शिव ‘राज’ के आगे कांग्रेस धड़ाम

शिव ‘राज’
  • अविश्वास पर टूटा कांग्रेस का विश्वास!
  • शिवराज ने खोली कांग्रेस के भ्रष्टाचार की पोल

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव का दांव खेला था, वह उसे उल्टा पड़ गया है। अविश्वास प्रस्ताव भाजपा के खिलाफ था, लेकिन सदन में कांग्रेस में ही अविश्वास दिखा। नेता आपस में बंटे दिखे। वहीं मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के 51 सवालों का जवाब देते हुए कमलनाथ के 15 माह की सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी।
भोपाल। मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पर दो दिन चला हंगामा बहुत शांति से थम गया। सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव सदन में लंबी और ऐतिहासिक चर्चा के बाद गिर गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार ढाई घंटे बोलकर कांग्रेस के आरोपों पर न केवल जवाब दिया, बल्कि कांग्रेस शासनकाल में हुए घपले-घोटालों की पोल खोल डाली। उन्होंने कहा कि वल्लभ भवन दलालों का अड्डा बन गया था, यह ऑन रिकॉर्ड कह रहा हूं। वहां बैठकर कौन-कौन पैसे गिनते थे। कितने पैसे बाद में इनकम टैक्स के छापे में बरामद हुए। एक्स सीएम का वीडियो वायरल हुआ। हमारी सरकार किसी की मेहरबानी पर नहीं बनी। मप्र का विकास मेरे जीवन का संकल्प है, हम जिएंगे मप्र के लिए, मरेंगे तो मप्र के लिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सदन में इस बार जैसी आक्रामकता दिखी, वैसी शायद ही पहले कभी दिखी थी। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को घेरने का जो खेल खेला था, वह खुद अपने बुने जाल में फंस गई है।
गौरतलब है कि विधानसभा में 21 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई। प्रस्ताव पर कांग्रेस के 31, भाजपा के 8 विधायक और 8 मंत्रियों ने पक्ष रखा। बता दें कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस शिवराज सरकार के खिलाफ 2011 के बाद पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा भी हुई, लेकिन चर्चा के बाद अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। दोनों पक्षों में तीखी बहस के बीच अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से नामंजूर हो गया। लेकिन कांग्रेस जिस उद्देश्य के साथ इस सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, उसमें वह पूरी तरह फेल हो गई। यानी वह भाजपा को घेर नहीं पाई। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने सदन में बताया था कि कांग्रेस 300 पॉइंट्स जुटाए हैं और चर्चा के लिए 51 बिंदुओं का चयन किया गया था। लेकिन सदन में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और पीसीसी चीफ कमलनाथ दोनों ही उपस्थित नहीं रहे, जिसे भाजपा ने मुद्दा बनाया।
कांग्रेस में नहीं दिखा विश्वास
शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस बंटी-बंटी नजर आई। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पहले दिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ गायब रहे और दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह अनुपस्थित रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘कांग्रेस हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में एक दूसरे पर ही अविश्वास है, कांग्रेस का आरोप रहता है कि सरकार हमने नहीं गिराई थी, बल्कि यह सरकार अपने अहंकार के कारण गिरी थी। अपने नेता सिंधिया जी को कहा था सडक़ पर उतर जाओ, फिर आपके साथी हमारे साथ आ गए और चुनाव लडक़र जीत कर आए। हमारे साथ आए सभी कांग्रेस विधायकों ने भारी मतों से जीत हासिल करी। इसलिए यह सरकार हमने नहीं गिराई थी, यह सरकार तो अपने खुद के अहंकार की वजह से गिरी थी।’ बता दें कि कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लिया था। विपक्षी दल कांग्रेस के लगातार हंगामे के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के अवश्विास प्रस्ताव के बिंदुओं पर अपना जवाब दिया। चौहान के लगभग ढाई घंटे के संबोधन के दौरान उन्होंने लगभग सभी बिंदुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल के दौरान की गतिविधियों को लेकर विपक्ष को लगातार घेरा। चौहान ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस 15 साल बाद सरकार में आई, तो जनता से किए अपने सभी वायदे पूरा करेगी। इस दौरान उन्होंने प्रतिपक्ष से ही कहा कि वे सोचें कि उनकी सरकार आखिर गिर क्यों गई। आज सदन की कार्यवाही के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की गैरमौजूदगी को भी उन्होंने रेखांकित किया।
किसान कर्जामाफी पर मुख्यमंत्री ने कहा- राहुल गांधी ने अंगुलियों पर गिनकर कहा था कि किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री बदल दूंगा। आपने कर्जमाफी का कचरा कर दिया। सीएम के इस बयान पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री सचिन यादव ने कहा कि 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ है। सीएम ने कहा- सचिन भाई इस उम्र में इतना गुस्सा ठीक नहीं। अरुण यादव ने ट्वीट कर इस सरकार के बारे में क्या लिखा था, याद है या नहीं? अगर ये सरकार ईमानदारी से कर्ज माफ करती तो 53 लाख के कर्जे माफ होते। आपने 7 हजार करोड़ कर्जा माफी का दिया है। इस पर तरुण भनोट ने कहा कि सीएम ने स्वीकार किया कि कांग्रेस सरकार ने कर्जा माफ किया है। सीएम ने कहा- आपने पांच महान काम किए। इस पर विधायक लक्ष्मण सिंह ने सीएम को टोकते हुए कहा कि अविश्वास के विषय पर जवाब दें। सीएम ने फिर कहा- कभी कलेक्टर-एसपी की पोस्टिंग में पहले पैसे नहीं लिए गए। लेकिन, कमलनाथ जी की सरकार में पैसे लेकर कई अधिकारी बदले गए। तीन-तीन कलेक्टर बदले। बात ये होती थी कि कौन कितने ज्यादा देने वाला है। मप्र के इतिहास में पदों की बंदरबांट की गई। अभी इसकी जांच चल रही है। सीएम के इस बयान पर खरगोन की कसरावद सीट से विधायक सचिन यादव ने कहा कि इनके पास प्रमाण हैं क्या? सीएम ने जवाब देते हुए कहा- मामला लोकायुक्त में चल रहा है। इससे पहले सीएम ने कहा- हर बार ये कहा जाता है कि हमने सरकार गिराई। 11 दिसंबर को रात में कांग्रेस 110-112 सीटों पर आगे थी। रात में ये निश्चय करके सोया था कि सुबह इस्तीफा दे दूंगा। कई मित्रों का कहना था कि बहुमत तो उनका नहीं है। मैं सीएम हाउस में था। भूपेंद्र जी आए। मुझे जोर देकर कहा गया कि इस्तीफा नहीं देना है, लेकिन मैंने कहा कि मेरा जमीर अनुमति नहीं देता। कांग्रेस की संख्या ज्यादा है। मैं सीधे घर से निकला और मीडिया से कहा कि मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं।

लचर अविश्वास प्रस्ताव
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर अपना जवाब पेश करते हुए कांग्रेस पर करारा हमला बोला। चौहान ने विपक्ष के आरोपों की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि ऐसा लचर अविश्वास प्रस्ताव मैंने तो देखा ही नहीं है। अगर अविश्वास की बात करें तो कांग्रेस में कौन, किस पर विश्वास करता है समझ में ही नहीं आता है। हम पर आरोप लगाए जाते हैं कि हमने सरकार गिराई। 11 दिसंबर 2020 को मतगणना का दिन था। रात के 2:00 बजे तक हमने चुनाव परिणाम देखें और जो परिणाम आए उसमें हमारी 109 सीटें थी कांग्रेस की 114 सीटें थी। रात में मैं निश्चय करके सोया था कि सुबह ही मैं इस्तीफा दे दूंगा। सीएम शिवराज ने कहा, कमल नाथ सरकार में 165 दिन में 450 आइएएस- आइपीएस के तबादले किए। 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के तबादले किए गए। वल्लभ भवन दलालों का अड्?