भारत की अर्थव्यवस्था का सारथी बनेगा मप्र

शिवराज सिंह चौहान

– नीति आयोग की बैठक में शिवराज ने दिलाया भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कोरोना संक्रमण के कारण मोदी के मिशन की गति थोड़ी सी धीमी हुई है। ऐसे में गत दिनों नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री को विश्वास दिलाया कि मप्र भारत की अर्थव्यवस्था का सारथी बनेगा और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर ईकोनॉमी (अर्थ-व्यवस्था) बनाने में मध्यप्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान देगा। मुख्यमंत्री के इस कदम की देशभर में सराहना हो रही है।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम/भोपाल (डीएनएन)। नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर ईकोनॉमी बनाने में मध्यप्रदेश 550 बिलियन डॉलर के योगदान की जो घोषणा की है उस पर अमल भी शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इसके लिए योजना बनाने का निर्देश दे दिया है। गौरतलब है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मप्र अभियान शुरू किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने विकास का ऐसा खाका तैयार कर क्रियान्वित किया है की मप्र आत्मनिर्भर होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वहीं प्रदेश को मिल रही आर्थिक मजबूती के कारण ही मुख्यमंत्री ने इंडियन इकोनॉमी में मप्र के 550 बिलियन डॉलर के योगदान का ऐलान किया है।
विगत दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर ईकोनॉमी बनाने में मध्यप्रदेश के 550 बिलियन डॉलर के योगदान का भरोसा दिलाया है। सीएम ने कहा कि 21वीं सदी के आत्म-निर्भर भारत के प्रधानमंत्री मोदी के व्यापक विजन को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत के निर्माण में नीति आयोग की बड़ी भूमिका है। नीति आयोग किस तरह राज्यों की ताकत बनता है, मध्यप्रदेश उसका प्रमुख उदाहरण है।

विकास दर 19.74 प्रतिशत पहुंची
बैठक में सीएम ने बताया प्रदेश में साल 2020 में ही आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमेप बना लिया था। मध्यप्रदेश ने साल 2021-22 में 19.74 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। प्रदेश सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत पूंजीगत व्यय कर रहा है और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय के लिए 48 हजार 800 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। रोजगार सबसे बड़ी प्राथमिकता है और अगले एक साल में एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती की जायेगी। हितग्राही मूलक योजनाओं में सौ प्रतिशत सेचुरेशन के लिए विशेष अभियान चलाये जायेंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा मप्र में सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग के रकबे में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में गेहूँ और धान के स्थान पर कृषि विविधीकरण प्रोत्साहन योजना के माध्यम से दाल, रागी, जौ, मोटे अनाज, कोदो-कुटकी, रामतिल, तिल, मसाले, औषधीय फसलें, फलों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना में आईटीसी, पतंजलि, देहात जैसी प्राइवेट कम्पनियों से एक लाख 86 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि विविधीकरण में 13 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से दो प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी गई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा देवारण्य योजना शुरू की गई है, जिसमें तीन वर्षों में 10 हजार हेक्टेयर भूमि में औषधीय पौधों का उत्पादन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में प्रदेश में 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में मिशन मोड में बाँस उत्पादन किया गया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश में राज्य प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन किया गया है।
