पंजीयन शुल्क में… तीन गुना बढ़ोत्तरी

पंजीयन शुल्क

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/ बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पंजीयन शुल्क से होने वाली आय का बड़ा योगदान है। प्रदेश में साल दर साल पंजीयन शुल्क की आय में बढ़ोत्तरी हो रही है। पिछले पांच वर्षों में पंजीयन से होने वाली आय तीन गुना से अधिक बढ़ी है। यानी मप्र सरकार की पंजीयन शुल्क सालाना आय 500 करोड़ से बढ़कर 1600 करोड़ हो गई है, लेकिन उक्त राशि किन विकास कार्यों पर खर्च की जाती है, इसका जवाब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा भी नहीं दे सके।
गौरतलब है कि पंजीयन शुल्क से सबसे ज्यादा आय इंदौर में 351 करोड़ और भोपाल में 163 करोड़ हुई है। जबकि ग्वालियर में 87.99 और जबलपुर में यह 74.62 करोड़ हुई है। प्रदेश में जमीनों की रजिस्ट्री के साथ ही उपभोक्ताओं से 2 प्रतिशत पंजीयन शुल्क भी वसूला जाता है।
सबसे अधिक आय इंदौर-भोपाल में
पिछले पांच वर्षों में पंजीयन से होने वाली आय तीन गुना से अधिक बढ़ी है। जमीनों की खरीद-फरोख्त सबसे ज्यादा इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन जिले में होती है, इसलिए यहां पंजीयन शुल्क भी अच्छा वसूल होता है। इस मामले में डिंडोरी, उमरिया, पन्ना, श्योपुर, अलीराजपुर, अनूपपुर, झाबुआ और मंडला जिले काफी पीछे हैं। इन जिलों में 10 करोड़ से भी कम आय पंजीयन शुल्क के रूप में होती है। वित्त विभाग के सूत्रों ने बताया कि पंजीयन शुल्क के रूप में होने वाली आय एकमुश्त बजट में शामिल होकर विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च की जाती है। इस संबंध में कांग्रेस विधायक हिना कावरे ने विधानसभा में सवाल उठाया था।
राशि के उपयोग की जानकारी नहीं
कांग्रेस विधायक हिना कावरे का कहना है कि सरकार पंजीयन शुल्क के रूप में करोड़ों रुपए कमा रही है, लेकिन इस पैसे का उपयोग कहां किया जाता है, उसका हिसाब देने से बच रही है। मैंने इस मुद्दे पर विधानसभा में सवाल भी लगाया था, लेकिन वित्त मंत्री इसका सही जवाब नहीं दे सके। वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि सरकार को पंजीयन शुल्क से होने वाली आय बढ़ी है। इस राशि का उपयोग किन किन विकास कार्यों पर किया जाता है, यह तो अधिकारियों से पूछने के बाद ही बता सकूंगा। वैसे राशि बजट में शामिल कर खर्च की जाती है।
पंजीयन शुल्क में तीन गुना बढ़ोतरी
वर्ष आय करोड़ में
2017-18 488.24
2018-19 505.95
2019-20 1063.05
2020-21 1659.60
2021-22 1619.52
स्रोत: वित्त विभाग

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