डा बन गया था। सीएम के ओएसडी का वीडियो वायरल हुआ, उसके कारण भ्रष्टाचार की विष बेल जैसी फैली। पूरे मप्र में त्राहि-त्राहि मच गई थी। हकीकत यह है कि सिंचाई के लिए पाइप लाइन की गुणवत्ता से भी कांग्रेस सरकार ने खिलवाड़ किया था। नियम, शर्तों से भी खिलवाड़ किया। घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग कर पैसों की बंदरबांट हुई थी। कांग्रेस सरकार ने भाजपा के विधायकों, नेताओं से बदले की भावना से नियम विरुद्ध जाकर कार्रवाई करने की कोशिश की। संपत्तियों को नेस्तनाबूद करने का कुचक्र रचा, कई दुकानें तोड़ी गईं। हमने राजनीतिक विद्वेष में कभी कोई कार्रवाई नहीं की। प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए गुंडे, माफिया, बदमाशों पर कार्रवाई की, उनकी अवैध संपत्तियों को तोड़ा। लेकिन कांग्रेस सरकार ने भाजपा को निशाना बनाया था।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्र्रेस सरकार के 15 माह के कार्यकाल की करतूतों को गिनाया। इनमें पहला है सिंचाई परियोजनाओं में महाघोटाला। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने बांध की नींव से पाइपलाइन बिछाने तक राशि भुगतान का प्रावधान तय किया था, लेकिन कमलनाथ सरकार ने गलत तरीके से 877 करोड़ 57 लाख रु. भुगतान किया। छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स पाइपलाइन वितरण प्रणाली के उपयोग में आने वाली सामग्री बिना मिले ही 2 हजार करोड़ रुपए एडवांस दे दिए। आप प्रमाण मांग रहे हो, मौके पर एक चौथाई सामग्री भी प्राप्त नहीं हुई है। कौन से पाइप लगेंगे यह पहले से तय था, इन्होंने 18 टेंडर किए, जिनके जरिए पाइप खरीदी के लिए शर्तों में संशोधन कर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया गया। सीएम ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने प्रतिशोध की कार्रवाई की। सरकार में आते ही कांग्रेसियों ने भाजपा नेताओं पर प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई की। नरोत्तम बता रहे थे, उनके परिवार के लोग बंद थे। विजय शाह, भूपेंद्र सिंह, संजय पाठक और विश्वास सारंग। चुन-चुन कर लोगों पर प्रकरण लादे गए। जनकल्याण की योजनाएं बंद कर दीं। बैगा, सहरिया जैसी जनजातियों का 1000 रु. पोषण भत्ता बंद किया। इसे हमने शुरू किया। 15 महीने में इन जनजाति की बहनों के खाते में एक पैसा भी नहीं पहुंचा। संबल योजना बंद कर दी। मेधावी बच्चों को लैपटॉप नहीं दिए। जल जीवन मिशन शुरू नहीं किया। इसमें गांवों में पाइपलाइन बिछाकर टोंटी वाले नल से पानी देना था। आपने स्टेट फंड की राशि ही नहीं दी। सरकार आते ही सत्ता का अहंकार हो गया। कांग्रेस की सरकार गिरी अहम में। सिंधिया के ऊपर बाहें तान दीं। उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई।

ये बिना नेता की अराजक फौज
टंट्या मामा को लेकर हीरालाल अलावा और राम डंगोरे में बहस हुई। दांगोरे ने कहा कि कांग्रेस के समय टंट्या मामा को डाकू कहा जाता था। सीएम ने पेसा पर बोलना शुरू किया, इतने में कांग्रेस के आदिवासी विधायक हीरालाल अलावा, कांतिलाल भूरिया, ओमकार मरकाम हंगामा करने लगे। सीएम ने हीरालाल अलावा से कहा- मैं पेसा पर बोल रहा हूं, कम से कम पेसा तो सुन लो…। इस बीच गोपाल भार्गव ने हंगामे पर कहा- ये बिना नेता की अराजक फौज है। इनका नेता कौन है, ये तो बताएं। प्रतिपक्ष के दोनों नेता गायब हैं। मेरा अनुरोध है कि अपना नेता चुन लें। जनजातीय कार्यमंत्री मीना सिंह मांडवे ने भी कांग्रेस विधायकों के हंगामे पर नाराजगी जताई। सीएम ने कहा कि जब तक कांग्रेस की सरकार थी बैगा, सहरिया, भारिया सहित अन्य जनजातीय समुदाय के पात्र हितग्राहियों के खातों में राशि नहीं पहुंची थी। कांग्रेस ने जनजातीय समुदाय के साथ भी धोखा किया। गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई संबल योजना से लाखों गरीबों के नाम कांग्रेस की सरकार ने काट दिए। हमने बच्चों को लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी, कांग्रेस