह संभव हो पाया है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नीतियों के कारण। मप्र आज देश में औद्योगिक हब बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी नीतियों के कारण देश-विदेश के उद्योगपति मप्र में उद्योग स्थापित कर रहे हैं। प्रदेश की औद्योगिक उड़ान में पंख लगाने के लिए सरकार 11 और 12 जनवरी को इंदौर में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट आयोजित करने का रही है। सरकार को उम्मीद है की इस बार समिट में प्रदेश में औद्योगिक निवेश के रिकॉर्ड प्रस्ताव मिलेंगे। गौरतलब है की प्रदेश में समिट से पहले ही निवेश के प्रस्ताव आने लगे हैं। इससे उम्मीद है कि प्रदेश इंडस्ट्रीयल हब बनेगा।
भोपाल। फ्यूचर रेडी मप्र की थीम पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाना है। 11 और 12 जनवरी को इस आयोजन से पहले 8, 9 और 10 जनवरी को प्रवासी भारतीय सम्मेलन होगा। साढ़े चार हजार से अधिक उद्यमी, निवेशक इन्वेस्टर्स समिट में शामिल होंगे। वहीं 3 हजार से ज्यादा एनआरआई भी सम्मेलन के लिए आ रहे हैं, जिनमें से कुछ समिट में भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री 9 जनवरी, तो अगले दिन 10 जनवरी को राष्ट्रपति मौजूद रहेंगी। गुआना के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि, वहीं ऑस्ट्रेलिया पार्लियामेंट की सदस्य बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर इस सम्मेलन में शामिल होंगी। यानी ये दोनों आयोजन मप्र के विकास में मील का पत्थर साबित होंगे।
इंदौर में होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की सभी व्यवस्थाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की जा रही हैं। इसकी मॉनीटरिंग खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कर रहे हैं। समिट में आने वाले सभी राष्ट्र प्रमुखों और औद्योगिक संगठनों के प्रमुखों का भारतीय संस्कृति के अनुसार उपयुक्त सत्कार किया जाएगा। सभी को एयरपोर्ट पर रिसीव करने से लेकर ठहरने के स्थान तक तथा आयोजन स्थल तक लाने ले जाने की उपयुक्त व्यवस्था की जा रही हैं। जीआइएस 2023 में विश्व के प्रमुख देशों के प्रतिनिधि, राजदूत और उनके प्रतिनिधिमंडल तथा औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों सहित लगभग चार हजार से अधिक लोग शामिल होंगे। सभी के आवास, भोजन और आयोजन स्थल तक पहुंचने आदि की सभी व्यवस्थाएं पुख्ता कर ली गई हैं। इंदौर में दो दिवसीय आयोजन में मध्य प्रदेश में निवेश के क्षेत्र में क्षमताओं का प्रभावी प्रदर्शन होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशानुरूप ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) की उपयुक्त ब्रांडिंग और जानकारी देने की व्यवस्था भी की जा रही है। एमपीआइडीसी के एमडी मनीष सिंह ने बताया कि सभी आगंतुकों से चर्चा कर ली गई है। साथ ही सभी को निमंत्रण भी भेजा जा रहा है।
कन्फर्म निवेश पर जोर
