8 साल से मारा जा रहा सरकारी नौकरी में सब इंजीनियर्स का हक

इंजीनियर्स

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में बीते आठ साल से सरकारी नौकरी में सब इंजीनियर्स का हक मारा जा रहा है। इसकी वजह से अब इन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है। यही नहीं अब वे सरकार के खिलाफ भी विरोध में उतर आए हैं। दरअसल इस समय प्रदेश के  अगल-अलग सरकारी विभागों के लिए सब इंजीनियर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इसके लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा 2198 पदों के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। यह आवेदन 23 अगस्त तक लिए जाएंगे। इस बीच डिप्लोमा होल्डर्स भर्ती प्रक्रिया के नियमों के  में  यह स्थिति तब बनी हुई है जबकि हर साल 12 हजार इंजीनियरिंग डिप्लोमा होल्डर्स निकलते हैं। बताया जा रहा है की 2198 पदों पर होने वाली भीर्त  के लिए अब तक करीब 52 हजार से अधिक आवेदन मिल चुके हैं।
नहीं होनी चाहिए प्रतियोगिता
डिप्लोमा इंजीनियर्स का कहना है कि तीन साल के डिप्लोमा कोर्स में 10 वीं के आधार पर प्रवेश दिया जाता है, जबकि डिग्री कोर्स बीई, बीटेक में 12वीं के बाद प्रवेश मिलता है। यह पाठ्यक्रम चार साल का है। ऐसे में दोनों के बीच प्रतियोगिता नहीं कराई जानी चाहिए। पॉलिटेक्निक छात्रसंघ के उप प्रांताध्यक्ष पीएन दुबे के मुताबिक उप्र, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, दिल्ली जैसे राज्यों में सब इंजीनियर पोस्ट के लिए सिर्फ डिप्लोमाधारी ही पात्र माने जाते हैं। खास बात यह है की उत्तर प्रदेश और बिहार में इसके खिलाफ डिग्रीधारी हाईकोर्ट भी गए थे, लेकिन इस पर भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसी आधार पर अब प्रदेश के इंजीनियरिंग डिप्लोमा होल्डर्स भी अपने हक के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।
उधर, पॉलिटेक्निक से पासआउट छात्रों को मप्र डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने समर्थन देते हुए इस मामले में सीएम को पत्र भी लिखा है। दरअसल डिप्लोमा होल्डर्स चाहते है कि यदि सरकार इस भर्ती में उच्च अर्हता प्राप्त उम्मीदवारों को भी मौका देना चाहती है तो उनके लिए कोटा तय कर दिया जाए, जिससे की डिप्लोमा होल्डर्स के हितों को नुकसान न होने पाए।
आठ साल से जारी है भेदभाव
डिप्लोमा इंजीनियर्स का कहना है कि बीते आठ साल यानी कि वर्ष 2014 से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। 2015 में राज्य सरकार की ओर से  एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिससे बीई, बीटेक, एमई, एमटेक करने वाले उम्मीदवारों को भी योग्य घोषित कर दिया गया, जबकि 2013 तक सिर्फ डिप्लोमा होल्डर्स ही पात्र थे। इसके बाद जो भर्तियां निकलीं, उनमें 70 फीसदी से अधिक बीई डिग्रीधारी नौकरी पा रहे हैं। उम्मीदवारों ने बताया कि अभी अधिकतर विभाग न्यूनतम योग्यता में डिप्लोमा ही मांगते हैं। इस बार भी रूल बुक में 26 विभागों ने इंजीनियरिंग डिप्लोमा की न्यूनतम अहर्ता दर्शाई है लेकिन इससे उनका कोई भला नहीं होता है।

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