
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम ।
मप्र का इकलौता प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) बदहाली का केंद्र बन गया है। विश्वविद्यालय की साख लगातार गिर रही है। कभी देश में अपनी उपलब्धियों और इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण देशभर में ख्यात आरजीपीवी आज इस कदर बदहाल स्थिति में है कि नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) का ए-ग्रेड तमगा भी हट गया है। उसके बाद भी विवि प्रबंधन यह मानने को तैयार नहीं है कि उसकी हालत खराब हो रही है। हालांकि कुलपति प्रो. सुनील कुमार का कहना है कि एनबीए ने खुद ही विजिट की तारीख आगे बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि नैक की वैधता 6 महीने के लिए बढ़ गई है। जबकि हकीकत में नैक ने कोरोना के कारण मूल्यांकन के लिए सेल्फ स्टडी रिपोर्ट, डाटा वेलीडेशन और वेरीफिकेशन की तारीख बढ़ाकर 31 अगस्त 2022 की है। नैक की वैधता नहीं बढ़ाई गई है। आरजीपीवी मप्र का इकलौता प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है, लेकिन यहां का एक भी डिपार्टमेंट राष्ट्रीय रैकिंग में शामिल नहीं है। जून-2017 में मिले ग्रेड की वैधता डेढ़ महीने पहले जून में खत्म हो चुकी है। लापरवाही इतनी है कि विवि प्रबंधन ने नैक ग्रेड को बरकरार रखने के लिए न तो कोई तैयारी की, न ही दूसरे चरण में नैक टीम से निरीक्षण कराया। नैक ने अधिकृत वेबसाइट से एक्रीडिटेशन स्टेटस लिस्ट से आरजीपीवी का नाम हटा दिया है। विवि के जिम्मेदार अधिकारी और एकेडमिक एचओडी अपने ही कैंपस में संचालित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) के एक भी कोर्स को 17 साल बाद भी नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) से मान्यता नहीं दिला सके हैं। जबकि, आरजीपीवी से संबद्ध कॉलेज, इसके यूआईटी और यूटीडी से आगे निकलने लगे है। भोपाल में संचालित एसवी और महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज के कोर्स एनबीए से एक्रीडिटेड हो गए हैं। खास बात यह है कि विवि 2008-09 से नियमित शिक्षकों की भर्ती नहीं कर सका है। इसका असर विद्यार्थियों पर पड़ रहा है। उन्हें एक्सपोजर नहीं मिल पा रहा है।