अब हर माह कांग्रेस के जिला प्रभारी को रहना होगा मैदान में

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  • प्रदेश मुख्यालय को देना होगा कामकाज का ब्यौरा…

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों से फ्री होने के बाद अब कांग्रेस का पूरा फोकस प्रदेश में संगठन को मजबूत करने और सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे लाने पर है। यही वजह है की अब कांगे्रस के प्रदेश संगठन ने बड़ा बदलाव करते हुए जिलों में नय सिरे से प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। दरअसल यह पूरी कवायद अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर की गई है। प्रदेश संगठन जानता है की अगर संगठन को मजबूत नहीं किया गया तो पार्टी को चुनावों में नुकसान हो सकता है। इसकी वजह से ही प्रदेश के शीर्ष नेताओं ने नई रणनीति के तहत काम शुरू कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तय किया है की अब जिले का हर प्रभारी माह में कम से कम दस दिन मैदानी स्तर पर काम करेगा।
इस दौरान उसके द्वारा मैदानी स्तर पर सक्रिय और निष्क्रिय कांग्रेस नेताओं की पूरी सूची तैयार करने का काम किया जाएगा। यही नहीं मैदानी स्तर पर दस दिनों में क्या किया है इसकी जानकारी भी हर माह उन्हें प्रदेश मुख्यालय को देनी होगी। इस जानकारी के आधार पर स्थानीय स्तर पर और जिला स्तर पर संगठन में जरूरत महसूस होने पर बदलाव भी किए जाएंगे। पार्टी सूत्रों की माने तो कमलनाथ ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भीतरघात करने वाले और बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वालों पर कार्रवाई करने को कहा गया है। यही नहीं अब नाथ के निशान ेपर वे जिला प्रभारी भी रहने वाले हैं ,जो प्रभार के जिलों में या तो जाते ही नहीं है या फिर जाते हैं तो बस दिखावे के लिए। नाथ ने स्पष्ट किया है कि अब प्रभारी को माह में कम से कम दस दिन जिले में रहना होगा। इस दौरान वह हर नेता की गतिविधियों पर नजर रखेगा तथा कमजोर नेताओं की कारण सहित रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश कार्यालय को देगा। इसके बाद निष्क्रिय रहने वालों को पहले चेतावनी देकर सक्रिय रहने की चेतावनी दी जाएगी। इसके बाद भी कामकाज में सुधार नहीं लाया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संगठन चुनाव को लेकर असमंजस  
कांग्रेस में संगठन चुनाव को लेकरी असमंजस की स्थिति बनती हुई दिख रही है। प्रदेश में यह काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। इसकी वजह से अब तक प्रदेश में ब्लॉक अध्यक्ष तक के चुनाव नहीं हो सके हैं। तय कार्यक्रम के तहत ब्लॉक से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व एआईसीसी सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया 20 अगस्त तक पूरी की जाना है। इसके बाद अगले माह सितंबर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाना प्रस्तावित है। जिस गति से संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है उससे से तो लग रहा है की प्रदेश में इस माह में जिला अध्यक्षों का चुनाव होना भी संभव नहीं है। गौरतलब है की अखिल भारतीय कांग्रेस ने जनवरी-फरवरी में संगठन चुनाव की घोषणा की थी। निर्धारित शेड्यूल के अनुसार मध्य प्रदेश में संगठन चुनाव की निर्वाचन प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू होकर 20 अगस्त तक पूरी की जाना है। संगठन चुनाव को समय पर पूरा कराने के लिए प्रदेश के  प्रोविंशियल रिटर्निंग आॅफिसर बनाए गए आरसी खूंटिया समय-समय पर भोपाल प्रवास के समय चुनाव तैयारियों को लेकर बैठकें भी करते रहते हैं, लेकिन इसके बाद भी यह काम गतति नहीं पकड़ पाया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि मार्च में सदस्यता अभियान की अवधि एक महीना बढ़ाए जाने के कारण संगठन चुनाव का पूरा शेड्यूल गड़बड़ा गया है। इसके बाद पार्टी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में व्यस्त हो गई।
नाथ का भी जोर संगठन की मजबूती पर
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से भाजपा के संगठन को मजबूत बताते हुए कह चुके हैं कि हमारा संगठन कमजोर है, हमें उसे मजबूत करना है। इसके लिए मंडलम, सेक्टर और पोलिंग बूथ का गठन भी किया जा रहा है। पार्टी नेताओं का मानना है कि संगठन चुनाव में देरी का असर विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर पड़ेगा। प्रदेश, जिला और ब्लॉक की नई कार्यकारिणी के गठन में जितनी देरी होगी, उतनी देरी से नेता चुनाव मैदान में सक्रिय होंगे। यह बात अलग है की अगले साल होने वाले विस चुनाव के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस द्वारा मतदान केंद्र स्तर पर अभिकर्ता नियुक्त करने का फैसला किया जा चुका है। वे मुख्यरुप से नवंबर, 2022 से शुरू होने वाले मतदाता सूची के संक्षिप्त पुनरीक्षण के काम पर नजर रखेंगे। पात्र मतदाताओं के नाम जुड़वाने और अपात्रों के नाम कटवाने के लिए बूथ लेवल आॅफिसर को दावा-आपत्ति प्रस्तुत करेंगे। इसके लिए प्रदेश संगठन ने सभी विधायकों, पूर्व विधायकों, प्रदेश और जिला इकाइयों के पदाधिकारियों को 64 हजार 634 मतदान केंद्रों पर अभिकर्ता नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं, ताकि मतदाता सूची में किसी प्रकार की गड़बड़ी न रहे। नगरीय निकाय चुनाव के समय मतदाता सूची में सामने आई गड़बड़ी को देखते हुए प्रत्येक मतदान केंद्र स्तर पर अभिकर्ता नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है।

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