
- रॉबिनहुड अंदाज से भ्रष्टों, माफिया पर गिर रही मामा की गाज
जनता के लिए नरम दिल मामा के रूप में ख्यात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों भ्रष्टों, माफिया, तस्करों, गुंडे-बदमाशों से रॉबिनहुड अंदाज से निपट रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस कडक़ अंदाज से शासन-प्रशासन में जनता का महत्व बढ़ा है। वहीं भ्रष्टों और माफिया पर मामा की गाज गिर रही है। शिव के इस कडक़ अंदाज को देखकर जनता पूरी तरह उन पर कुर्बान दिख रही है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री अब जहां भी जाते हैं आमजन उनके पास पहुंचकर अफसरों की शिकायत करने से झिझकते नहीं हैं। वहीं मुख्यमंत्री उनकी शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई कर मप्र में सुशासन को मजबूत बना रहे हैं।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक ही सपना है कि मप्र देश में सबसे न्यारा बने। इसके लिए प्रदेश को भ्रष्टाचारमुक्त, माफियामुक्त, गुंडाराज मुक्त बनाने के लिए इन दिनों वे कुछ अलग अंदाज से सरकार चला रहे हैं। चौथी पारी शुरू करते ही वे एंग्री यंगमैन की भूमिका में आ गए। कभी वे मंत्रियों से सवाल जवाब कर रहे हैं, तो कभी अफसरों को डांट फटकार रहे हैं। ये उनकी नई पहचान बन गई! सौम्य, सहज और मिलनसार स्वभाव वाले शिवराज का ये नया चेहरा समझ से परे है। इस बार एक्शन वाले रोल में हैं। इसलिए सब कह रहे हैं कि सरकार बदली-बदली सी नजर आ रही है। मप्र को सुशासित राज्य बनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान इस समय पूरी तरह एक्शन में हैं। मामा के एक्शन को देखकर अफसरान सकते में हैं। वजह यह है कि अफसरों की तनिक भी नाफरमानी बर्दाश्त नहीं की जा रही है। पहले छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज कर देने वाले मुख्यमंत्री अब किसी को बख्शने के मूड में नहीं हैं। अफसरों को गलती की सजा तत्काल मिल रही है। इसलिए मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर तक अफसर पूरी तरह सजग और सतर्क हैं। मुख्यमंत्री का सिर्फ मूड ही नहीं बदला, उनके व्यवहार में भी बदलाव नजर आ गया। कुछ महीने के दौरान सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही, अफसरों के प्रति उनकी सख्ती! भाषा में भी और कार्रवाई में भी। वे अब लापरवाहियों को अनदेखा नहीं कर रहे, बल्कि उसके जिम्मेदारों को सामने लाने की कोशिश में है। जिस तरह शिवराज सिंह समस्याओं को इंगित कर रहे हैं, इससे साफ लग रहा है कि अफसर घोर लापरवाही कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने चौथी पारी अलग अंदाज से शुरू की। कोरोना संक्रमण के बीच उन्होंने जनता के बीच उपस्थित होकर अपनी लोकप्रियता को सातवें आसमान पर पहुंचाया। वहीं माफिया, अपराधियों पर नकेल कसने के साथ ही भ्रष्ट-कामचोर अधिकारियों, कर्मचारियों को सबक सिखाया जा रहा है। जनता के काम में तनिक भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री का यह रॉबिनहुड वाला अंदाज जनता को खूब भा रहा है। कभी वे देर रात तक अफसरों से मीटिंग करते हैं, तो कभी अलसुबह उठकर अधिकारियों की क्लास लेते दिखाई देते हैं। सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना और अफसरों की खिंचाई करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। शिवराज सिंह चौहान इन दिनों एंग्री यंगमैन की भूमिका में आ गए हैं। कभी वे मंत्रियों से सवाल-जवाब कर रहे हैं, तो कभी अफसरों को डांट फटकार रहे हैं। ये उनकी नई पहचान बन गई है। सौम्य, सहज और मिलनसार स्वभाव वाले शिवराज का ये नया चेहरा समझ से परे है। इस बार वे एक्शन वाले रोल में हैं। इसलिए सब कह रहे हैं कि सरकार बदली-बदली सी नजर आ रही है। सत्ता के गलियारों में यही चर्चा है, कि ‘साहेब’ कडक़ हो गए हैं। उनके ऐसे मिजाज से सब हैरान भी हैं। आखिर वे क्यों बदलते जा रहे हैं, फिलहाल ये यक्ष प्रश्न है?
