
- महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की कवायद ….
भोपाल/रवि खरे//बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में ग्रामीण बच्चों को राज्य स्तर पर योग के माध्यम से निखारा जाएगा। इसके लिए महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने कवायद शुरू कर दी है। स्कूली बच्चों को योग से निरोग बनाने की सरकार की अवधारणा को साकार करने स्कूल शिक्षा विभाग धरातल पर उतरा है। विभाग के अधीन संचालित महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान इस महत्वपूर्ण विषय पर युद्ध स्तर पर काम करने जुटा है। घर-घर योग की गंगा बहाने के लिए मॉडल क्लब गठित किए गए हैं। यहां ग्रामीण बच्चों को राज्य स्तर पर योग के माध्यम से निखारा जाएगा।
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के चेयरमेन भरत बैरागी का कहना है कि योग को हम प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं। इसके लिए गांव से लेकर राज्य स्तर की प्रतियोगिता कराने की योजना है। शीघ्र ही यह काम प्रारंभ होगा। सरकार की मंशानुसार बच्चे योग से निरोगी बनें और उनमें अच्छी सोच का निर्माण हो। इसी मंशा को लेकर काम किया जा रहा है।
50 मॉडल क्लब भी तैयार
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का कहना है कि पिछले सत्र के दौरान पूरे राज्य के सात हजार स्कूलों में योग क्लब गठित किए गए थे। मौजूदा सत्र में 50 मॉडल क्लब भी तैयार किए गए हैं। यह ऐसे क्लब होंगे, जहां मन और तन को स्वास्थ्य रखने वाले योग जैसी प्राच्य विद्या में कैसे नवाचार के साथ बच्चों को जोड़ा जाए। वह तरीके विकसित किए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि यह क्लब गांव स्तर के स्कूल तक जुड़ेंगे। ग्रामीण शाला स्तर पर योग की प्रतियोगिता करवाई जाएगी। इसके बाद विकासखंड, जिला और संभाग स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी। संभागीय प्रतियोगिता में जो बच्चा विजेता बनेगा। उसे राज्य स्तर की प्रतियोगिता में शामिल किया जाएगा। यहां से चयनित प्रतिभागी को सरकार पुरस्कृत भी करेगी।
बच्चों को तन-मन से बनाया जाएगा निरोगी
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का कहना है कि प्रत्येक शासकीय स्कूल में हर शिक्षक को योग में दक्ष बनाया जाएगा। निकट भविष्य में सभी विषयों के साथ योग प्राथमिकताओं में रखा जाएगा। इसकी बाकायदा राज्य स्तर से निगरानी भी की जाएगी। अफसरों की मानें तो पतंजलि संस्थान के माध्यम से सरकार की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए इस दिशा में तेजी के साथ कार्य चल रहा है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का कहना है कि बच्चे तन और मन से निरोगी रहकर बेहतर नागरिक बनें। यही लक्ष्य तय किया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि योग से व्यक्ति स्वास्थ्य तो रहता ही है, अच्छी सोच भी विकसित होती है। विचारों में शालीनता आती है तो देश भक्ति की भावना भी जागृत होती है। जब बच्चे योग में पारंगत होंगे तो कर्म की कसौटियों पर भी खरे उतरेंगे। अच्छी सोच का निर्माण होगा साथ ही उनमें एकाग्रता बढ़ेगी। जब बच्चे एकाग्र होंगे तो उनमें विकास के साथ देश भक्ति की भावना भी जागृत होगी।