
- तस्कर से हुई मुठभेड़ में मौत का मामला…
भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। लटेरी की घटना को लेकर जिस तरह से सरकार ने वन कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है, उससे वन विभाग के कर्मचारियों में बेहद रोष है। हालात ऐसे वन गए हैं कि प्रदेश के अधिकांश इलाकों में न केवल जंगल अब लावारिस हालात में पहुंचने लगे हैं , बल्कि वनकर्मी भी अब जंगलों की सुरक्षा से तौबा कर रहे हैं। कार्रवाई के विरोध में वन अमले ने सरकारी हथियार तो जमा करा ही दिए हैं और अब वे वर्दी भी जमा कराने की रणनीति बना रहे हैं। इस आक्रोश को देखते हुए ही अब वन बल प्रमुख को खुद मोर्चा सम्हालना पड़ रहा है। वन कर्मचरियों का आरोप है की इस मामले में सरकार ने इकतरफा कार्रवाई की है। प्रदेश भर में वन कर्मियों द्वारा बंदूके और रिवाल्वर जमा कराए जाने की वजह से विभाग में हड़कंप मच गया है। इसके बाद वन बल प्रमुख आरके गुप्ता को एक परिपत्र सभी मैदानी अफसरों को लिखना पड़ा है। इसमें उनके द्वारा शस्त्र जमा न करने की अपील की गई है। गुप्ता ने आक्रोशित वन कर्मियों को आश्वस्त किया है कि पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ उच्च स्तरीय चर्चा की जा रही है। विभाग के मुखिया गुप्ता ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि विदिशा के लटेरी में अपराधी मारा गया है। वन बल प्रमुख गुप्ता ने अपनी परिपत्र में कहा है कि शासन द्वारा वन अमले को बंदूक एवं रिवाल्वर वन अपराध रोकने तथा आत्म रक्षार्थ प्रदान किए गए है। इस प्रकार के शस्त्र के उपयोग के लिए विधि में आवश्यक प्रावधान भी है। उन्होंने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विदिशा वन मंडल के तहत हुई घटना में एक अपराधी ( चैन सिंह) मारा गया एवं वन कर्मियों के विरुद्ध पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई को लेकर वरिष्ठ स्तर पर चर्चा की जा रही है। इस घटना को लेकर राजनीति के आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस मामलें में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर एसडीएम ने चोरी के आरोपी मृतक चैन सिंह के परिवार को 25 लाख रुपए का चेक दे दिया है। उन्होंने वन कर्मियों को इस घड़ी में संयम बरतने की अपील करते हुए कहा है कि वनों एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा का कर्तव्य निभाते रहे।
मजिस्ट्रियल जांच भी नहीं
वन कर्मियों और संगठित लकड़ी चोर गिरोह के बीच हुई इस मुठभेड़ में आरोपी चैन सिंह की मौत के बाद कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच के मौखिक आदेश जारी किए थे , लेकिन अब तक इस मामले की जांच ही शुरू नहीं हुई है। इस बीच पुलिस ने हत्या के आरोप में डिप्टी रेंजर निर्मल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि कहा जा रहा है की वे मौके पर थे ही नहीं। इसी तरह से अन्य आरोपी बनाए गए कर्मियों को पकड़ने के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। हद तो यह है की रेंजर लटेरी दक्षिण द्वारा थाना प्रभारी को दिए गए आवेदन पर भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
न्यायिक जांच की मांग
इधर, पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई से नाराज वनकर्मियों द्वारा कलेक्टर उमाशंकर भार्गव को ज्ञापन सौंपकर घटना की न्यायिक जांच की मांग की जा चुकी है। दरअसल 9 अगस्त की रात को रायपुरा गांव के लोग जंगल से लकड़ी काटकर ले जा रहे थे। इसी दौरान उनकी वनकर्मियों से मुठभेड़ हो गई थी। इसी दौरान वनकर्मियों ने उन पर फायरिंग कर दी, जिसमें चैनसिंह भील नामक युवक की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी और चार अन्य आदिवासी घायल हो गए थे। लटेरी पुलिस ने घायलों की शिकायत पर डिप्टी रेंजर निर्मल अहिरवार सहित अन्य पर भादवि की धारा 302,307 और 34 के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में गोलियां किस बंदूक से चली, इसकी जांच के लिए वन विभाग की 13 बंदूकों को जब्त किया गया हैं।
हथियार देने पर उठाए सवाल
इस मामले में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों में नाराजगी है। उनका कहना है की वे अब अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका मानना है कि उन्हें जो शासकीय हथियार मिले हैं, वह वनों की रक्षा के लिए हैं। संगठन के लोगों ने कहा कि जब वनों की रक्षा करने पर इस तरह की कार्रवाई हो रही है तो इन हथियारों का कोई मतलब नहीं है। इसलिए इन हथियारों को जमा कर दिया है। अगर उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो आने वाले समय में प्रदेशव्यापी हड़ताल करेंगे।