शिवराज की भ्रष्टों पर पैनी नजर
मुख्यमंत्री का एक्शन कई अफसरों पर भारी पडऩे लगा है। इसकी वजह यह है कि शिवराज योजनाओं में गड़बड़ी करने वाले अफसरों पर पैनी नजर रखने के साथ उन पर कार्रवाई करने से भी नहीं चूक रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ दिनों से सुबह साढ़े छह बजे ही बजे अफसरों की क्लास लेना शुरू कर दिया है। वे हर रोज दो जिलों के सरकारी अफसरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हैं और उन्हें सख्त हिदायत तो देते ही हैं। साथ में गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई भी करते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री से जुड़े लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास से हर जिले में योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संवाद किया जा रहा है और इस दौरान कई ऐसी जानकारियां उनके पास आ रही हैं जो आसानी से सुलभ नहीं होती, क्योंकि अधिकारी गड़बडिय़ों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री ने अपना एक अलग से खुफिया तंत्र विकसित कर लिया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि एक जिले के कलेक्टर से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने उस इलाके के भ्रष्ट अफसरों की सूची तक उन तक पहुंचा दी और कार्रवाई के निर्देश भी दिए। ज्यादातर शिकायतें आवास निर्माण से लेकर राशन वितरण और पानी व बिजली से जुड़ी आ रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क विकसित करें और भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई भी करें।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ महीनों से अलग मूड में नजर आ रहे हैं। कभी वे देर रात तक अफसरों से मीटिंग करते हैं, तो अलसुबह उठकर अधिकारियों की क्लास लेते दिखाई देते हैं। सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना और अफसरों को खिंचाई करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। सिर्फ उनका मूड ही नहीं बदला, उनके व्यवहार में भी बदलाव नजर आ गया। कुछ महीने के दौरान सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही, अफसरों के प्रति उनकी सख्ती! भाषा में भी और कार्रवाई में भी। वे अब लापरवाहियों को अनदेखी नहीं कर रहे, बल्कि उसके जिम्मेदारों को सामने लाने की कोशिश में हैं। लेकिन, इसका कारण खोजने की कोशिश नहीं हो रही! जबकि, जिस तरह शिवराज सिंह समस्याओं को इंगित कर रहे हैं, साफ लग रहा है कि अफसर घोर लापरवाही कर रहे हैं! शिवराज सिंह चौहान इन दिनों एंग्री यंगमैन की भूमिका में आ रहे हैं। कभी वे मंत्रियों से सवाल जवाब रहे हैं, तो कभी अफसरों को डांट फटकार रहे हैं। ये उनकी नई पहचान बन गई! सौम्य, सहज और मिलनसार स्वभाव वाले शिवराज का ये नया चेहरा समझ से परे है। इस बार एक्शन वाले रोल में हैं। इसलिए सब कह रहे हैं कि सरकार बदली-बदली सी नजर आ रही है। सत्ता के गलियारों में यही चर्चा है, कि ‘साहेब’ कडक़ हो गए। उनके ऐसे मिजाज से सब हैरान भी हैं। आखिर वे क्यों बदलते जा रहे हैं, फिलहाल ये यक्ष प्रश्न है?
