सरेंडर करने पर… नक्सलियों को शिव सरकार देगी कई सुविधाएं

शिव सरकार
  • पॉलिसी तैयार, सीएमओ भेजा गया प्रस्ताव

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है जहां पर भाजपा की शिवराज सरकार बनने के बाद से  डाकुओं को पूरी तरह से समाप्त किया जा चुका है। अब सरकार के निशाने पर नक्सली हैं।  शिव सरकार हर हाल में प्रदेश को पूरी तरह से नक्सल मुक्त बनाने के प्रयासों में है। यही वजह है कि अब प्रदेश में अपनी खुद की  नक्सली सरेंडर पॉलिसी तैयार की गई है। इस पॉलिसी में नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कई तरह की सुविधाएं देने की तैयारी है। इस पॉलिसी का प्रारूप तैयार कर लिया गया है, जिसे अब मुख्यमंत्री सचिवालय को भजे दिया गया है।
मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा।  इस संबंध में गृह विभाग कई बार राजस्व, पुलिस और वन विभाग के साथ चर्चा कर चुका है, जिसके बाद ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस सरेंडर नीति के तहत सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को घर, खेती, 5 लाख रुपए और कई अन्य सुविधाएं देगी। इसके अलावा इलाज, राशन और प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए हर महीने 6 हजार रुपए देगी। नक्सली कैडर के हिसाब से सरेंडर होने पर इनाम भी दिया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपए की धनराशि के साथ ही सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। जो माओवादी सजा काटने के लिए जेलों में बंद हैं, उन्हें पुलिस का सूत्रधार बनने पर पैरोल भी मिलेगी। आत्मसमर्पण के बाद अच्छे काम करने वाले नक्सलियों को पुलिस में भी भर्ती किया जा सकता है। इसके साथ ही सरकारी योजना के तहत आवास और खाद्यान्न भी दिया जाएगा।  यह बात अलग है कि हाल ही में प्रदेश में कई नामचीन और कुख्यात नक्सली मारे जा चुके हैं।
सरेंडर को किया जाएगा प्रोत्साहित
मध्य प्रदेश में नक्सलियों के लिए आत्मसमर्पण नीति नहीं थी, जिसके चलते बीते 20 सालों में राज्य में एक भी नक्सली ने सरेंडर नहीं किया है। हाल के सालों में मध्य प्रदेश के मंडला, डिंडौरी, बालाघाट में नक्सल गतिविधियां बढ़ी हैं। नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने वाली टीम ने खुद इस बात को स्वीकार किया है।  राज्य में अभी करीब 100 नक्सली एक्टिव हैं।  ऐसे में सरकार ने राज्य में नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सरेंडर नीति लागू करने जा रही है।  दरअसल बीते कई सालों में यह देखा गया है कि मध्य प्रदेश में सिर्फ शरण लेने के लिए नक्सली आते हैं।  कुछ महीनों के लिए मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में कैंप करते हैं।  ऐसा इसलिए किया जाता है कि क्योंकि छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ फोर्स का मूवमेंट तेज होता है।  खासतौर से सर्दी के समय में नक्सली मप्र में तीन महीनों के लिए कैंप करते हैं।  पुलिस व नक्सलियों के मूवमेंट के दौरान आमना-सामना जरूर हो जाता है।

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