खेती में आधुनिक तकनीक के उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए सीएम ने बताया कि फसल बीमा पंजीयन को राज्य के लैण्ड रिकार्ड से जोड़ा गया है, जिससे ओवर और डुप्लीकेट इन्श्योरेंस को रोकने में सफलता मिली है। साथ ही बीमा भुगतान में उपज आकलन के लिए सेटलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी के इन प्रभावी उपयोग से कृषि सेक्टर में लगभग 2500 करोड़ रूपये की बचत संभावित है। किसानों और राजस्व अमले की सुविधा के लिए ई-गिरदावरी एप्लीकेशन लागू कर दिया गया है। किसानों को अपनी उपज का विक्रय अपने घर से उचित मूल्य पर करने के लिए च्च्फार्म गेट एपज्ज् भी विकसित किया गया है। प्रदेश में कृषि यंत्रों में सबसिडी का भुगतान ई-रूपी व्हाउचर से करने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि साल 2021 के राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में मप्र देश में 5वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एडाप्ट एन आंगनवाड़ी अभियान से आंगनवाडिय़ों के कायाकल्प में जनता को जोडऩे का सफल अभियान चलाया जा रहा है। जहाँ एक ओर आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्री-प्राइमरी शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उच्च गुणवत्ता वाले 9200 सी.एम. राइज स्कूल खोले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष में लगभग 18 हजार 500 स्कूल शिक्षकों की भर्ती की गई है। स्कूल में विद्यार्थियों को साइकल वितरण में भी ई-रूपी का उपयोग किया जायेगा।

600 करोड़ की अनुपयोगी संपत्तियों का मॉनेटाइजेशन हुआ
नगरीय निकायों के वित्तीय प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में लगभग 600 करोड़ रूपये की अनुपयोगी सम्पत्तियों को चिन्हित कर मॉनेटाइज किया जा चुका है। जीआईएस और दूसरी तकनीकों का उपयोग कर सभी शहरों में विकास योजना तैयार की जा रही है और पीएम गतिशक्ति में मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम और लॉजिस्टिक हब तैयार करने का कार्य भी प्रारम्भ किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि नगरीय विकास में नागरिकों की सहभागिता बढ़ाने के लिए च्च्नगर गौरव दिवसज्ज् का आयोजन किया जा रहा है। सभी नगरीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं। सीएम ने कहा देश में पहली बार प्रदेश में राज्य सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया है, जिसके द्वारा विकासखण्ड से लेकर राज्य स्तर तक आंकड़ों को एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य किया जायेगा। नीति आयोग के सहयोग से मध्यप्रदेश नीति एवं योजना आयोग में एक वर्टिकल बना कर विभिन्न योजनाओं के प्रभाव आकलन हेतु विशेष कदम उठाये गये हैं। प्रदेश में 50 आकांक्षी विकासखण्डों का निर्धारण कर उनके विकास का तंत्र विकसित किया गया है। प्रदेश में नई जल नीति और नई सहकारिता नीति का भी निर्माण किया जा रहा है।
सीएम ने बैठक में बताया मप्र में मातृभाषा में पढ़ाई शुरू करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज में सत्र 2022-23 से एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी माध्यम में शुरू की जा रही है। इसके साथ ही प्रदेश के 6 इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक कार्यक्रम और 6 पॉलीटेक्निक कॉलेजों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की हिन्दी में पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। प्रदेश के विद्यार्थियों को पीएम गतिशक्ति परियोजना से जोडऩे के लिए एक सुनियोजित रूपरेखा तैयार की जा रही है। साथ ही प्रदेश में नई खेल संस्कृति का विकास किया जा रहा है, जिससे हमारे खिलाड़ी विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि देश-भक्ति और अनुशासन विकसित करने के लिए एनसीसी और एनएसएस में विद्यार्थियों की भागीदारी को प्रदेश में कुल विद्यार्थियों का तीन प्रतिशत तक बढ़ाने की कार्यवाही की जा रही है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सुशासन की दिशा में की जा रही पहलों की जानकारी देते हुए बताया कि देश में पहली बार प्रदेश में राज्य सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया है, जिसके द्वारा विकासखण्ड से लेकर राज्य स्तर तक आंकड़ों को एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य किया जायेगा। नीति आयोग के सहयोग से मध्यप्रदेश नीति एवं योजना आयोग में एक वर्टिकल बना कर विभिन्न योजनाओं के प्रभाव आकलन हेतु विशेष कदम उठाये गये हैं। प्रदेश में 50 आकांक्षी विकासखण्डों का निर्धारण कर उनके विकास का तंत्र विकसित किया गया है। प्रदेश में नई जल नीति और नई सहकारिता नीति का भी निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्पों को साकार करने की दिशा में मध्यप्रदेश कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हम नेशनल एजेंडा के सभी लक्ष्य हासिल करेंगे।

