
- कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए मोर्चा संभालेंगे जेपी अग्रवाल
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। 2023 में कांग्रेस हर हाल में सत्ता में वापसी करना चाहती है। इसके लिए जयप्रकाश अग्रवाल को प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी अब कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए पूरी तरह मोर्चा संभालेंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनावी मोड में आई कांग्रेस अब प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल की रणनीति पर चुनावी जंग लड़ेगी।
इसके लिए कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी प्रदेश में हर महीने प्रवास करेंगे। इस दौरान वह संभाग और जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करेंगे और उन्हें टिप्स देंगे कि किस तरह से अगले चुनाव में भाजपा से मुकाबला करना है। इसके लिए पार्टी उनके कार्यक्रम तय कर रही है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी जल्द की रणनीति बनाकर मैदानी मोर्चा संभालेगी। सूत्रों की मानें तो इसकी शुरुआत कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव जयप्रकाश अग्रवाल दायित्व मिलने के बाद पहली बार मध्य प्रदेश प्रवास पर आए थे । उन्होंने यह पदाधिकारियों और बड़े नेताओं से मुलाकात भी की। उनकी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से भी आगामी कार्यक्रमों और रणनीति को लेकर चर्चा हुई थी। जानकारों की मानें तो इस चर्चा में दोनों नेताओं के बीच तय हुआ है कि प्रदेश में उनके प्रवास और कमलनाथ केअधिक से अधिक प्रवास हों। दोनों नेता अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा करें और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाएं। प्रभारी महासचिव भी संभाग जिला मुख्यालयों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनसे सीधे संवाद करेंगे।
कांग्रेस को एकजुट करना सबसे बड़ी चुनौती
जेपी अग्रवाल अब अपने से दो साल छोटे 75 साल के अनुभवी नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार करेंगे। 5 बार के सांसद और संगठन के नेता जयप्रकाश के सामने मप्र में कई चुनौतियां हैं, जिसमें से सबसे बड़ी पार्टी संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत और एकजुट कर चुनाव के लिए खड़ा करना है। मध्यप्रदेश के प्रभारी बनाए गए जेपी अग्रवाल संगठन के व्यक्ति माने जाते हैं। दिल्ली में पार्टी संगठन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में वे रहे हैं, लिहाजा मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए करो और मरो वाली इस स्थिति में चुनाव में उनकी संगठन में भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। हालांकि कांग्रेस की प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए उन्हें जमीन पर खूब पसीना बहाना होगा। नए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल के सामने एक बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट करने की भी होगी। प्रदेश में फिलहाल एक पार्टी के अंदर कई पार्टी बनी हुई हैं। निकाय चुनाव में कई स्थानों पर पार्टी में अंदरूनी कलह सामने आई। नतीजा हार के रूप में सामने आया। इंदौर नगर निगम में कांग्रेस की हार के पीछे अंदरूनी विरोध को बड़ी वजह माना गया। इसी तरह विन्ध, मालवा-निमाड, ग्वालियर-चंबल इलाकों में नेताओं के बीच आपसी खींचतान कई बार सामने आ चुकी है। जातिगत समीकरणों को साधते हुए अग्रवाल यदि सभी को एक झंडे के नीचे लाने में सफल रहे, तो नतीजे कांग्रेस के पक्ष में भी हो सकते हैं।
बड़े शहरों के लिए अलग रणनीति
कांग्रेस को मजबूत बनाने कमलनाथ की रणनीति पर काम शुरू हो गया है। पार्टी अब बड़े शहरों में 2 से ज्यादा कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर जहां जातिगत समीकरण साधेगी तो वहीं वरिष्ठ और युवा नेताओं को आगे बढ़ाया जाएगा। जानकारों की मानें तो पार्टी इंदौर सहित कई शहरों में संगठन की कमान जहां नए हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है तो वहीं, इन नगरों में 2 से ज्यादा कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी जल्द ही 22 जिलों में जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं शहर कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्ति करने की तैयारी में है। पार्टी के संविधान में मप्र में 20 प्रतिशत जिला अध्यक्ष अजा के होना चाहिए। इसी तरह नगर निगम में शहर कांग्रेस अध्यक्ष 20 प्रतिशत इस वर्ग के होना चाहिए। पीसीसी और कोर ग्रुप पार्टी के इस नियम के साथ-साथ दूसरी जाति वर्ग के कार्यकर्ताओं को भी जिम्मेदारी देना चाहती है, जिससे पार्टी में जातिगत संतुलन स्थापित किया जा सके। पार्टी ने ऐसे शहरों के संगठन की कुंडली तैयार की है जो पिछले कुछ वर्षों से पूरी तरह से निष्क्रिय हैं। इसमें इंदौर जिला सबसे आगे बताया जा रहा है। यहां के संगठन अध्यक्ष के बारे में शिकायत पीसीसी पहुंची है कि वे,पार्टी के कार्यक्रमों में आमंत्रण के बाद भी नहीं पहुंचते हैं। पिछले दिनों इस बात की शिकायत राजधानी में हुए अनुसूचित जाति महासम्मेलन में पीसीसी चीफ कमलनाथ को लिखित रूप से की गई है। बताया गया है कि पार्टी जिन जिलों के अध्यक्ष बदलने की तैयारी में है, वहां संगठन में विशेष रूचि रखने वाले और जनाधार वाले नेताओं को जिम्मेदारी दी जा सकती है।