सरकारी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में नहीं होता प्लेसमेंट

सरकारी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों

-प्रदेश में 2 साल में केवल 200 को ही मिल पाया रोजगार

भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ जहां प्राइवेट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में हर साल हजारों छात्रों को प्लेसमेंट मिलता है, वहीं सरकारी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की स्थिति बद से बदतर है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 2 साल के दौरान सरकारी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में केवल 200 युवाओं को ही रोजगार मिला है।
गौरतलब है कि प्लेसमेंट की स्थिति को देखते हुए  ही  छात्र कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं। इस कारण प्राइवेट कॉलेज फल-फूल रहे हैं। वहीं सरकारी कॉलेजों में प्लेसमेंट की हालत खराब है। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा सरकारी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से मांगी गई जानकारी से पता चला कि 2 साल में सिर्फ 200 युवाओं को ही रोजगार मिला है। वो भी प्लेसमेंट से नहीं, बल्कि छात्रों ने नौकरी लगने के बाद जो जानकारी यूनिवर्सिटी व कॉलेज को दी, उसी को जानकारी के रूप में भेज दिया गया।
एमएसएमई हर महीने रोजगार दिवस मना रहा
मप्र में हर महीने 2 लाख युवाओं को स्वरोजगार और साल में 1 लाख को सरकारी नौकरी देने की जिम्मेदारी 4 विभागों को दी गई है। इनमें हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट, सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यम (एमएसएमई), युवा खेल मंत्रालय और रोजगार विभाग शामिल हैं। इनमें से सिर्फ एमएसएमई अभी हर महीने रोजगार दिवस मना रहा है।  इस साल अब तक 200 कैंप लगाए। दावा है कि 3 लाख युवाओं को स्वरोजगार के लिए लोन दिए और 13 लाख को स्वरोजगार से जोड़ा, जबकि रोजगार विभाग अब तक 8 से 10 जिलों में ही मेले लगा पाया है। इनके पास 33 लाख बेरोजगारों की सूची लंबित हैं। जो जानकारी सामने आई, उसमें पता चला कि सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में मिलाकर बामुश्किल 200 युवाओं को ही प्लेसमेंट मिला, जबकि स्वरोजगार से जोड़ने  का डाटा तैयार ही नहीं हुआ। इतना ही नहीं, बीते 3 महीने में एक भी यूनिवर्सिटी और कॉलेज में स्वरोजगार से जोड़ने  का अभियान शुरू नहीं हो पाया। हालांकि जवाब में यह जरूरी बताया है कि 2 साल में 1 लाख स्वरोजगार व कौशल मेले लगाए। हायर एजुकेशन के ओएसडी धीरेंद्र शुक्ल का कहना है कि हमने दोबारा जानकारी मांगी है। नया फॉर्मेट बनाकर दिया है और उसमें प्लेसमेंट के साथ स्वरोजगार की भी जानकारी मांगी है। नई जानकारी के बाद  ही स्थिति स्पष्ट होगी कि कितने प्लेसमेंट हो रहे हैं।
किसी के पास नहीं डाटा
दरअसल, मप्र में 3 महीने पहले जुलाई में युवा महापंचायत हुई थी। इसमें 3 बड़ी बातें की गई थीं। इनमें एक साल में एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देना, हर महीने 2 लाख युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩा और तीसरी हर कॉलेज में युवा सेल का गठन करना। इसके बाद मप्र की 8 सरकारी यूनिवर्सिटी और 529 कॉलेजों से जानकारी मांगी गई कि उनके यहां बीते 2 साल में कितने बच्चों का प्लेसमेंट कराया गया, कितने को स्वरोजगार से जोड़ा। लेकिन हैरानी की बात है कि किसी के पास इसकी जानकारी नहीं है।

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