तैयार होंगे नए औद्योगिक क्लस्टर
मप्र को औद्योगिक हब बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में इंदौर में 7 और 8 जनवरी 2023 को इनवेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया है। इस समिट को सक्सेस करने के लिए शासन स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शासन ने इनवेस्टर्स को रिझाने के लिए समिट के पहले प्रदेश के कई क्षेत्रों में नए औद्योगिक क्लस्टर बनाए जाएंगे। गौरतलब है कि कोरोना की गिरफ्त से निकलकर प्रदेश निवेश की राह पर बढऩे की तैयारी में है। जनवरी 2023 में होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर समिट से पहले निवेश का नया रोडमैप तैयार हो जाएगा। 10 से ज्यादा मल्टीनेशनल कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं। इनमें से कुछ से प्रारंभिक सहमति बन गई है तो कुछ जगह को लेकर मशक्कत में लगी हैं। आने वाले दिनों में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) और ड्रोन उद्योग से लेकर टैक्सटाइल-वेयरहाउसिंग जैसे परंपरागत उद्योगों तक में नए क्लस्टर आकार लेंगे। बता दें, कोरोना संक्रमण के कारण विदेशी निवेश लगभग बंद हो गया था। ऐसे में बंदिशों के कारण मप्र विदेशी निवेश को लेकर खास काम नहीं कर रहा था। अब स्थिति बदलने से वापस विदेशी निवेश पर फोकस किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगस्त में विदेश दौरा कर सकते हैं। इस बीच विभागीय स्तर पर विदेशी कंपनियों से निवेश को लेकर बातचीत जारी है। इन दिनों प्रदेश में औद्योगिक विकास तेज रफ्तार से हो रहा है। ग्रीन एनर्जी, आर्गेनिक खाद से लेकर लॉजिस्टिक इंडस्ट्री आकार ले रही है। भोपाल-राजगढ़ में 250 करोड़ से ग्रीन एनर्जी पार्क बनना है। इसमें 15 टन प्रतिदिन क्षमता का बायोगैस प्लांट, ऑर्गेनिक खाद, 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का कार्बन-डाई-ऑक्साइड कैप्चर प्लांट और 10 मेगावाट क्षमता का केप्टिव सोलर पॉवर प्लांट बनेंगे। हाइड्रोजन व अमोनिया गैस भी बनेगी। वहीं भोपाल-इंदौर-जबलपुर-ग्वालियर-कटनी सहित 7 प्रमुख क्षेत्रों में एयरपोर्ट व सडक़ कनेक्टिविटी वाले बड़े लॉजिस्टिक पार्क लाने की तैयारी भी है। भोपाल-इंदौर कॉरिडोर में आष्टा के समीप बड़े क्षेत्र पर एआई व आईटी हब के लिए प्लान है। 5 नए औद्योगिक क्षेत्रों को 714.56 करोड़ से बनना है। बैरसिया-भोपाल में 25.88 करोड़, आष्टा-सीहोर में 99.43 करोड़, धार में 79.43 करोड़, रतलाम में 462 करोड़ और नरसिंहपुर में 47.82 करोड़ की परियोजना है। इनमें 32 हजार करोड़ का निवेश संभावित है। 38 हजार रोजगार मिलेंगे।
इनवेस्टर्स समिट में आने वाले निवेश के प्रस्तावों को देखते हुए देवास में इंडस्ट्रियल एरिया बनेगा। यहां इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क, कमर्शियल, रेसीडेंशियल, लॉजिस्टिक इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट की प्लानिंग है। देवास, सोनकच्छ, आष्टा व सीहोर तक इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने की योजना है। वहीं पुणे के पिनेकेल उद्योग समूह ने 2000 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव दे रखे हैं। यह समूह पीथमपुर में 2000 करोड़ के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल प्लांट लगाना चाहता है। इससे 7 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसमें बस और छोटी लाइट कमर्शियल व्हीकल का उत्पादन होगा। जेएसडब्ल्यू पेंट समूह ने 1500 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया। अल्ट्राटेक सीमेंट व फोर्स मोटर्स समूह ने भी निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। जेके टायर समूह ने मुरैना में प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया। 