
हाईराइज इमारतों और अस्पतालों में फायर ऑडिट का मामला
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
हाल ही में जबलपुर शहर के एक अस्पताल में लगी आग से हुई मौतों के बाद भी सरकारी अमला लापरवाह बना हुआ है। यह लापरवाही तब भी बनी हुई है जबकि इस घटना के बाद सरकार व शासन दोनों ने ही भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए हाईराइज इमारतों और अस्पतालों में फायर ऑडिट करने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों को किस तरह से जिम्मेदार नजरअंदाज कर रहे हैं, इससे समझा जा सकता है की प्रदेश के 413 निकायों में से महज एक निकाय ने ही अब तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी है।
यह रिपोर्ट भी भोपाल शहर की है। दरअसल जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में सुरक्षा उपायों के पुख्ता इंतजाम किए गए होते तो शायद ही अग्नि हादसा होता। गौरतलब है की भोपाल के हमीदिया अस्पताल में अग्नि हादसे के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने सभी 413 नगरीय निकायों को फायर सिस्टम सर्वे ऑडिट करने के लिए कहा था। रिपोर्ट भी विभाग को भेजने के लिए निर्देश दिए थे। यह भी निर्देश दिए थे कि जिन भवनों में अग्नि सुरक्षा के उपाय या फायर सिस्टम की व्यवस्था नहीं हैं उनमें व्यवस्था तय करने, जहां लगे हैं उन्हें चालू कराने या भवन संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह ऑडिट आवासीय उपयोग के 15 मीटर या अधिक ऊंचाई के भवन, जिसमें दो या अधिक बेसमेंट हैं या एक बेसमेंट का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से अधिक वाले भवनों का किया जाना था। इसमें होटल, शैक्षणिक संस्था, व्यावसायिक, औद्योगिक आदि एवं मिश्रित उपयोग के भवन (किसी एक तल या अधिक तल का फ्लोर एरिया 500 वर्ग मीटर से अधिक) शैक्षणिक भवन जिसकी ऊंचाई 9 मीटर या उससे अधिक वाले शामिल हैं। इसके अलावा सभा आदि के उपयोग के भवन आदि के लिए फायर एनओसी लेना एवं फायर सिस्टम स्थापित करना जरूरी है।
भोपाल में यह हालात।
भोपाल नगर निगम द्वारा 312 भवनों का सर्वे कराया गया है, जिसमें 126 इमारतों में फायर सिस्टम ही नहीं मिले हैं। इसी तरह से 59 भवनों में फायर सिस्टम तो लगे मिले , जो या तो बंद पड़े हुए थे या फिर खराब हालात में हैं। इसी तरह से 225 भवनों के पास फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र तक ही नहीं था। दरअसल हाईराइज इमारतों में फायर सिस्टम पुलिस और नगर निगम के बीच उलझा हुआ है। इंदौर, मालनपुर, पीथमपुर, भोपाल के चुनिंदा भवनों, मंत्रालय, विंध्याचल, सतपुड़ा, विधानसभा, राजभवन में फायर सिस्टम की जिम्मेदारी पुलिस के पास है। सभी नगर निगमों में फायर सिस्टम निगरानी और पड़ताल की जिम्मेदारी नगर निगमों के पास है।