सरकार ने लैपटॉप बांटना भी बंद कर दिया था। सीएम शिवराज ने कहा कि हर घर तक नल से पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन योजना शुरुआत की, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने यह योजना शुरू ही नहीं की। प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब परिवारों के लिए आवास योजना शुरू की, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने मकानों के प्रस्ताव भी लौटा दिए और राज्य के अंश की राशि भी कम कर दी, जिससे लाखों गरीब परिवारों के मकान का सपना टूटा। यदि कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए कार्य किया होता, तो उनकी ही सरकार के मंत्री उन्हें छोडक़र हमारे साथ ना आते। हमारे पास आए साथियों का फैसला सही था और जनता ने उन्हें उपचुनाव में भारी बहुमत से फिर से निर्वाचित किया।
विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान पेसा अधिनियम के फायदे गिनाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को आदिवासी विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी इस वर्ग के लिए कुछ नहीं किया। इतने साल सरकार में रहे पर नियम नहीं बनाए। हमने प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा के नियम लागू कर दिए हैं। इसके तहत आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन के अधिकार दिए जा रहे हैं। कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने आदिवासियों की पंरपराओं को संरक्षित करने का प्रविधान न किए जाने का मुद्दा उठाया। वहीं, कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि पार्टी आदिवासियों के हित में कई काम किए थे, जो आपकी सरकार ने बंद कर दिए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा और मीना सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने शिवभानु सिंह सोलंकी, जुमना देवी को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। कांतिलाल भूरिया को मंत्री तक नहीं बनाया और आदिवासी हितैषी होने की बात करते हैं। कर्ज माफी को लेकर उन्होंने कहा कि केवल दिखावा किया गया। विभिन्न प्रकार की रोक लगाई गई, जिससे किसानों को कोई लाभ ना मिल सके, जबकि हमारी सरकार ने 17000 करोड़ रुपए का फसल बीमा बांटा। किसानों को 35972 करोड़ों रुपए का बिजली अनुदान 15196 करोड़ों रुपए की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 6352 करोड़ रुपए की राज्य सरकार की किसान सम्मान निधि की राशि दी गई किसानों को राहत राशि 3867 करोड़ रुपए दिए गए। सीएम शिवराज ने कहा कि प्रतिमाह रोजगार मेले लगाए जा रहे हैं जिनके माध्यम से स्वरोजगार दिया जा रहा है एक लाख से अधिक रिक्त पदों पर 15 अगस्त 2023 के पहले भर्ती हो जाएगी। प्रदेश के ऊपर बढ़ते कर्ज को लेकर लगाए आरोप का जवाब देते हुए कहा कि सीमा के अंदर ही विकास कार्यों के लिए ऋण लिया जा रहा है। इन्वेस्टर्स समिट हम करने जा रहे हैं, जिसमें निवेश आने की बड़ी संभावना है प्रदेश में अधोसंरचना विकास के कार्य तेजी से हो रहे हैं। एक्सप्रेसवे हो या फिर सिंचाई की सुविधा हर क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है।

सरकार हमने नहीं अहंकार ने गिराई
कांग्रेस की सरकार गिराने के आरोप पर सीएम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार हमने नहीं अहंकार ने गिनाई। हमें जनता ने जनादेश दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने कई योजनाओं को बंद करने का काम किया। ओमकार (डिंडौरी विधायक) आपके क्षेत्र में बैगा, सहरिया, भारिया तीन अति पिछड़ी जातियों को हमने तय किया था कि पोषण भत्ते के नाम पर एक हजार रुपए महीना दिया जाए। सरकार आते ही… हीरालाल (मनावर विधायक) सुन लेना जनजाति के बड़े पैरोकार हैं आप….। कभी आपने आवाज उठाई ये पैसा क्यों बंद कर