
- तालाबों की तुलना में नदियों का पानी रहेगा सस्ता
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब तक नगरीय निकायों द्वारा जमकर नदियों से पानी लिया जा रहा है और उसकी सप्लाई के नाम पर आम लोगों से कर की वसूली की जाती है, लेकिन अब नदियों से पानी लेने पर निकायों को भी उसका भुगतान हर हाल में करना होगा। नदियों का यह पानी भी तब मिलेगा जब निकायों द्वारा अपनी जरूरत के हिसाब से पानी आरक्षित कराकर उसका फिक्सेशन कराया जाएगा। फिलहाल प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी सभी निकायों को 285 एमसीएम पानी की जरूरत रहती है।
जल संसाधन विभाग ने सभी निकायों को पानी के आरक्षण और फिक्सेशन के लिए कह दिया है। इसके लिए उन्हें 6 महीने का समय दिया गया है। फिक्सेशन 10 से 15 सालों के लिए किया जाएगा। यह अवधि समाप्त होने के बाद नए सिरे से मांग जारी करनी होगी , जिसके आधार पर जल संसाधन विभाग इसका फिक्सेशन किया जाएगा। खास बात यह है कि निकाय अपनी मर्जी के हिसाब से पानी का फिक्सेशन नहीं करा सकेंगे, बल्कि इसके लिए उन्हें निकाय की आबादी की भी जानकारी देनी होगी। तय मानकों के अनुसार 25 हजार की आबादी में करीब एक एमसीएम पानी की आवश्यकता होती है।
नदियों से लिए गए पानी के बिल की राशि हर तिमाही में जमा करना होगी। समय सीमा में बिल जमा न करने पर निकायों को बिल पर अधिभार भी देना होगा। खास बात यह है कि निकायों से पानी के एवज में मिलने वाली राशि का उपयोग विभाग द्वारा नदियों और जल संरक्षण के काम पर किया जाएगा। गौरतलब है कि मप्र देश का ऐसा राज्य है जहां पर सर्वाधिक नदियां बहती हैं। प्रदेश में छोटी -बड़ी नदियों की संख्या दो सौ से अधिक हैं।
तालाब से सस्ता होगा नदियों का पानी
इस नए नियम के बाद से नदियों पर पानी के लिए दबाव बढ़ना तय है। इसकी वजह है नदियों का पानी तालाब के पानी से सस्ता होना। तालाब के पानी के लिए जहां निकायों को 64 पैसा प्रति क्यूबिक मीटर की दर से भुगतान करना होगा तो नदियों से पानी लेने पर दर 32 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर की रहने वाली है। इस वजह से निकायों का पानी लेने के लिए नदियों पर अधिक फोकस रहेगा। शहरी और नगरीय क्षेत्रों में वर्ष 2026 तक सौ फीसदी घरों तक नल के जरिए पानी पहुंचाने के गारंटी सरकार ने ली है। इससे पानी की खपत तीन से चार गुना तक बढ़ने की संभावना है। वैसे भी शहरी इलाकों में तो खासतौर पर सतही जल के स्रोत अब धीरे-धीरे दम तोड़ते जा रहे हैं।
पुराना भुगतान करना होगा पहले
खास बात यह है कि जल संसाधन विभाग निकायों को पानी का फिक्सेशन तभी करेगा जब निकाय उसका बकाया भुगतान कर देंगे। अगर निकायों के बकाया की बात की जाए तो अकेले प्रदेश के चार निगम ऐसे हैं जिनसे ही जल संसाधन विभाग को 285 करोड़ रुपए लेना है। इनमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, खंडवा नगर निगम शामिल हैं। पानी के फिक्सेशन के मामले में इंदौर नगर निगम ने बाजी मार ली है। इंदौर नगर निगम ने नर्मदा नदी से पानी लेने के लिए पानी का फिक्सेशन करा लिया है। इस निकाय ने 25 हजार की आबादी पर एक एमसीएम पानी के हिसाब से फिक्सेशन कराया है। जबकि भोपाल, जबलपुर, उज्जैन सहित अन्य नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद को पानी का फिक्सेशन अभी कराना है।
इन नदियों से होती है जलापूर्ति
प्रदेश में अकेले 15 शहर तो ऐसे हैं , जो सिर्फ नर्मदा नही के किनारे पर बसे हुए हैं। जबकि अन्य नदियों पर बसे नाियों की संख्या भी करीब एक दर्जन है। इन निकायों में तो अभी नदियों से पेयजल की आपूर्ति की ही जाती ह, साथ ही आसपास के कई निकायों में भी इन्ही नदियों से पानी की आपूर्ति की जाती है। प्रदेश में जिन नदियों से निकायों द्वारा मुख्य रूप से पानी लिया जाता है उनमें नर्मदा, बेतवा, टोंस, चंबल, सिंध, क्षिप्रा, सोन, ताप्ती ,केन, कालीसिंध और पार्वती नदी शामिल है।