750 करोड़ से प्लांट लगेगा। हाइड्राइज समूह एथेनॉल प्लांट लगाने की तैयारी में है। यह प्लांट सिवनी में लगना है। यह कंपनी लंदन की एथेना कैपिटल्स के साथ प्रदेश में बड़ा निवेश करेगी। इसी तरह एथेनॉल प्लांट के लिए तीन और कंपनियों से प्रारंभिक बातचीत हुई है। जल्द ही प्रस्ताव आगे बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है। चिरीपाल समूह ने रतलाम में 250 एकड़ में 4600 करोड़ निवेश का प्रस्ताव दिया। समूह सोलर सेल, सोलर ग्लास, पीवी मॉड्यूल की इकाई लगाएगा। टैक्सटाइल यूनिट भी लगेगी। इसमें 800 करोड़ निवेश का प्रस्ताव दिया है। इंटरनेशनल कम्फर्ट टेक्नोलॉजीज 180 करोड़ से मंडला के मनेरी में मेट्रेस, फोम किल्ट रोल्स और पिलो निर्माण की इकाई के विस्तार का प्रस्ताव दे चुका है। यह कंपनी देश की पॉलीयूरेथेन फोम निर्माण क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी स्लीपवेल ब्रांड में सामग्री का निर्माण करती है। अप्रैल 2020 से जनवरी 2022 के बीच 51 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। 3 हजार से एमएसएमई इकाइयां कोरोनाकाल के बीच नई शुरू हुईं हैं। सिवनी में हाइड्राइज ग्रुप ऑफ कंपनीज एथेनॉल प्लांट स्थापित करेगी। इसके लिए लंदन स्थित एथेना कैपिटल्स हाइड्राइज ग्रुप ऑफ कंपनीज में 50 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। इससे किसानों को लाभ होगा और तेल आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण के कार्यक्रम को तेजी से ट्रैक किया जाएगा। इसके वर्ष 2023 में उत्पादन शुरू करने की उम्मीद है।

ऑटोमोबाइल का हब बनेगा मप्र
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के प्रयास से अब मप्र ऑटोमोबाइल का हब बनेगा। मई में इंदौर में आयोजित ऑटो शो में इसकी संभावना सामने आई। एमपीआईडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह उद्योगों और निवेश को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक निवेश नीति बनाई गई है, उसी तरह अब ई-व्हीकल पॉलिसी बनाई जाएगी। इससे इंदौर, पीथमपुर सहित मप्र में ऑटोमोबाइल के ई-सेक्टर में उद्योग लगाने या निवेश करने करने वाली कंपनियोंं को कई प्रकार की छूट व रियायतें दी जाएंगी।  गौरतलब है कि देश की मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 35 फीसदी हिस्सेदारी ऑटो इंडस्ट्री की है। देश की जीडीपी में ऑटोमोबाइल उद्योग 7 प्रतिशत हिस्सेदारी कर रहा है। साथ ही यह क्षेत्र 3 करोड़ रोजगार भी दे रहा है। उद्योगपतियों ने कहा कि देश के ऑटो उद्योगों का कुल कारोबार करीब 100 बिलियन डॉलर है। इसमें से करीब 30 प्रतिशत हिस्सा हम निर्यात कर रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए पीथमपुर में स्किल डेवलपमेंट एकेडमी की स्थापना की जा रही है। इसके लिए जरूरी भवन और अधोसंरचना शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं के कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए डेनमार्क, स्वीडन, जापान, जर्मनी के साथ टेक्नोलॉजी कोलाब्रेशन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार पीथमपुर और मप्र में ऑटोमोबाइल उद्योगों की ओर से हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों पर सहमति बन चुकी है। अभी हालही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वोल्वो आइशर कमर्शियल व्हीकल्स लिमिटेड के एमडी विनोद अग्रवाल ने भेंट कर मध्य प्रदेश में 1,500 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश की जानकारी दी। कंपनी द्वारा पीथमपुर एवं बागरोदा में पूर्व से आटोमोबाइल उद्योग संचालित किया जा रहा है। कंपनी द्वारा आठ विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं, जिनमें 32,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री ने एमडी अग्रवाल को आश्वस्त किया कि उन्हें राज्य शासन द्वारा पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। निर्धारित नीति के अनुसार सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। ऐसे