दिया? सीएम ने कहा, यदि कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए कार्य किया होता, तो उनकी ही सरकार के मंत्री उन्हें छोडक़र हमारे साथ न आते। हमारे पास आए साथियों का फैसला सही था और जनता ने उन्हें उपचुनाव में भारी बहुमत से फिर से निर्वाचित किया। भाजपा ऑफिस में खाना खिलाने के आरोप पर सीएम ने कहा, बीजेपी कार्यालय में एक नया पैसा नहीं लगाया गया। आप अंधेरे में लट्ठ मारते रहते हो मित्र। सीएम ने कहा, आप कह रहे थे कि आर्थिक हालत खराब है। हमने कभी पैसों का रोना नहीं रोया। इस पर कांग्रेस विधायक राकेश मावई ने कागज दिखाते हुए कहा कि कृषि मंत्री ने जवाब में लिखा है कि खजाना खाली है। इस पर सीएम ने कहा- हमने कर्ज लिया, लेकिन सीमा से ऊपर नहीं लिया। मुख्यमंत्री ने कहा, हर घर तक नल से पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने जल जीवन मिशन योजना शुरुआत की, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने यह योजना शुरू ही नहीं कराई थी। प्रधानमंत्री ने गरीब परिवारों के लिए आवास योजना शुरू की, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने मकानों के प्रस्ताव भी लौटा दिए और राज्य के अंश की राशि भी कम कर दी, जिससे लाखों गरीब परिवारों के मकान का सपना टूटा। सीएम ने कहा- कमलनाथ जी को फोन करके कहा कि सीटें आपकी ज्यादा हैं, आपको बधाई। हम सरकार बना सकते थे, लेकिन हमने ये तय किया कि प्रतिपक्ष जो विपक्ष में रहे हैं, उन्हें सत्ता में आने का मौका मिलना चाहिए। इसके बाद मैंने उन्हें बधाई दी। मुझे उम्मीद थी कि कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई है, ढंग से काम करेगी। वचन निभाएगी। सीएम ने कहा- हेलिकॉप्टर से बात हो रही थी कि मैं हेलिकॉप्टर से जाता हूं। मैं कमलनाथ जी तो हूं नहीं कि हेलिकॉप्टर से चलता हूं। मैं सीएम नहीं था तो कार से जाता था। गोविंद सिंह ने सर्किट हाउस में खराब कमरा मिलने की बात कही थी। मैं बताना चाहता हूं कि मंदसौर में एक बार गया था, तो हमारे कमरे पर ताला लगा था। हमारे साथी यशपाल सिंह नाराज होने लगे कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ ये कैसा व्यवहार है, लेकिन हमने कहा कोई बात नहीं, हम दूसरे कमरे में रुक गए। सरकार क्यों गई? ये सोचो।
सीएम ने कहा, टेंडर की शर्तों में बांध की नींव बनने तक भुगतान का प्रावधान था। छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स में पाइपलाइन वितरण प्रणाली में लगने वाली सामग्री के 2 हजार करोड़ एडवांस दे दिए गए। सामग्री मिली नहीं। पाइपलाइन प्रणाली में कौन से पाइप लगेंगे, ये पहले तय था। उनकी शर्तों में 25-4- 2019 को शर्तों को बदल दिया गया। संदिग्ध गुणवत्ता की जीआरपी पाइपलाइन लगाने का प्रावधान किया गया। गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई संबल योजना से लाखों गरीबों के नाम कांग्रेस की सरकार ने काट दिए। हमने बच्चों को लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी, कांग्रेस सरकार ने लैपटॉप बांटना भी बंद कर दिया था। सीएम ने कहा, जब कांग्रेस सरकार जा रही थी, इस्तीफा देने के 15 मिनट पहले आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल देने के लिए 63 करोड़ का सौदा किया था। उद्योगपतियों पर दबाब डाला गया। निर्दोषों पर कार्रवाई की गई। नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, विश्वास सारंग, संजय पाठक को परेशान किया। मेरे विस क्षेत्र में एक कार्यकर्ता शांत हो गया, मैं उनके यहां बैठने गया, एक शिक्षक मुझसे मिलने आ गया, तो उसे सस्पेंड कर दिया। मैंने आरिफ भाई से और कमलनाथ से कहा कि उसे बहाल कर दो। कई दिन बोलने के बाद भी मैं उसे न्याय नहीं दिला पाया। मुझसे कह रहे थे कि 16 साल में आपको ऐसा नहीं देखा। मैंने नहीं, शुरुआत आपने की थी। कांग्रेस की सरकार में हमारे साथियों पर झूठे केस लादे गए। हमने गुंडों, दबंगों, माफियाओं पर कार्रवाई की। कोई इसे अहंकार न कहे। गुंडे, माफिया, जनता की जिंदगी से खेलने वाले नहीं बचेंगे। हम निर्दोषों को छेड़ेंगे नहीं, दोषियों को छोड़ेंगे नहीं।

