फाइल एक टेबिल से दूसरी टेबिल पर भेजकर नहीं की जा रही कार्रवाई

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का शिक्षा महकमा ऐसा है, जो अपनी कार्यप्रणाली की वजह से हमेशा से ही चर्चा में बना रहता है। इस विभाग के अफसर अपने ही कर्मचारियों को न्याय दिलाने की जगह उन्हें भटकाने में लगे रहते हैं। इसकी वजह से छोटे कर्मचारियों में न केवल बड़े अफसरों को लेकर अंसतोष पनप रहा है बल्कि वे मानसिक रुप से भी परेशान हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस तरह के मामले दूर दराज के इलाकों में हैं, बल्कि ऐसे कई मामले तों राजधानी भोपाल के ही हैं। इनमें शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हमीदिया क्रमांक एक फतेहगढ़ की प्राचार्य विमला शाह के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत हुई थी। डीईओ की जांच कमेटी ने उक्त शिकायत को सही पाया तो प्राचार्य पर कार्रवाई के लिए जेडी भोपाल को जांच प्रतिवेदन भेज दिया। जेडी ने लोक शिक्षण को और फिर लोक शिक्षण ने उसे दोबारा जेडी को भेज दिया। अब कार्रवाई के लिए मामला दो साल से लटका हुआ है। इसी तरह से प्राथमिक शाला मालीखेड़ी में लंच टाइम में स्कूल से बाहर निकले छात्र को वैन ने रौंद दिया था। छात्र के पिता जब स्कूल पहुंचे, तो टीचर प्रमोद कुमार शर्मा ने मृतक छात्र के पिता से बेहद अभद्रता पूर्ण टिप्पणी करते हुए दुर्व्यवहार भी किया। मामले में कलेक्टर के जांच के निर्देश के बाद डीईओ ने शिकायत को सही पाया, जिसके बाद डीईओ ने उक्त शिक्षक का निलंबन प्रस्ताव जेडी आफिस भेजा, जिस पर जेडी अरविंद चौरगड़े ने शिक्षक को निलंबित करने की जगह नोटिस देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह तो महज दो उदाहरण है। विभाग में ऐसी की कई जांचे है जिनके मामले सालों तक लटकाए रखे जाते है। इन मामले में डीईओ स्तर जांच कमेटी के प्रतिवेदन पर कार्रवाई के लिए प्रस्ताव बनाया जाता है, तो आला अधिकारी द्वारा दोषियों पर कार्रवाई तक नहीं की जाती है।
इस तरह के बने हुए है हालात
दो साल पहले प्राचार्य शासकीय कन्या उमावि हमीदिया क्रमांक एक फतेहगढ़ की प्राचार्य के खिलाफ शिकायत हुई थी। जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर प्राचार्य रंजन शर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई। रंजन शर्मा की कमेटी ने जांच कर प्रतिवेदन डीईओ नितिन सक्सेना को सौंपा दिया। जांच प्रतिवेदन में प्राचार्य द्वारा दुर्व्यवहार करने एवं भृत्यों को परेशान करने संबंधी आरोपों की पुष्टि हुई। जांच प्रतिवेदन में प्राचार्य के संतुलित सव्यवहार न करने, अपमानित करने एवं दुर्व्यवहार करने, यहां तक कि छात्राओं के समक्ष भी यह स्थितियां उत्पन्न करने का दोषी पाया गया। डीईओ ने जांच प्रतिवेदन जेडी आफिस भेज दिया। जेडी आफिस से प्रतिवेदन सीधे लोक शिक्षण पहुंचा। लोक शिक्षण ने प्रतिवेदन जेडी भोपाल के अभिमत के लिए दोबारा भेज दिया। यह प्रतिवेदन अभी जेडी आफिस में ही धूल खा रहा है। जिससे प्राचार्य पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। दूसरी तरफ जांच प्रतिवेदन में दोषी पाए जाने के बाद प्राचार्य ने करीब एक साल के अंदर दो व्याख्याताओं को तक निलंबित करवा दिया। ज्योति पांडे समेत कुछ अन्य कर्मचारी स्कूल छोड़कर जा चुके है। इनमें निलंबित व्याख्याता सर्वेश पालीवाल व मंजू शर्मा शामिल है। व्याख्याता सर्वेश का निलंबन बहाल हो चुका है।
कैंसर पीड़िता शिक्षिका को भी नहीं बख्शा
प्राचार्य विमला शाह द्वारा आरोप लगाकर व्याख्याता मंजू शर्मा का भी निलंबन करवाया दिया गया। मंजू शर्मा कैंसर मरीज है। आनन-फानन में लोक शिक्षण से उन्हें निलंबित भी कर दिया गया। कैंसर की गंभीर बीमारी से पीड़ित मंजू शर्मा बीते पांच माह से निलंबित चल रही हैं। उन्हें सैलेरी तक नहीं मिली है। जिससे वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के साथ मानसिक रूप से प्रताड़ना झेल रही है। वेतन नहीं मिल पाने के कारण वह अपना इलाज तक नहीं करवा पा रही है। लेकिन फिर भी लोक शिक्षण के अफसर संवेदनशीलता दिखाने को तैयार नही है।