दोषी तत्काल होंगे दंडित
अपनी तीन पारियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कभी-कभार एक्शन मोड में नजर आते थे। लेकिन चौथी पारी में वे शुरू से एक्शन मोड में हैं। मंत्री, विधायक, अधिकारी हो या फिर कर्मचारी वे सबको ताने हुए हैं। अफसरों को फ्री हैंड देने के साथ ही उन पर लगातार लगाम कसी जा रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोषियों को तत्काल दंडित किया जा रहा है। गत दिनों मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों और विधायकों से वर्चुअल संवाद किया और उनसे स्पष्ट कह दिया कि भ्रष्टाचार के प्रति राज्य शासन की जीरो टॉलरेंस की नीति है। भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्यवाही की जा रही है। जहां गड़बड़ होगी वहां दोषियों को तत्काल दंडित किया जाएगा। महिला बाल विकास विभाग में 104 लोगों पर कार्रवाई की गई है और 26 को नौकरी से बाहर किया गया है। जनता को राहत देने के लिए स्वच्छ प्रशासनिक व्यवस्था का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है। मैदानी पोस्टिंग में कर्मठ और संवेदनशील अधिकारी-कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। दरअसल, मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, विधायकों को सुशासन का पाठ पढ़ाकर एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। दरअसल, प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने उन्हें भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का बयान देकर सजग किया कि वे समय से पहले चेत जाएं, नहीं तो स्थिति बिगड़ सकती है। पहले मुख्यमंत्री जहां सिर्फ अधिकारियों को हिदायत देते थे, अब मंत्रियों और विधायकों को हिदायत देने में देर नहीं कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर शिवराज ने एक मंत्री के निजी सचिव को बर्खास्त कर दिया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों को लेकर ऐसा ही किया था। अब मुख्यमंत्री भी उसी फॉर्मूले पर चल रहे हैं। उन्होंने अपने मंत्रियों को दलालों से दूर रहने को कहा और सबको जनसेवा के नए-नए आईडियों पर काम करने की नसीहत दी। शिवराज ने यह भी कहा था कि वे जब भोपाल में रहेंगे, तो रोज किसी न किसी मंत्री के साथ चाय पर चर्चा करेंगे, उन्होंने यह किया भी और इसके नतीजे भी सामने आए। शिवराज सिंह के बदले हुए व्यवहार के कारण क्या हैं, इसे लेकर अलग-अलग कारण गिनाए जा रहे हैं। एक साल बाद विधानसभा चुनाव होना है और शिवराज सिंह नहीं चाहते कि उनकी सरकार की कोई भी खामी जनता की नाराजगी का कारण बने और उससे चुनाव नतीजे प्रभावित हों! वे अपनी इमेज जनता के मुख्यमंत्री के रूप में बनाना चाहते हैं, जो केंद्र में नरेंद्र मोदी और उप्र में योगी आदित्यनाथ की बनी है। भाजपा शासित राज्यों की सरकारें भी बेहद आक्रामक तरीके से काम कर रही हैं। शिवराज सिंह भी पीछे नहीं रहना चाहते, जिसके चलते उन्होंने अपनी विनम्र छवि को त्याग दिया। कुछ हद तक वे खुद को हिंदूवादी नेता के रूप में स्थापित करने की भी कोशिश कर रहे हैं। ठीक उसी तरह जैसी उप्र में योगी की है।
सुबह फटकार, शाम को विदाई
18 सालों में मात्र सवा साल वे सत्ता से दूर रहे, लेकिन कभी किसी ने उन्हें ऐसे मूड में नहीं देखा। इस वजह से सबको लग रहा है कि कहीं तो कुछ ऐसा हो रहा है, जो उन्हें रास नहीं आ रहा है। शिवराज खुद भी बार-बार कह रहे हैं कि वे खतरनाक मूड में हैं। एक मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा था ‘सुन लो माफिया, मप्र छोड़ दो, नहीं तो जमीन में दस फीट गाड़ देंगे!’ उनका यह भाषण भी खूब वायरल हुआ था। इसलिए कहा जा रहा है कि शिवराज चौहान के सिर्फ वचन ही नहीं बदले, उनकी छवि भी बदलाव के रास्ते पर है। ये स्थिति आज या कल की नहीं है! सालभर से धीरे-धीरे उनमें बदलाव आ रहा है। पिछले साल उनका एक वीडियो खूब चर्चित हुआ था। मुख्यमंत्री ने मीटिंग के बीच में ही ग्वालियर नगर निगम के आईएएस कमिश्नर को फटकारा और कहा ‘बहुत हो गया, अब इनकी छुट्टी कर दीजिए!’ शाम होते-होते 2010 बैच के आईएएस संदीप माकिन को हटा दिया गया था। कुछ ऐसा ही अंदाज झाबुआ कलेक्टर और एसपी को हटाने के समय भी दिखाई दिया था। इसके बाद मंच से भी कार्रवाई होती दिखाई दी। लेकिन, इंदौर के एडीएम पवन जैन को लेकर उनका रवैया अभी तक सबसे ज्यादा सख्त दिखाई दिया। एक विकलांग के साथ जनसुनवाई में बदसलूकी करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से इंदौर से हटा दिया गया। दरअसल, ये संकेत है कि यदि अफसरों ने अपनी शैली नहीं सुधारी तो नतीजा क्या होगा!