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में कन्फर्म निवेश पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए अधिकारी निवेशकों को औद्योगिक क्षेत्र, नीति और निवेश सुविधाओं की जानकारी दे रहे हैं, ताकि निवेशक समिट से पहले प्रदेश में जगह सुनिश्चित कर लें। इस रणनीति के तहत शहरों के प्रमुख सेक्टर के उद्योगों पर फोकस किया जा रहा है। प्रदेश को भी सेक्टर वाइज प्रोजेक्ट करने की तैयारी है। अब तक निवेशकों से चर्चा के आधार पर लगभग 5 हजार करोड़ का निवेश प्रदेश के विभिन्न जिलों में मिलने की उम्मीद है। फार्मा, गारमेंट, टेक्सटाइल्स व इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्यूफेक्चरिंग के क्षेत्र में करीब 2500 करोड़ का निवेश इंदौर क्षेत्र में आएगा। इस बार निवेश की राशि से ज्यादा जोर रोजगार जनरेशन पर है। बेंगलुरू गई टीम को गारमेंट में अच्छे संकेत मिले हैं। बड़ी संख्या में निवेशक यहां आ सकते हैं। एमडी मनीष सिंह ने बताया कि कई कंपनियों के साथ वन-टू-वन चर्चा हो चुकी है। गारमेंट कारोबारियों का रूझान प्रदेश की ओर है। गारमेंट सेक्टर में 1 करोड़ निवेश से 70 लोगों को रोजगार मिलता है। अब यूरोप की स्थिति में सुधार आ रहा है। इससे छोटे जिलों में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस सेक्टर में निवेश भले ही छोटा आएगा, लेकिन रोजगार ज्यादा लोगों को मिलेगा। खासकर महिला उद्यमियों को भी अवसर मिलेंगे। रूचि लेने वालों में साही एक्सपोर्ट, लैगूना, गोकुलदास एक्सपोर्ट, हेमअप व अन्य हैं। सिंह ने बताया कि मेंटर साइमेन के रूचित दीक्षित ने इन्क्यूबेशन तो ईएसडीएम के जयराज श्रीनिवास, ज्योति खंडास्वामी ने टेक्सटाइल्स सेक्टर के लिए मुलाकात की है। मुख्यमंत्री अलग-अलग शहरों में सेक्टर के अनुसार निवेशकों को आमंत्रित कर रहे हैं। अब तक वे दिल्ली, मुंबई, पुणे व बेंगलुरू जा चुके हैं। इंदौर रीजन के लिए फार्मा, आईटी, फूड प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक में अच्छी संभावना बन रही है। उन्होंने बेंगलुरू में आईटी, स्टार्टअप, इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्यूफेक्चरिंग व डिजाइन, टेक्सटाइल्स-गारमेंट के उद्यमियों से चर्चा की। हैदराबाद में आईटी सेक्टर के साथ हेल्थ केयर पर जोर रहेगा। मेडिकल डिवाइसेस सेक्टर के निवेशक भी आगे आ रहे हैं। बायोटेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों से चर्चा कर रहे हैं। यहां से ज्योति लैबोरेटरीज इंदौर आने में रूचि ले रही है।
समिट से पहले ही एडवांस में करोड़ों के निवेश प्रस्ताव मिल रहे हैं, जिसमें मेसर्स एचईजी लिमिटेड द्वारा 1800 करोड़ रुपए और एलम सोलर द्वारा दो चरणों में 1500 मिलीयन यूएस डॉलर के निवेश की बात कही गई। वहीं बुरहानपुर टेक्सटाइल लिमिटेड ने 298 करोड़ के निवेश का भी प्रस्ताव दिया। अन्य उद्यमियों से भी मुख्यमंत्री ने चर्चा की, तो आज इंदौर में भी कुछ बड़े एमओयू साइन किए जाएंगे। एमपीएसआईडीसी के एमडी मनीष सिंह ने बताया कि एचईजी लि. के प्रमोटर रीजू झुनझुनवाला ने 1800 करोड़ रुपए के नए निवेश की जानकारी भी दी। सोनकच्छ के ग्राम सिरसौदा में पहले चरण में 800 करोड़ और फिर दूसरे चरण में एक हजार करोड़ का निवेश होगा। इसी तरह एलम सोलर नई दिल्ली के सीईओ मनोज अग्रवाल ने दो चरणों में 1500 मिलियन यूएस डॉलर के निवेश का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को सौंपा। 500 एकड़ में स्थापित प्लांट में 400 मेगावॉट बिजली बनेगी और 15 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देने का दावा किया। इस तरह रमणीक पॉवर एंड एलाइज ने 168, तो बुरहानपुर टेक्सटाइल ने 298 करोड़ का प्रस्ताव दिया है। आज ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में भी मुख्यमंत्री कुछ बड़े एमओयू साइन करेंगे।
2 हजार एकड़ जमीन 1 माह में ही बुक
