
भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का वन विभाग यथा नाम तथा गुण को प्रदर्शित करने के मामले में कभी पीछे नहीं रहता है। इस विभाग की भर्राशही इससे समझी जा सकती है की केंद्र सरकार द्वारा आधा दर्जन सिटी फॉरेस्ट बनाने की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन विभाग ने उससे दोगुने यानि की एक दर्जन बना डाले। दरअसल केन्द्र सरकार ने दो साल पहले देश के बड़े शहरों के लिए करीब 100 सिटी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। इनमें मप्र के लिए जिन आधा दर्जन शहरों के लिए स्वीकृति दी गई थी, उसमें भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, सागर तथा देवास शामिल हैं। इन नगर वनों को पर्यावरण की दृष्टि से विकसित कर नए करना और सिटी एक्शन प्लान के तहत एक एरिया विशेष में पौधरोपण केंद्र सरकार ने मप्र के लिए 6 शहरों को मंजूरी दी थी, लेकिन राजी सिटी फॉरेस्ट बना दिए गए। इनमें भोपाल, देवास में तो बेहतर कार्य हुआ, लेकिन ग्वालियर को ज्यादा फंड मिलने के बाद भी काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। हद तोयह है की ग्वालियर में फॉरेस्ट एरिया विकसित करने के लिए विभाग के अधिकारी वन भूमि का चयन तक नहीं कर सके हैं। यह हाल तब बने हुए जबकि हर सिटी फॉरेस्ट के लिए केंद्र की ओर से निधारित 2 करोड़ रुपये की धनराशि में से 1.40 करोड़ रुपये की धनराशि राज्य सरकारों को दो साल पहले ही जारी की जा चुकी है।
नगर वन योजना के उद्देश्य
देश के विभिन्न हिस्सों में सिटी फॉरेस्ट बनाने के पीछे आम लोगों को पौधों और जैव विविधता पर जागरूकता पैदा करना है। इसके अलावा वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण पर शिक्षा जिसमें खतरों की धारणा भी शामिल है। शहरों का पारिस्थितिक कायाकल्प करना और संबंधित इलाकों में प्रदूषण शमन, स्वच्छ हवा, शोर में कमी, जल संचयन और गर्मी द्वीपों के प्रभाव में कमी से शहरों के पर्यावरण की रक्षा करना है।
अधिकतम 50 हेक्टेयर में होगा सिटी फॉरेस्ट
किसी भी शहर में सिटी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट के लिए 4 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से वन विभाग राशि जारी करता है। अधिकतम 50 हेक्टेयर में सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जाता है। भोपाल का सिटी फॉरेस्ट 50 हेक्टेयर में यह नगर वन विकसित किया गया है। उज्जैन और देवास के सिटी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट का निरीक्षण केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की टीम कर चुकी है। टीम ने भोपाल और देवास के प्रोजेक्ट को बेहतर बताया है। भोपाल और ग्वालियर के सिटी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट दो साल पहले मंजूर हो गए थे, इसमें से ग्वालियर में हालात बेहद खराब हैं। इसके तहत प्रत्येक सिटी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट को 4 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राशि दी जाती है।
यह है नगर वन योजना
एक नगर वन वनाच्छादित क्षेत्र होता है, जो शहरों के आसपास के क्षेत्रों में स्थित होता है। यह शहर में जंगल मनोरंजन, शिक्षा, जैव विविधता, जल और मिट्टी के संरक्षण के लिए संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते हैं और प्रदूषण, गर्मी को कम करते हैं। नगर निगम व वर्ग वर्ग दो के शहरों वाले प्रत्येक शहर में सरकार कम से कम एक सिटी फॉरेस्ट का निर्माण व विकास करना चाहती है। यह पूर्ण स्वस्थ रहने का वातावरण प्रदान करेगा और स्मार्ट, स्वच्छ, हरित, सतत और स्वस्थ शहरों के विकास में भी योगदान देगा।