हाल ही में भोपाल की सडक़ों को लेकर उन्होंने नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के अफसरों की नकेल कस दी। उन्होंने पूछ भी लिया कि इसका जिम्मेदार कौन है, उसे सामने लाया जाए! मुख्यमंत्री ने ग्वालियर की सडक़ों की स्थिति पर भी नाखुशी जाहिर की। दरअसल, मुख्यमंत्री को इस स्थिति तक लाने के लिए वो हालात जिम्मेदार हैं, जो अफसरों ने पैदा किए हैं। जिस तरह की सख्ती शिवराज सिंह इन दिनों दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि वे अफसरों की लापरवाहियों से बहुत ज्यादा परेशान हो गए। काफी हद तक ये सही भी है। यदि मुख्यमंत्री को राजधानी की सडक़ों को लेकर बोलना पड़े, तो ये सही भी नहीं है। जनता की शिकायत पर मंच से अफसरों को सस्पेंड करने के निर्देश देना उन्हें फटकार लगाना, ये किसी मुख्यमंत्री के लिए आसान हालात नहीं है।
शिवराज सिंह खुद भी कई बार अफसरों को हिदायत दे चुके हैं कि आजकल अपन अलग मूड में हैं। अभी तक मुख्यमंत्री की छवि विनम्र शासक की रही। वे बच्चों के लिए मामाजी के नाम से लोकप्रिय हैं और उनके पास आने वाली हर शिकायत पर निर्देश देने में देर नहीं करते! लेकिन, अफसरों के प्रति उनके बयानों से उनके तेवर अलग ही लग रहे हैं। उनकी मॉर्निंग मीटिंग भी सामान्य नहीं होती। वे जिस जिले की समीक्षा करते हैं, पहले वहां की सारी चीरफाड़ कर चुके होते हैं। यही कारण है, कि इन वर्चुअल मीटिंग में कोई अफसर बच नहीं पाता और न झूठ बोलने की हिम्मत कर पाता है। कुछ दिनों पहले पन्ना जिले की समीक्षा में जब कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा अपने जिले की सही जानकारी नहीं दे पाए, तो शिवराज सिंह ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने साफ कहा कि पन्ना कलेक्टर ये बताएं कि अगर 4 महीने तक जियो टैगिंग चलती रहेगी, तो कैसे काम चलेगा। आपके पास या तो जानकारी नहीं है या आप बता नहीं पा रहे हो, ये बात ठीक नहीं है। कई जिलों की समीक्षा के दौरान वे सरकारी योजनाओं की धीमी प्रगति से नाखुश हुए। उन्होंने अफसरों को जमकर फटकार लगाई। जल जीवन मिशन, सीएम हेल्पलाइन, बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी और धीमी रफ्तार पर नाराजगी व्यक्त की। लेकिन, उनकी इस सख्ती से जनता खुश है। उसे अब लग रहा है कि कोई तो है, जो उनकी बात सुन और समझ रहा है। फिर इसके पीछे कारण कुछ भी हो, जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही का असर दिखाई दे रहा है! आने वाले दिनों में अफसरों पर और ज्यादा सख्ती दिखाई दे, तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए!
