
निर्देशों को दरकिनार कर नए हितग्राहियों को जारी कर दी राशि
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। गुना नगर पालिका में अफसरों की मनमानी की वजह से पीएम आवास योजना के हजारों हितग्राहियों को सालों के इंतजार के बाद भी किस्त की राशि नहीं मिल पा रही है, इसके उलट उन हितग्राहियों को किस्त की राशि जारी कर दी गई है , जिनके नाम हाल ही में इस योजना में शामिल कर आवास स्वीकृत किए गए हैं। खास बात यह है कि किस्त के अभाव में हजारों मकानों को पूरा होने के लिए महज छत का ही इंतजार है, लेकिन निर्देशों का उल्लंघन करते हुए नगर पालिका प्रबंधन ने किस्त की राशि उन्हें देने की जगह नए हितग्राहियों के खाते में भेज दी है। इस मामले में हो हल्ला शुरू हुआ तो सीएमओ बगैर किसी सूचना के गायब हो गए हैं। अब उन्हें कई हफ्तों से हितग्राही ढूढ़ते फिर रहे हैं , लेकिन उनका कोई पता ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। दरअसल गुना पना द्वारा करीब छह साल पहले 4,338 हितग्राहियों के पीएम आवास स्वीकृत किए गए थे , लेकिन उन्हें अब तक एक भी किस्त की राशि नहीं दी गई है। इसके इतर नपा प्रबंधन द्वारा पूर्व से लंबित वरीयता सूची के हितग्राहियों की जगह इस साल की सूची में शामिल 187 नवीन हितग्राहियों के खातों में किस्त डाल दी गई और गायब हो गए। इस मामले में रिश्वत लेकर किस्त जारी करने के आरोप लगे तो कलेक्टर ने इसके जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उधर, मामले के जोर पकड़ने पर इस योजना के नोडल अधिकारी अफसर भी बगैर अवकाश लिए गायब हो गए हैं। अब इस मामले की रिपोर्ट भी कलेक्टर ने शासन को भेज दी है। बताया जाता है कि इस पूरे मामले में सीएमओ, उपयंत्रियों, आरआई सहित 22 कर्मचारी शामिल पाए गए हैं।
हजारों आवास पड़े हैं अधूरे
पीएम आवास योजना में बीते छह सालों से 2100 आवासों को पूरा होने का इंतजार बना हुआ है। इस मामले में खास बात यह है कि योजना के लिए निर्देश हैं कि जिन लोगों को वर्ष 2016 से आज तक एक भी आवास की किस्त नहीं डाली गई है, उनके खाते में सबसे पहले राशि डाली जाए , लेकिन यहां पर उनकी जगह इसी साल के आवासों के लिए राशि जारी कर दी गई है।
सागर में 13775 हितग्राही परेशान
शहर में करीब 13775 ऐसी हितग्राही ऐसे हैं, जिन्हें दूसरी व तीसरी किस्त ही नहीं मिली। हालांकि नगर निगम का कहना है कि जियो टैगिंग के साथ ही किस्तों का आवंटन हो रहा है। वहीं हितग्राहियों का कहना है कि उनके द्वारा आवास बनाने के लिए किस्त के अभाव में यहां-वहां से रुपये उधार लेकर आवास बना लिया। अब एक-एक साल से दूसरी व तीसरी किस्त नहीं मिली। हमने सोचा था, जिनसे रुपये लिया है, उन्हें किस्त मिलते ही चुका देंगे, लेकिन किस्त के भुगतान में हो रही देर से हम कर्जदार बनकर रह गए हैं।