प्रदेश में लाया जा रहा गवाह संरक्षण अधिनियम

संरक्षण अधिनियम
  • महिला अपराधों से जुड़े गवाहों को मिलेगी सुरक्षा और आर्थिक मदद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अपराध पीड़ित महिलाओं को त्वरित और तथ्यात्मक पूर्ण न्याय दिलाने के लिए पुलिस मुख्यालय गवाह संरक्षण अधिनियम लाने की तैयारी कर रहा है। इसके पीछे विभाग का मंतव्य है कि अधिनियम के लागू होने से महिला अपराधों से जुड़े गवाह निडर होकर गवाही दे सकेंगे। दरअसल, इस अधिनियम के लागू होने से महिला अपराधों से जुड़े गवाहों को सुरक्षा और आर्थिक मदद दी जाएगी। गौरतलब है कि महिला अपराधों में कोई गवाह बनने को तैयार नहीं होता है। अधिनियम के लागू होने से प्रदेश में महिला अपराधों से जुड़े गवाहों पर अब आर्थिक बोझ नहीं आएगा। गवाहों को पूरी सुरक्षा भी मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए गवाह संरक्षण अधिनियम लाया जा रहा है।
अधिनियम का मसौदा तैयार
जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय ने लागू किए जाने वाले अधिनियम का मसौदा तैयार कर लिया है। अब इसे मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा। गवाहों की आर्थिक मदद करने और उन्हें कड़ी सुरक्षा देने की मंशा एडीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा के दौरे से जागी है। बताते हैं कि प्रज्ञा ने प्रदेश के कई जिलों और थानों का दौरा किया था। समीक्षा के दौरान यह खुलासा हुआ कि महिलाओं से जुड़े अपराध तो दर्ज किए जा रहे हैं, लेकिन अपराधियों को मिलने वाली सजा का प्रतिशत काफी कम है। पहले की तुलना में महिला अपराध ज्यादा हो रहे हैं और दर्ज भी किए जा रहे हैं। इसी वजह से पिछले सालों की तुलना में महिला अपराधों का आंकड़ा बढ़ा है। खास बात यह है कि सजा का प्रतिशत काफी कम है। पुलिस अधिकारी इस बात को बेहतर ढंग से जानते हैं कि सजा का प्रतिशत बढ़ाए बगैर महिला अपराधों में कमी लाना संभव नहीं है। इसी मंशा से पुलिस मुख्यालय ने सजा का प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी शुरू की है।
अदालत में जाकर पलट जाते हैं गवाह
पीएचक्यू ने समीक्षा के दौरान पाया कि ज्यादातर मामलों में सजा इसलिए नहीं होती है कि गवाह अदालत में जाकर पलट जाते हैं। कुछ गवाह आर्थिक तंगी की वजह से अदालत तक नहीं पहुंच पाते हैं। वे अपना काम छोड़कर अदालत के दरवाजे तक जाना नहीं चाहते हैं।  कुछ गवाहों को धमकी मिलती है। इससे वे डर जाते हैं और अदालत में गवाही देने के लिए खड़े नहीं होते हैं। लिहाजा पीएचक्यू ने तय किया कि गवाहों की आर्थिक मदद करना जरूरी है। उन्हें कड़ी सुरक्षा देना भी  आवश्यक है। गवाह को सुरक्षा देना अभी भी पुलिस की जिम्मेदारी है। अब आर्थिक मदद करने का निर्णय भी लिया गया है। इसके लिए च्गवाह संरक्षण अधिनियम यानी प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जा रहा है। इसके जरिए गवाह को आर्थिक और सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। पुलिस गवाहों पर होने वाले खर्च की राशि सरकार से लेगी। इसके लिए अलग आर्थिक मद निर्धारित होगा।
अधिनियम में होंगे कई तरह के प्रावधान
 गांवों के दबंगों, शहरों के बड़े अपराधियों और रसूखदार चेहरों के खिलाफ गवाही देने के लिए सामान्य तौर पर कोई तैयार नहीं होता है। कारण यह कि लोग डरते हैं। अब पुलिस गवाहों को आर्थिक मदद के साथ सुरक्षा भी देगी। उन्हें घर से अदालत तक लेकर जाएगा और सुरक्षित घर पहुंचाने का काम भी करेगी। अगर जरूरी होगा तो गवाहों को अदालत के बाहर यानी आने-जाने के अलावा भी सुरक्षा दी जाएगी। गवाही देने के लिए अदालत नहीं पहुंचने वालों में सबसे ज्यादा संख्या उनकी है, जो आर्थिक तौर पर कमजोर है। वे एक दिन की मजदूरी छोड़कर किराया भाड़ा लगाकर अदालत नहीं जाना चाहते हैं। अब उन्हें अदालत जाने वाले दिन की मजदूरी अथवा एक दिन की कमाई का खर्च दिया जाएगा। उसके अलावा आने-जाने का खर्च देने को भी कानूनी प्रावधान में शामिल किया जाएगा।

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