भ्रष्टाचार की खबरों पर तुरंत बत्ती जले
मप्र के अफसरों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो टूक सलाह दी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की खबरों पर तुरंत बत्ती जले और तुरंत एक्शन लें, वरना मैं एक्शन ले लूंगा। कोई भी चीज अनदेखी नहीं होनी चाहिए। अच्छी बातों की मार्केर्टिंग भी करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह गत दिनों वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के जरिए अफसरों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब जमाना बदल गया है। हर चीज जनता के बीच जाना चाहिए। विभाग के अफसर गंभीरता से लीजिए। सभी सुन लें। यदि आपके विभाग की खबर छपी है तो तुरंत एक्शन लीजिए। यदि गलत हो रहा तो एक्शन लें, वरना मैं एक्शन ले लूंगा। कोई भी चीज अनदेखी नहीं करें। मुख्यमंत्री ने भोपाल नगर निगम में 500 रुपए लेने की बात का जिक्र करते हुए कहा कि यदि भ्रष्टाचार की कोई खबर हो तो विभाग की बत्ती तुरंत जलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अफसरों से यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें। जिले में अच्छे काम हो रहे हैं तो आपकी ड्यूटी है कि उन्हें जनता को बताएं। इससे अच्छा मैसेज जाएगा। पिछले दिनों पुलिस ने बेहतर काम करते हुए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग किया। कहीं गड़बड़ है तो एक्शन लें, नहीं है तो खंडन करें। मुख्यमंत्री कोई ट्वीट कर दें, सोशल मीडिया पर कोई बात कह दें तो जिले से भी ट्वीट हो। सोशल मीडिया से दूर न रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जन कल्याणकारी योजनाओं एवं विकास गतिविधियों के संबंध में मंत्री और विधायकों से निवास कार्यालय से वर्चुअली संवाद किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति महारी जीरो टॉलरेंस की नीति है। जनता को राहत देने के लिए स्वच्छ प्रशासनिक व्यवस्था का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है। गड़बड़ करने वाले दोषियों को तत्काल दंडित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्यवाही की जा रही है। महिला बाल विकास विभाग में हमने 104 लोगों पर कार्रवाई की और 26 को नौकरी से बाहर किया गया है। मैदानी पोस्टिंग में कर्मठ व संवेदनशील अधिकारियों को प्राथमिकता दी जा रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां हितग्राहियों को योजना का लाभ वितरण किया जा रहा है। दूसरी तरफ आम जनता से धोखाधड़ी करने वाले और काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी कर्मचारियों पर भी गाज गिरने का सिलसिला जारी है। वहीं लगातार मिल रही शिकायतों और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने तत्काल एक्शन लेते हुए हनुमना में पदस्थ बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही उनके कार्यों की जांच करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने रीवा जिले के अन्य सरकारी स्कीमों की योजना व समीक्षा भी की है। इस दौरान सीएम हेल्पलाइन में अच्छा काम करने पर मुख्यमंत्री ने रीवा के सुशासन की तारीफ की है। बता दें कि रीवा 16 महीने से नंबर वन पर बरकरार है। मुख्यमंत्री शिवराज ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि जितने भी नए आवास स्वीकृत किए गए हैं। उन सबको मेरा बधाई संदेश दिया जाए। वहीं अनुचित राशि आदि मांग ली और भ्रष्टाचार में संलिप्त रहने पर 14 जीआरएफ को पद से हटाया गया। साथ ही कुछ सचिवों के वेतन काटने के निर्देश दिए गए। समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज ने स्पष्ट किया है कि जनता के लिए जनहितैषी कार्यों पर अतिरिक्त राशि और अनुचित राशि की मांग करने वाले पर तत्काल कार्रवाई की जाए। उन पर एफआईआर कर उन्हें जेल भेजा जाए। मप्र में भ्रष्टाचार और करप्शन के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी बेईमान को छोड़ा नहीं जाएगा। रीवा के सुशासन