उद्योग आज की आवश्यकता है और इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा। अग्रवाल ने इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में नवीन प्रस्ताव के साथ साथ वर्तमान इकाइयों के क्षमता विस्तार के लिए तैयार परियोजना प्रस्ताव से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि आइशर द्वारा प्रदेश में वर्ष 1986 में पहली इकाई लगाई गई थी। वर्तमान में पीथमपुर और बागरोदा में आठ इकाइयां चल रही हैं। मध्य प्रदेश की 110 आटो कंपोनेंट इकाइयों द्वारा कंपनी की सभी यूनिट्स में सामग्री की आपूर्ति की जाती है। प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन संजय शुक्ला द्वारा कंपनी के प्रस्ताव का विवरण दिया गया।
वहीं मप्र में फैली राज्य शासन की ऐसी संपत्तियां जो मृतप्राय हैं और जिनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है, सरकार उनको बेचकर अपना खजाना भर रही है। शासन का मानना है कि इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण हो रहे हैं। ऐसे में इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना जरूरी है। इसी के लिए सरकार ने लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। विभाग प्रदेशभर की अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को सूचीबद्ध कर रहा है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने बीते सवा महीने में 107 करोड़ रुपए में दस परिसंपत्तियों को नीलामी के जरिए बेच दिया है। दरअसल, सत्ता में आने के बाद से ही खजाना खाली होने के चलते प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार आय के साधन को बढ़ाने में जुटी हुई है। राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए आए दिन बड़े-बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब सरकार प्रदेश भर में मौजूद अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को बेच रही है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की कहां, कितनी संपत्ति है, उसका क्या व्यावसायिक या अन्य उपयोग किया जा सकता है। इसका प्रबंधन करने के लिए सरकार ने एक अलग लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। यह विभाग प्रदेशभर में सरकारी संपत्तियों की सूची तैयार कर रहा है।  विभाग संपत्ति के रखरखाव के साथ उसके औचित्य का निर्धारण भी कर रहा है। सरकार को इस संपत्ति के बारे में राय दे रहा है कि उसे बेचना उचित है या नहीं। उसका किस तरह से व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने बीते सवा महीने में 107 करोड़ रुपए में दस परिसंपत्तियों को नीलामी के जरिए बेच दिया है। इन परिसंपत्तियों के लिए रिजर्व प्राइस से सरकार को डेढ़ से तीन गुना तक फायदा हुआ है। अभी तक सरकार 43 परिसंपत्तियों को बेच चुकी है और 39 संपत्तियों को बेचने की टेंडर प्रक्रिया चल रही है। सवा माह के भीतर सरकार ने 68,965 वर्गमीटर जमीन बेची है। बेकार पड़ी परिसंपत्तियों को बेचने के कारण केंद्र से मप्र को 1,005 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता मिलेगी। मप्र सरकार ने 26 सितंबर 2020 में अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचने का निर्णय लिया। इसके बाद 69 विभागों की 2 हजार परिसंपत्तियों की सूची तैयार की गई। जिसमें से 444 शासकीय कार्य के लिए उपयोगी पाई गईं। इन परिसंपत्तियों के लिए निर्धारित मूल्य से सरकार को तीन गुना तक फायदा हुआ है। बीते सवा महीने में दस परिसंपत्तियों को 107 करोड़ 42 लाख रुपए में बेचा गया। मप्र के बाहर शासकीय परिसंपत्तियों से आय बढ़ाने के लिए सरकार उनका नए सिरे से उपयोग करेगी। इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 में बदलाव का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत मप्र के स्वामित्व वाली वे संपत्तियां जो अन्य राज्यों में है और अविवादित हैं, उन्हें नीति में शामिल किया जाएगा। वहीं, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के माध्यम से विभिन्न विभागों की अनुपयोगी परिसंपत्तियों को नीलाम करने कार्रवाई शुरू कर दी गई है। शहरी क्षेत्रों में स्थित शासकीय भवन और