पीथमपुर के इंडस्ट्रियल एरिया में लगातार इंडस्ट्री सेक्टर को जमीन की डिमांड जारी है। एक महीने पहले जिस पीथमपुर सेक्टर-7 का शिलान्यास हुआ था, वहां अब लगभग पूरी जमीन इंडस्ट्री ने बुक कर ली है। अब हालत यह है कि पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया की नोटिफाई अन्य जमीनों को भी अधिग्रहित किया जा रहा है, ताकि अन्य निवेशकों को दी जा सकें। एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक रोहन सक्सेना ने बताया कि बेटमा के पास पीथमपुर सेक्टर-7 का हमारा प्रोजेक्ट 800 हेक्टेयर (2000 एकड़) है। यहां जमीनें निवेशकों के लिए चिंह्नित हो चुकी हैं। अलॉटमेंट होना बाकी है। इस सेक्टर के आसपास अब भी निवेशकों की डिमांड है। इसके लिए एक टीम अलग से लगी है, जो अधिग्रहण पर फोकस कर रही है। किसानों और जमीन मालिकों से भी लगातार बातचीत जारी है। अब तक जिन लोगों ने जमीन तय की है, उसमें एशियन पेंट्स, जिंदल स्टील, अवार्डा, टॉय क्लस्टर, फीमेल आंत्रप्रेन्योर पार्क, अग्रवाल लॉजिस्टिक सहित अन्य नाम शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में करीब 5 हजार प्लॉट हैं। पीथमपुर के अलावा धार के जैतपुरा-पलासिया, बेटमा क्लस्टर सहित रतलाम के आसपास भी जमीन की डिमांड है। एमपीआईडीसी के एमडी मनीष सिंह के पास भी लगातार निवेशक पहुंच रहे हैं। इसके लिए सिंह ने पुराने अफसरों की टीम को लगाया है जो जमीन अधिग्रहण और किसानों से बात करने के क्षेत्र में पहले काफी काम कर चुके हैं। इस बार सरकार का जोर कंफर्म निवेश पर होने से 22 से 25 हजार करोड़ के लिए निवेशक तैयार हो गए हैं। इनसे 40 हजार से ज्यादा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेंगे। समिट के लिए इंवेस्ट एमपी पोर्टल का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इसमें 1.20 लाख एकड़ का लैंड बैंक तैयार है। 13 हजार से ज्यादा इंडस्ट्रियल प्लॉट हैं। दो रजिस्ट्रेशन विंडो है। एक निवेशक रजिस्ट्रेशन के लिए है। दूसरा मुख्यमंत्री से वन-टू-वन मीट के लिए है। इसी पोर्टल पर पूरी आवंटन प्रक्रिया भी दी गई है। समिट में इस बार मुख्य फोकस फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स, ईवी, आइटी ईएसडीएम, फार्मा हेल्थ केयर, ऑटो मोबाइल पर है।
सवा लाख एकड़ जमीन हमारे पास
मुख्यमंत्री ने बताया कि लैंडबैंक हमारे पास तैयार है। 1 लाख 22 हजार एकड़ जमीन अलग-अलग हिस्सों में चिन्हित है। अगर चाहिए तो आपको 1 महीने के अंदर हम दे सकते हैं। इसे क्लिक करके आप देख सकते हैं कि कहां-कहां हमारे पास लैंड के पीसेज है। आप मध्यप्रदेश आकर घूमें, पसंद आए तो बाद में देख लें। कंपरेटिवली अगर देखें तो मप्र में मुंबई-पुणे के मुकाबले जमीन सस्ती उपलब्ध है। पीथमपुर के निकट मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की स्थापना की जा रही है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए सकारात्मक एवं कंड्यूसिव इकोसिस्टम उपलब्ध है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना के लिए भारत सरकार द्वारा मंजूरी मिल गई है। मध्यप्रदेश के शरबती गेंहू का विश्व भर में निर्यात किया जा रहा है। विश्व की कई बड़ी कंपनियों की इकाइयां प्रदेश में संचालित हैं। उन्होंने कहा कि पांच महीनों में ही 2021-22 में इसी अवधि की तुलना में गेहूं की दोगुनी मात्रा का निर्यात हो रहा है। हमने अप्रैल- अगस्त 2022-23 के दौरान 43.50 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) का निर्यात