भाजपा को मिलेगा सियासी फायदा
मप्र विधानसभा में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव 16 घंटे की बहस के बाद गिर गया है। अविश्वास शिवराज सरकार के खिलाफ लाया गया था, लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को होने वाला है। जबकि कांग्रेस की गुटबाजी जन-जन तक पहुंच गई है। जिसका कांग्रेस को बड़ा सियासी नुकसान होने की पूरी संभावना है। अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। यानी नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का अविश्वास प्रस्ताव ने मुख्यमंत्री को सियासी ऑक्सीजन देने का काम किया है। अविश्वास प्रस्ताव में 51 बिंदुओं के जरिए विपक्ष ने शिवराज सरकार पर अविश्वास जताया था। जिसमें से का भी कांग्रेस के पास तथ्य नहीं था। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री ने जब आरोपों का जवाब देना शुरू किया तो कांग्रेस बैकपुट पर नजर आई। कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल की कलई खोलकर रख दी। खास बात यह है कि इसके बाद से कांग्रेस खेमों में बंटी नजर आई है। नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में देर रात तक मौजूद रहे थे, लेकिन सुबह जब मुख्यमंत्री का जवाब आया तो नजर नहीं आए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अविश्वास प्रस्ताव से पूरी तरह से दूरी बना ली थी। वे पहले दिन सदन में पहुंचे, लेकिन फिर झांकने तक नहीं पहुंचे। उनके करीबी बताते हैं कि कमलनाथ को अविश्वास प्रस्ताव के बिंदुओं के संबंध में न तो कोई चर्चा की गई और न नही उनसे मत लिया गया। अविश्वास प्रस्ताव नेता प्रतिपक्ष के कार्यालय में भी तैयार नहीं हुआ। बताते हैं कि उसी के नजदीक वाले सरकारी आवास से 105 पेज का अविश्वास प्रस्ताव तैयार होकर आया था। जिसे नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने विधानसभा में अभिभाषण के दौरान सिर्फ पढ़ दिया था। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधायक जीतू पटवारी ने सरकार के खिलाफ तीखा हमला बोला था। प्रस्ताव गिरने के बाद भाजपा ने सदन के बाद पटवारी पर हमला बोल दिया है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा परिसर में प्रेस कॉफ्रेंस करके पटवारी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सदन में गलत जानकारी दी है। इसके बाद पूरी भाजपा पटवारी पर हमलावर हो गई। लगे हाथ प्रश्न संदर्भ समिति में भी पटवारी के जवाब की शिकायत कर दी गई है। खास बात यह है कि इस मामले में पटवारी अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। न तो नेता प्रतिपक्ष का जवाब आया और न ही कमलनाथ एवं अन्य नेता ने अभी तक पटवारी का साथ दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांगे्रस छोडऩे के बाद से यह चर्चा थी कांग्रेस में गुटबाजी लगभग खत्म हो गई है, लेकिन शिवराज सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से कांगे्रस की गुटबाजी गहरी होती दिखाई पड़ रही है। अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस के एक गुट का माना जा रहा है। यही वजह है कि इससे कमलनाथ ने पूरी तरह से दूरी बना ली थी। कांग्रेस की गुटबाजी का सबसे बड़ा फायदा हमेशा की तरह भाजपा को अगले विधानसभा चुनाव में मिलेगा। सदन में चर्चा के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने यह बात स्वीकारी थी कि भाजपा की सरकार उनके अच्छे कार्यों की वजह से नहीं बन रही थी, बल्कि हमारी (कांग्रेस)की गलतियों की वजह से बनी थी। कांग्रेस की इसी गलती का फायदा भाजपा को फिर मिल सकता है।

Related Articles