पेपरलेस वर्क में माननीयों की रूचि नहीं

  • मप्र के आधे से अधिक विधायक अभी भी पूछते हैं ऑफलाइन सवाल
विधानसभा

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।  मप्र के माननीयों को टक्नोफ्रेंडली बनाने के लिए विधानसभा ने ट्रेनिंग के साथ ही तमाम सुविधाएं दी हैं, लेकिन मप्र के आधे से आधिक  विधायक आज भी आॅफलाइन सवाल पूछ रहे हैं। यह स्थिति तब है जब  मप्र विधानसभा भी पेपरलेस की तरफ कदम बढ़ा रही है। फिलहाल राशि नहीं मिलने से पेपरलेस विधानसभा का सपना अभी अधर में लटक गया है, वहीं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की मंशा है कि, दूसरे राज्यों की तरह मप्र विधानसभा भी पेपरलेस हो जाए, लेकिन सरकार से फिलहाल बजट की स्वीकृति नहीं मिली है, जिसके चलते इस बार का शीतकालीन सत्र भी पेपर वाला होगा। हालांकि प्रदेश के विधायकों को आजादी है कि वे विधानसभा में ऑनलाइन सवाल पूछें या ऑफलाइन ऑफलाइन सवाल पूछने के लिए विधानसभा सचिवालय ने विधायकों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया। प्रोत्साहित किया, लेकिन ज्यादातर विधायक ऑफलाइन ही हैं। यानी उनकी रुचि ऑनलाइन सवाल पूछने में नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इस बार 50 प्रतिशत से ज्यादा विधायकों ने ऑफलाइन ही सवाल पूछे हैं। शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से शुरू होगा। इसके लिए कुल 1632 लिखित सवाल विधायकों ने पूछे हैं। 783 सवाल ऑनलाइन और 849 सवाल ऑफलाइन पूछे गए हैं। पिछले सत्र में भी कुछ ऐसी ही स्थिति रही। ऑनलाइन सवाल न पूछने पर विधायकों के अपने-अपने तर्क हैं। राजपुर विधायक बाला बच्चन के अनुसार ऑफलाइन सवाल पूछने का एकमात्र कारण व्यस्तताएं रहीं। ऑफलाइन के लिए फॉर्मेट में देना सुविधाजनक रहा, इसलिए सवाल सचिवालय को भेज दिए गए। 15वीं विधानसभा के लिए चुने गए विधायक, 14वीं विधानसभा की तुलना में ज्यादा शिक्षित हैं। हालांकि इनमें से 12 विधायक ऐसे भी हैं जो या तो सिर्फ साक्षर हैं या प्राइमरी (5वीं) पास हैं।
शीत सत्र में 69 विधायकों ने ऑनलाइन सवाल पूछे
कुल 230 विधायकों की संख्या बल वाली मध्यप्रदेश विधानसभा में आगामी शीत सत्र के लिए मात्र 141 विधायकों ने ही लिखित सवाल पूछे हैं। इनमें से 72 विधायकों ने ऑफलाइन, जबकि 69 विधायकों ने ऑनलाइन सवाल पूछे हैं। इस संदर्भ में विधायक भोपाल उत्तर आरिफ अकील का कहना है कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ ऑफलाइन ही सवाल लगाता हूं। जब जैसी सुविधा होती है उसी तरह सवाल लगा देता हूं। ऑनलाइन में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। कोतमा विधायक सुनील सराफ का कहना है कि पुराने सिस्टम के तहत ऑफलाइन सवाल पूछ रहे हैं। आॅनलाइन सवाल पूछने को आदत में शामिल नहीं कर पाया हूं। इस बार सोचा था कि ऑन  लाइन सवाल पूछेंगे, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने के कारण ऐसा नहीं हो सका। विधायक महिदपुर बहादुर सिंह चौहान का कहना है कि भोपाल में ही था, इसलिए विधानसभा सचिवालय पहुंचकर आॅफलाइन सवाल दे दिए। हमारे लिए ऑनलाइन प्रक्रिया सुविधाजनक है, लेकिन सुविधा के अनुसार ऑफलाइन भी सवाल पूछ लेता हूं।
इस बार सिर्फ 783  ऑनलाइन सवाल
विस सचिवालय ने सभी विधायकों को सवाल से लेकर ध्यानाकर्षण, शून्यकाल की सूचनाएं, याचिकाएं, स्थगन प्रस्ताव तक ऑनलाइन पूछने की सुविधा दी है, लेकिन प्रदेश के विधायकों की ऑनलाइन सवाल पूछने में रुचि ज्यादा नहीं है।  इस माह होने वाले शीतकालीन सत्र के लिए भी इस बार ऑनलाइन सिर्फ 783 सवाल ही पूछे गए है, जबकि ऑफलाइन सवालों की संख्या 849 है। प्रदेश विस का शीतकालीन सत्र इस बार 19 दिसंबर से 23 दिसंबर के बीच होने जा रहा है। 29 नवंबर तक इस सत्र के लिए सवाल पूछने की अंतिम तारीख थी, आखिरी दिन तक 58 सवाल ऑनलाइन पूछे गए, जिसमें ऑफलाइन 68 सवाल पूछे गए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि, शिवराज सरकार सिर्फ अपनी ब्रांडिंग में पैसा पानी की तरह बहा रही हैं, विधानसभा को पेपरलेस नही करना चाहती सरकार, जहां तक बजट का सवाल है तो मध्यप्रदेश सरकार को तो बहुत कम राशि देनी है। पेपरलेस विधानसभा होने से जानकारी जनता को पता चलेगी, इसलिए शिवराज सरकार इस तरफ कदम नहीं बढ़ा रही है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि, ई विधान व्यवस्था लागू होने के बाद दैनिक कार्यसूची, प्रश्नोत्तरी, बिल समेत सब कुछ डिजिटल होगा, इसके बाद पेपर पर कुछ नहीं होगा, इससे विधानसभा के 54 करोड़ रुपये हर साल बचेंगे और 28 करोड़ रुपए के ्र4 साइज के कागज बचेंगे। इससे हमारा 70 प्रतिशत खर्च कम होगा। हर विधायक की सीट के सामने कम्प्यूटर सिस्टम लगाया जाएगा, जिसमें पूरी जानकारी सिंगल क्लिक से मिलेगी। यानि पूरी विधानसभा हाईटेक और डिजिटल होगी।

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