किया, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 116.7 प्रतिशत अधिक था। प्रदेश का कपास उत्पादन में देश में पांचवां स्थान है। प्रदेश में स्किल्ड मैनपावर की प्रचुरता है। प्रदेश की औद्योगिक क्लस्टर विकास नीति में संशोधन किया जाएगा। प्रदेश में बनने वाले 40 से अधिक क्लस्टर में वास्तविक निवेशकों को ही जमीन दी जाएगी। उद्योग लगाने के नाम पर जमीन लेकर वर्षों तक निर्माण नहीं करने वालों को प्राथमिक सूची से बाहर किया जाएगा। क्लस्टर में जमीन अलॉट होने के बाद उद्योग शुरू करने की समय सीमा तय कर उसका सख्ती के साथ पालन भी किया जाएगा। कुछ औद्योगिक क्लस्टर्स के लिए प्रस्तावित जमीनों को लेकर पेंच आ रहे हैं, उनसे जुड़े मामलों का जनवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले निराकरण कर लिया जाएगा। उद्योगों के आर्थिक मामलों का निराकरण करने वाले फेसिलिटेशन काउंसिल की सुनवाई भोपाल के अलावा इंदौर में भी करने पर विचार किया जा रहा है। इंदौर आए एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि उद्योगपतियों को इसका आश्वासन दिया है। क्लस्टर में जमीन आवंटन के लिए बनाई गई एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के गठन और अधिकारों को पारदर्शी बनाने को लेकर भी सरकार योजना बना रही है। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र के अध्यक्ष योगेश मेहता और सचिव तरुण व्यास ने बताया पहले से संचालित औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर आयुक्त ने विस्तृत प्रेजेंटेशन देने को कहा है। चार साल से प्रदेश में उद्योगों को सब्सिडी से जुड़े प्रकरणों का निराकरण नहीं हो सकता है, टाइम लाइन में निराकरण करने की मांग भी प्रमुख सचिव से की गई है। 22 जिलों में सरकार अगले 2 साल में 42 औद्योगिक क्लस्टर लॉन्च करने की तैयारी में है। यह क्लस्टर अलग-अलग इंडस्ट्री सेक्टर के होंगे। 10283.35 करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश होगा इन क्लस्टर में। 19 क्लस्टर और निजी औद्योगिक क्षेत्रों का लोकार्पण, भूमिपूजन पिछले माह हुआ है। 3 हजार उद्योग स्थापित होंगे इन 42 क्लस्टर में। इससे लगभग 2.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। 6 क्लस्टर इंदौर रीजन में स्थापित करने की योजना है। इंदौर के पास उज्जैन में इंजीनियरिंग और प्लास्टिक क्लस्टर की योजना है, जहां पर 10 उद्योग स्थापित होंगे। 2 टेक्सटाइल क्लस्टर में 355 उद्योग लगेंगे बुरहानपुर में। यहां 900 करोड़ का निवेश और 11 हजार 600 को रोजगार मिलेगा। 1 ग्रीन क्लस्टर बनेगा खंडवा में। 35 करोड़ निवेश होंगे। 8 जिलों में फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर बनेंगे, जिसमें 205.20 करोड़ रुपए का निवेश संभावित है।
प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए सरकार लगातार निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दे रही है। गतदिनों खाद्य प्रसंस्करण, दवा और कपड़ा उद्योग क्षेत्र की कंपनियां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में इकाइयां स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई निवेश संवर्धन मंत्रिपरिषद समिति की बैठक में महिमा फाइबर्स कंपनी के 576 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को अनुमति दी गई। कंपनी धार के धरमपुरी और खरगोन के कसरावद में कपड़ा बनाने की इकाई लगाएगी। वहीं, मेसर्स एंडुराफेब कंपनी देपालपुर (इंदौर) में 145 करोड़ रुपये का निवेश करके बड़े बैग सहित अन्य सामग्री तैयार करने की इकाई स्थापित करेगी। कटनी के गुलवारा में केवलानी एग्रो इंडस्ट्रीज 66 करोड़ रुपये की लागत से आटा, सूजी और मैदा तैयार करने की इकाई लगाएगी। इसी तरह देवास के महल्सापुरा में होलनेस फूड्स लिमिटेड 37 करोड़ रुपये के निवेश से आटा और दलिया बनाने का काम करेगी। छिंदवाड़ा में आदिशक्ति राइस मिल 28 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। पीथमपुर (धार) में गुफिक बायोसाइंसेस 238 करोड़ रुपये और एनक्यूब कंपनी 165 करोड़ रुपये का निवेश करके सिरिंज, क्रीम, जेल, लोशन आदि बनाने की इकाई लगाएगी। मेसर्स गुजरात गार्जियन लिमिटेड द्वारा औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर घिरोंगी (भिंड) में डेढ़ हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। प्रदेश में जिंदल समूह चार हजार करोड़ रुपये से अधिक लागत से सीमेंट उत्पादन सहित अन्य इकाइयों की स्थापना कर सकता है। समूह के प्रतिनिधियों ने सोमवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात की और बताया कि पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी निवेश का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश के उद्योगपति भी उत्साह में
सीएम उद्योगपतियों को बता रहे हैं कि प्रदेश में बिजली, सडक़, पानी सहित उद्योगों के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध है। इस बीच भोपाल के पास मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र के बढ़े उद्योगों के कामकाज को देखने के साथ ही उनके उद्योगपतियों से बातचीत की। मध्य प्रदेश इवेंस्टमेंट के लिहाज से कितना बेहतर है, जाने इसको लेकर उद्योगपति क्यों बोले? 1983 में मंडीदीप में 49 औद्योगिक इकाइयां थी। यहां करीब 650 औद्योगिक प्लांट हैं। इन पर 450 फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। मंडीदीप स्थित ल्यूपिन कंपनी की स्थापना 2 अक्टूबर 1987-88 में हुई। फार्मा और मेडिकल सेक्टर की दवाईयों का उत्पादन कर रही है और विदेशों में बड़ी मात्रा में अपनी एंटीबायोटिक दवाईयां निर्यात कर रही है। इसके माध्यम से प्रदेश में फार्मा और मेडिकल सेक्टर में रोजगार के नए अवसर बने हैं। भारत अपने फार्मा सेक्टर में कच्चे माल के रूप में उपयोग में आने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इन्ग्रीडियेंट (एपीआई) का बड़ा हिस्सा चीन से आयात करता है। इसलिए अब कंपनी आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एपीआई के घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ी है। कंपनी के सीनियर जनरल मैनेजर साइट हैड थॉमस मैथ्यू ने बताया कि यहां लेबर को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। इंफ्रास्ट्रक्चर अब बेहतर हो गया है। पहले कम सडक़ों के गड्ढों और कम चौड़ाई के कारण आवागमन में दिक्कत होती होती है। अब हाईवे निर्माण से ट्रेवलिंग का समय भी बहुत कम हो गया है। पहले पेपर वर्क बहुत ज्यादा था। अब सिंगल विंडों के कारण स्थिति बहुत बेहतर हो गई है।
