लोकायुक्त ने 3 आईएएस समेत 15 अफसरों से मांगा जवाब

लोकायुक्त

– अपने चहेतों को उपकृत करने का मामला

 भोपाल/हरीश फतेहचंदानी /बिच्छू डॉट कॉम। महाकाल की नगरी उज्जैन में निर्मित श्री महाकाल लोक आज देशी-विदेशी श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है। लेकिन मप्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में भ्रष्टाचार और घोटाले की शिकायत लोकायुक्त में की गई है। मामले की जांच के बाद लोकायुक्त ने 3 आईएएस समेत 15 अफसरों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। गौरतलब है कि श्री महाकाल लोक के निर्माण से मप्र सरकार की देशभर में वाहवाही हो रही है। लेकिन महाकाल लोक के निर्माण में ठेकों की बंदरबांट का मामला सामने आया है। इसे गंभीरता से लेते हुए लोकायुक्त ने नोटिस जारी किया है। लोकायुक्त ने कलेक्टर उज्जैन सहित दो आईएएस और दर्जन भर से ज्यादा अफसरों से जवाब मांगा है। श्री महाकाल लोक कॉरिडोर के निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत के आधार पर जांच की गई। जिसके बाद टेक्निकल टीम की रिपोर्ट के आधार पर नोटिस दिया गया है। इस मामले की पुष्टि लोकायुक्त डीजी कैलाश मकवाना ने की है।  लोकायुक्त ने तीन आईएएस अफसरों सहित 15 लोगों को नोटिस थमाए हैं।  इस नोटिस का जवाब देने के लिए लोकायुक्त ने 28 अक्टूबर तक का समय दिया है।
चहेतों को लाभ दिलाने दिलाए ठेके
लोकायुक्त में की गई शिकायत के अनुसार 15 टॉप अफसरों पर अपने पद का दुरुपयोग कर ठेकेदार मनोज भाई, पुरुषोत्तम भाई बाबरिया को महाकाल लोक कॉरिडोर के निर्माण में आर्थिक लाभ देने और शासन को हानि पहुंचाने का आरोप है। लोकायुक्त द्वारा इन अफसरों को थमाए गए नोटिस में कहा गया है कि लोकायुक्त संगठन द्वारा की गई जांच में आरोप सही पाए गए हैं। इस प्रोजेक्ट में कई बड़े रसूखदार नेताओं के नाम भी सामने आए हैं। जिनके इशारे पर आर्थिक लाभ देने और शासन को हानि पहुंचाई गई है। बाकायदा लोकायुक्त की तरफ से टीप भी दी गई है कि प्रथम दृष्टया आरोप सही हैं। इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
अफसरों पर दर्ज हो सकता है मामला
सूत्रों का कहना है कि नोटिस के बाद अफसरों पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। दरअसल, महाकाल लोक कॉरिडोर का काम उज्जैन स्मार्ट सिटी के द्वारा कराया जा रहा है। इसलिए उज्जैन स्मार्ट सिटी से जुड़े अफसरों को लोकायुक्त ने नोटिस थमाए हैं। महाकाल लोक कॉरिडोर के प्रथम चरण का हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया था। महाकाल लोक कॉरिडोर के सभी चरणों की विकास परियोजना 856 करोड़ राशि की है । इसके पहले चरण में महाकाल लोक कॉरिडोर को 316 करोड़ रुपए में विकसित किया है। इसके कुल खर्च में से 21 करोड़ रुपए महाकाल मंदिर समिति खर्च करेगी। महाकाल लोक कॉरिडोर के लिए केंद्र सरकार 271 करोड़ रुपए दे चुकी हैं।
नियमों को किया दरकिनार
लोकायुक्त ने शिकायत के बाद जब इस मामले की  जांच टेक्निकल टीम से कराई , तो उसमें कई खामियां पाई गई। टेक्निकल टीम की रिपोर्ट के अनुसार टेंडर की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया। सब स्टैंडर्ड (घटिया) निर्माण हुआ। निर्माण कार्य में एसओआर का पालन नहीं किया हुआ । बिना जांच ठेकेदारों का भुगतान किया गया और निर्माण कार्य में नियमों को ताक पर रखा गया।
इन अफसरों को जारी हुआ नोटिस
उज्जैन के कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आईएएस अफसर आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक आईएएस अफसर क्षितिज सिंघल और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता । इनके अलावा उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मनोनीत निदेशक सोजन सिंह रावत और दीपक रतनावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिंह राव पांडुरंगी, स्मार्ट सिटी उज्जैन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष पाठक, तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान, मुख्य वित्तीय अधिकारी जुवान सिंह तोमर, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री धर्मेंद्र वर्मा, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री फरीदउद्दीन कुरैशी, सहायक यंत्री कमल कांत सक्सेना, और उपयंत्री आकाश सिंह के साथ ही पीडीएमसी उज्जैन स्मार्ट सिटी के टीम लीडर संजय शाक्या और जूनियर इंजीनियर तरुण सोनी। वहीं लोकायुक्त संगठन को श्रीमहाकाल लोक के निर्माण और अन्य गतिविधियों के बारे में आर्थिक अनियमितता की शिकायत मिली थी। इसको लेकर लोकायुक्त संगठन ने पांच आईएएस अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। लोकायुक्त संगठन के नोटिस के बाद मध्यप्रदेश सरकार और आईएएस महकमें में हड़कंप मचा हुआ है। श्री महाकाल लोक के निर्माण को लेकर बहुत सारे दस्तावेज सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो लोकायुक्त संगठन को इसकी  शिकायत भी मिली है। इसी आधार पर निर्माण कार्य और वहां की व्यवस्थाओं व तैयारियों से जुड़े पांच अधिकारियों को संगठन ने नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है। उनसे खर्च की गई राशि के बारे में ब्यौरा मांगा गया है। मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को भी की गई है।

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