की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि जिले में मातृ मृत्यु दर शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। जिसके लिए रीवा जिला प्रशंसा के योग्य है। इसके अलावा शहरी रीवा नगर निगम के लिए 4300 आवास स्वीकृत किए गए। जिसमें से 800 मकान अभी भी अपूर्ण हैं, इसे तेज गति से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। जल जीवन मिशन पर समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अब तक जो जानकारी सामने आई है। उसमें कम घरेलू परिवारों को कनेक्शन का लाभ दिया गया है। काम की गति को बढ़ाया जाए, 809 गांव में योजना संचालित है। काम की गुणवत्ता को ठीक किया जाए। जिसमें गांव में योजना लागू है, उस पर निगरानी रखें। मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था पर स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि नशा मुक्ति अभियान के तहत प्रकरण तैयार किए जाए। अवैध शराब को जब्त किया जाए। प्रदेश में चल रहे हुक्का लाउंज को बंद करने की कवायद भी जारी है। जन सेवा योजना का लाभ दिया जाए। जिस पर जानकारी देते हुए कहा गया कि रीवा में जनसेवा के कुल 2,00,000 आवेदन आए थे। जिनमें 1,93,000 लोगों को लाभान्वित किया गया है।
बैठक में ही मंगवाई माफी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। गत दिनों पहले उन्होंने एक सभा में अधिकारियों को फटकार लगाते हुए काम तेजी से करने के आदेश दिए थे, वहीं मुख्यमंत्री ने एक अधिकारी को उसकी लापरवाही पर बैठक में ही माफी मंगवाई, क्योंकि अधिकारी ने अपने काम का लक्ष्य पूरा नहीं किया था। मुख्यमंत्री शिवराज जल जीवन मिशन पर अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे, तभी यह वाकया देखने को मिला। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल जीवन मिशन पर अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की, इस बैठक में ईई द्वारा गलत तथ्य पेश करने पर मुख्यमंत्री ने बैठक में ही ईई को फटकार लगा दी। उन्होंने बैठक में ही ईई को अपनी गलती के लिए माफी मांगने के लिए कहा। जिसके बाद ईई ने बैठक में अपनी गलती पर माफी मांगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि कितने प्रतिशत लक्षित परिवारों तक नल से जल पहुंचने का कार्य हुआ। इसके बारे में पूरी जानकारी दें, जिस पर बताया गया कि लक्ष्य 1.29 लाख का था, जो पिछली बार 102 प्रतिशत पूरा हुआ था। लेकिन इस बार लक्ष्य 9435 का है, जिसमें से अब तक केवल 4 हजार ही लक्ष्य पूरा हुआ है। जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने काम की गुणवत्ता की शिकायतों के बारे में भी जानकारी ली, जिस पर मुख्यमंत्री को बताया गया कि 2 जगह पर शिकायतें आईं थी, इन मामलों में दोनों ठेकेदारों को नोटिस दिया है, जबकि एक जगह पेमेंट रोक दिया गया है। मुख्यमंत्री ने पूछा कि कितनी योजनाओं से पानी देना शुरू हुआ है? जिस पर ईई ने बताया कि 77 योजनाओं के तहत पानी देना शुरू हुआ। जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सभी जगह योजनाएं दुरुस्त कराई जाएं। इसको रीचेक कराइए, ग्रामीणों की संतुष्टि का स्तर नहीं बढ़ा तो क्या फायदा। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि आप लोग सभी काम बिना लापरवाही और तय समय सीमा में पूरा करें।
24 घंटे में कलेक्टर-एसपी बदले
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब एक्शन मोड में नजर आ रहे है। झाबुआ के गालीबाज एसपी अरविंद तिवारी को हटाने के बाद उन्होंने कलेक्टर सोमेश मिश्रा को भी हटा दिया। 