अमेरिकी कंपनी प्रॉक्टर एंड गैंबल (पी एंड जी) कंपनी मंडीदीप में रोजमर्रा के उपयोग के वस्तुएं बनाने के काम को कर रही है। कंपनी के उत्पादों में एरियल, टाइड, जिलेट, ओरल बी जैसे उत्पाद शामिल हैं। घर में साफ-सफाई रखने से लेकर पर्सनल केयर तक के प्रोडक्ट्स का निर्माण भी यहां के विभिन्न संयंत्रों में किया जा रहा है। यहां प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे को एकत्रित कर उसका प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण किया जाता है। कंपनी की यहां पर सौर संयंत्र स्थापित करने की भी योजना है। कंपनी के पदाधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में कुछ दिक्कत आई, लेकिन बाद में सब आसान हो गया। पहले सडक़ों की बदहाली के कारण ट्रांसपोर्टर भी आने से मना कर देते थे। अब यह समस्या पूरी तरह खत्म हो गई है। सरकारी जरूरी अनुमतियों की आसान प्रक्रिया से पहले की तुलना में समय भी कम लगता है। वर्धमान टेक्सटाइल्स लिमिटेड टेक्सटाइल क्षेत्र में सत्तर के दशक से भारत में काम कर रही है। मध्य प्रदेश में 1991 में इसका प्लांट मंडीदीप में स्थापित किया गया। 180 एकड़ और 50 एकड़ में यहां पर इसके दो प्लांट काम कर रहे हैं जिनके माध्यम से 15 हजार से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिल रहा है। जिसमें से 4500 महिलायें भी शामिल हैं। प्रदेश के हर कोने से यहां के प्लांट में स्थानीय युवक और युवतियों को सीधा रोजगार मिला है। वधर्मान टेक्सटाइल्स के चेयरमैन एसपी ओसवाल ने कहा कि पहले सडक़ों की समस्या थी। नीतियां जटिल थी। 20-25 साल में इसमें बहुत परिवर्तन आया है। आज सडक़ों के जाल और नीतियों में बदलाव ने प्रदेश को उद्योगों के अनुकूल वातावरण दिया है। मैन पॉवर आसानी से उपलब्ध है।
70 के दशक में मध्यप्रदेश मंडीदीप में औद्योगीकरण का दीया जलाने वाला पहला उद्योग एचईजी था। स्टील प्लांट्स के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड बनाने वाली एचईजी के ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड की मांग आज दुनिया भर में है । ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड उन इस्पात उत्पादकों के लिए एक कच्चा माल है जो पारंपरिक ब्लास्ट फर्नेंस प्रक्रिया के बजाय इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेंस रूट (ईएएफ) का इस्तेमाल करते हैं। मंडीदीप प्लांट से अमरीका , यूरोप और अफ्रीकी देशों को इसकी सप्लाई की जा रही है। मंडीदीप, मध्य प्रदेश में एचईजी के पास 76.5 मेगावाट (दो थर्मल पावर प्लांट और एक हाइड्रोपावर प्लांट) की क्षमता वाले ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड के उत्पादन का कारखाना है। एचईजी लिमिटेड मंडीदीप के सीएमडी रवि झुनझुनवाला का कहना है कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के क्षेत्र में काम करने का बेहतरीन माहौल है। सरकार की औद्योगिक नीति निवेशकों को आकर्षित कर रही है और मध्यप्रदेश निवेशकों के लिए उपयुक्त राज्य है। उनकी कंपनी की इकाई ग्रेफाईट एनोड के विनिर्माण के लिए प्रदेश में 2000 करोड़ रूपए का निवेश करेगी। देवास जिले के ग्राम सिरसौदा में निवेश किया जाएगा। जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 20 हजार मीट्रिक टन होगी। एक जनवरी 2025 तक प्रथम चरण का उत्पादन शुरू होगा और एक जनवरी 2028 तक परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा। प्रथम चरण में कंपनी द्वारा ग्रेफाइट विनिर्माण के लिए औद्यागिक क्षेत्र मंडीदीप स्थित इकाई परिसर में 1200 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश से किए जा रहे विस्तारीकरण के बाद यह इकाई ग्रेफाइट उत्पादन के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी कंपनी होगी।