परिसरों के नए सिरे से उपयोग के लिए पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 में लागू की गई थी। इसका दायरा सीमित था लेकिन अब इसके विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। इसे देखते हुए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नीति में संशोधन का मसौदा तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक निगम, मंडल, प्राधिकरण और नगरीय निकायों के भवन या परिसर भूमि का नए सिरे से उपयोग किया जा सकेगा। प्रदेश के बाहर स्थिति अविवादित और अनुपयोग संपत्ति भी नीति के दायरे में आएगी। प्रदेश की उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में संपत्तियां हैं। पुनर्घनत्वीकरण के अलावा उन संपत्तियों को नीलाम करने की प्रक्रिया भी चल रही है, जो अनुपयोगी हैं। इसके लिए अब लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया गया है। सभी विभागों ने अपनी परिसंपत्तियों की जानकारी इस विभाग के पोर्टल पर दर्ज की हैं। विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई की लगातार समीक्षा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस कर रहे हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजस्व, वित्त, लोक निर्माण सहित अन्य विभागों का अभिमत लिया जा रहा है। मप्र राज्य परिवहन निगम की कई संपत्तियां गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व अन्य राज्यों में भी हैं। उनमें से कई सम्पत्तियों की हालत यह है कि कहीं तो दबंगों ने इन पर कब्जा कर लिया है तो कहीं स्थानीय सरकार ने। महाराष्ट्र के नागपुर में भी मप्र राज्य परिवहन निगम का एक सम्पत्ति थी, जिस पर महाराष्ट्र सरकार ने गरीबों के आवास बना दिए हैं।

राष्ट्रपति के सहारे बड़ा खेल
भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाकर बड़ा सियासी दाव खेला है। राष्ट्रपति के जरिए भाजपा मध्य प्रदेश में मिशन 2023 की राह बनाने में जुटी हुई है। बताया जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू के सहारे भाजपा मध्य प्रदेश में आदिवासियों को साधना चाहती है। जिससे 2023 में भाजपा की राह मप्र में आसान हो सकती है। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासी वर्ग से बड़ा झटका लगा था। जिससे प्रदेश में भाजपा की सरकार तक चली गई थी। बता दें कि संघ और भाजपा ने इस वर्ग पर विशेष फोकस करने का निर्णय लिया गया है। जबकि द्रौपदी मुर्मू का राष्टपति बनना भाजपा के लिए और भी फायदेमंद हो सकता है। 2003 से 2013 तक चुनावों में जनजातीय वोट भाजपा के साथ रहा था और पार्टी लगातार सत्ता में काबिज थी, लेकिन 2018 में कांग्रेस की और यह वोट बैंक डायवर्ट हो गया और भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी। ऐसे में भाजपा ने भी अभी से इन इस वर्ग को साधने की तैयारी कर ली है। नवंबर में पीएम मोदी खुद बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तो हाल ही में संत रविदास जयंती पर भी शिवराज सरकार ने प्रदेश भर में बड़ा आयोजन किया था। यानि भाजपा भी अभी से इस समीकरण को साधने में जुटी है।
प्रदेश में 2 करोड़ से ज्यादा आदिवासी आबादी है, 43 समूहों में बटा प्रदेश का आदिवासी वर्ग राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 87 विधानसभा सीटों पर सीधा असर डालता है। जिनमें से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश के पिछले कुछ चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो यह बात स्पष्ट समझ में आती है कि कैसे प्रदेश की सियासत में आदिवासी वर्ग कैसे हार-जीत का समीकरण तय करता है। प्रदेश में आदिवासी समुदाय सियासत में अहम स्थान रखता है। आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं, जबकि आदिवासी वर्ग प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैं और यहां हार-जीत में अहम भूमिका निभाते है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी। जबकि 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। जिससे इन सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने खास फोकस शुरू कर दिया है। 

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