24 घंटे के भीतर झाबुआ जिले के दोनों अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई सियासी और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। इंदौर संभाग की राजस्व अपर आयुक्त रजनी सिंह को कलेक्टर की कमान सौंपी गई है। मप्र के प्रशासनिक गलियारों में पिछले दो दिनों में भूचाल सा आ गया है। इसकी वजह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक्शन मोड है। शुरुआत मालवा अंचल के झाबुआ जिले से हुई। गत दिनों मुख्यमंत्री ने जिले के कलेक्टर सोमेश मिश्रा को हटा दिया। उनकी जगह इंदौर संभाग में अपर आयुक्त राजस्व के तौर पर नियुक्त रजनी सिंह को झाबुआ कलेक्टर बना दिया गया। इससे एक दिन पहले जिले के एसपी अरविंद तिवारी को पहले हटाने के आदेश दिए फिर कुछ देर बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें सस्पेंड भी कर दिया था। एसपी ने एक छात्र को गाली दी थी। जिसका ऑडियो मुख्यमंत्री के पास पहुंचा। परीक्षण कराने पर ऑडियो में अरविंद तिवारी की ही आवाज पाई गई। बताया जाता है कि ऑडियो में एक छात्र सुरक्षा की मांग कर रहा था। जिस पर एसपी गाली देने के साथ उससे अभद्र भाषा में बोल रहे थे।
बताया जा रहा है कि गत दिनों मुख्यमंत्री झाबुआ जिले के दौरे पर रहे। आदिवासी इस जिले में आम जनता से जुड़ी कई शिकायतें हुई। इसके साथ ही कई दिनों से जिले के विभिन्न विभागों के लचर रवैये की वजह से सरकार की भी किरकिरी हो रही थी। मुख्यमंत्री के झाबुआ प्रवास के दौरान शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित कई हितग्राहियों ने भी कलेक्टर की शिकायत की। अधिकारियों पर रिश्वत मांगने के भी आरोप लगाए थे। पिछले तीन महीनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह से ही विभिन्न जिलों की समीक्षा करते देखे गए हैं। जिसमें जहां कमियां नजर आ रही थी, उसके बारे में संबंधित विभाग के अफसरों को भी चेतावनी दी जाती रही थी। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा जिले के कई अफसर, मुख्यमंत्री के निशाने पर हैं। सरकारी योजनाओं का ठीक ढंग से क्रियान्वयन ना होना और जनता से जुड़ी लंबित शिकायतें प्रमुख हैं। दरअसल पिछले एक महीने में सरकारी अफसरों की हद दर्जे की लापरवाही के कई बड़े मामले सामने आए हैं। जिसमें हाल ही में पोषण आहार वितरण योजना से संबंधित अकाउंटेंट जनरल की चौंकाने वाली रिपोर्ट भी रही। इसके बाद जबलपुर जिले में करोड़ों रुपए के यूरिया परिवहन में सामने आई गड़बड़ी से प्रदेश सरकार अभी तक विपक्ष के आरोपों से घिरी है। जानकर बताते हैं कि ऐसे ही कई बड़े मामलों के बाद मुख्यमंत्री ने अब तय कर लिया है कि सरकारी महकमों में लापरवाही किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकार हमारे हिसाब से चलेगी
सरकार के ढाई साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्यूरोक्रेट्स को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि सरकार हमारे हिसाब से चलेगी, जिसे दिक्कत हो बता दे। बदलने में देर नहीं लगेगी। साथ ही, सभी मंत्रियों को भी वीकली एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने गत दिनों मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री और आला अफसरों की बैठक ली। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि कोविड की 500 से ज्यादा बैठकें कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि संकल्प लें, जो भी सुधार की जरूरत है, उसे करें। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर, एसपी व अन्य अफसरों को साफ शब्दों में कहा कि मैंने जो निर्देश दिए हैं, उनका पालन करें। शिवराज ने कहा कि मैं भी परिश्रम की पराकाष्ठा करता हूं, आप भी प्रदेश को बेहतर बनाने में कसर नहीं छोड़ें।
मुख्यमंत्री ने चार तरह के एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। वीकली एक्शन प्लान में बताना होगा कि वह किस सप्ताह में क्या करेंगे। इसके अलावा मासिक, त्रैमासिक और अर्धवार्षिक के साथ वार्षिक एक्शन प्लान भी तैयार करने कहा है। यह प्लान मुख्यमंत्री डैशबोर्ड में डालेंगे, ताकि गुणवत्ता पूर्ण और समय पर काम करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिवनी, शहडोल, रतलाम, रायसेन में प्रभावी कार्रवाई की है। महिला अपराध, बेटियों से जुड़े अपराधों के मामले हमें दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे अपराधियों को छोडऩा नहीं है।