लापरवाही: जुर्माना वसूली में 71 फीसदी की गिरावट

जुर्माना वसूली

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। जब सरकार की मंशा अवैध खनन पर रोक लगाने की है, तब संबंधित अफसरों ने जुर्माना तो लगाया, लेकिन उसकी वसूली  ही नहीं की, लिहाजा जुर्माना वसूली में 71 फीसदी तक की कमी आ गई। यह सब ऐसे समय हुआ जबकि सरकार द्वारा आया बढ़ाने व बकाया वसूली के लिए अफसरों को लगतार चेताया जा रहा है। यह कारनामा किया गया है अवैध खनन के मामलों में। इसकी वजह से सरकार को करीब चार अरब रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। यह खुलासा हुआ है बीते रोज विधानसभा में पेश की गई कैग की रिपोर्ट से। इस में बताया गया है कि प्रदेश में वर्ष 2016 से लेकर 2019 -20 के बीच चार सालों में लगाए गए जुर्माना की वूसली में अफसरों ने कोई रुचि ही नहीं ली जिसकी वजह से उक्त जुर्माना में से महज 30 फीसदी की ही वसूली हो सकी। दी गई जानकारी के मुताबिक 2016 -17 में जहां जुर्माना के रुप में 2261.71 करोड़ रुपए बतौर जुर्माने के रुप में वूसल किए गए थे, जो 2019-20 में कम होकर महज 651.39 रुपए ही रह गया। यही नहीं इस अवधि में 394.22 करोड़ रुपए का जुर्माना तो हर हाल में वसूल किया जाना तक, जिसकी वसूली में भी लापरवही बरती गई। यही नहीं हद तो यह है कि कैग ने आडिट में पाया कि 13 जिलों में 885 खनन पट्टों में भी अनियमितता पायी गई है। इन पट्टों को जारी करने में नियमों की कई स्तर पर अनदेखी की गई है। यही नहीं सात जिलों में रिमोट सेसिंग इमेजरी को देखने से पता चलता है कि उन जिलों में अवैध खनन किया गया है।
ऐतराज दरकिनार: कैग ने बताया है कि केन-बेतबा लिंक परियोजना में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्रणी (पीसीसीएफ) ने परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व कोर एरिया पर खराब प्रीभाव पड़ना स्वीकारा था इसके बावजूद राज्य वन्य प्राणी बोर्ड और राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड ने परियोजना को अनुमोदित किया।
आउटसोर्स कर्मियों पर निर्भर निकाय: कैग ने अन्य रिपोर्ट में कहा कि अनुबंध के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती को छोड़ शहरी निकायों के पास न तो कर्मचारियों की जरुरत का आंकलन करने की शक्ति थी, न ही स्थायी कर्मचारियों की भर्ती करने के अधिकार। सरकार ने 2015 से 2020 के बीच जनसंख्या के आधार पर निकायों से वास्तविक जरुरत की मांग किए बिना कर्मियों की आवश्यकता का आंकलन किया।
विवादास्पद जमीन का अधिग्रहण
इसी तरह से कैग की रिपोर्ट में हाउसिंग बोर्ड की गड़बड़ियों का भी खुलासा किया गया है। बोर्ड प्रबंधन ने पांच प्रकरणों में ऐसी जमीन का अधिग्रहण कर लिया है, जो पूरी तरह से विवादास्पद थीं। इसकी वजह से जब आॅडिट किया गया तब तक उन जमीनों पर बोर्ड कब्जा तक नहीं ले सका था। खास बात यह है कि हद तो यह हो गई कि इन जामीनों के अधिग्रहण के लिए 4.94 करोड़ एडवांस भी दे दिए गए।

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