प्रदेश में 16 सौ करोड़ खर्च कर लगे 20 करोड़ पौधे, कितने बचे पता नहीं

पौधे
  • हर साल लाखों पौधे लगाए जाने के दावों की निकली हवा….

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पिछले 12 सालों में 207 वर्ग किलोमीटर जंगल घटा है। ऐसा तब है जब हर साल लाखों पौधे लगाए जाने का दावा किया जा रहा है। बीते चार साल में पौधारोपण पर 1510 करोड़ रुपए और रख-रखाव पर करीब 90 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद भी न तो हरियाली बढ़ी और न ही अवैध कटाई रुकी।
साल 1980 से साल 2021-22 तक 119401 हेक्टेयर वन भूमि को दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया गया है। वहीं पिछले चार साल में अवैध खनन से 10974 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009-10 में राज्य में अति सघन, सघन और खुला वनक्षेत्र 77700 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 77493 वर्ग किमी रह गया है। यानी 12 साल में 207 वर्ग किमी जंगल घट गया। ऐसा तब है, जब हर साल पौधारोपण होने का दावा किया जाता है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 में 7 लाख 47 हजार, वर्ष 2010 में 6 लाख 60 हजार और वर्ष 2011 में 7 लाख 4 हजार पौधे रोपे गए। साल 2020-21 में वन विभाग ने 3 करोड़ 86 लाख से ज्यादा और साल 2021-22 में 3 करोड़ 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए।  मप्र सरकार द्वारा पौधारोपण को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी जंगल घट रहा है।
सघन वन घटा, ओपन फॉरेस्ट का दायरा बढ़ा
वर्ष 2019-20 में मध्यम घना जंगल 34341 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 34209 वर्ग किमी रह गया। यही नहीं, बहुत घने जंगल का रकबा भी दो किमी घटा ही है। वर्ष 2019-20 में ये आंकड़ा 6667 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 6665 वर्ग किमी पर आ गया। दूसरी तरफ, वर्ष 2019 में ओपन फॉरेस्ट का दायरा 36465 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 36618 वर्ग किमी हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ओपन फॉरेस्ट का दायरा 153 वर्ग किमी तक बढ़ गया है। ज्यादा है। सघन वन में पेड़ों का घनत्व 40 से 70 फीसदी तक होता है। ओपन या खुले वनों में पेड़ों का घनत्व 10 से 40 फीसदी तक होता है।
अकेले पौधारोपण पर खर्च हुए 300 करोड़
मध्य प्रदेश के जंगलों को हरा-भरा रखने के लिए हर साल पौधे लगाए जाते हैं।  इन पौधों की खरीद और रख-रखाव पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। साल 2021-22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं इनके संरक्षण पर भी सरकार ने 17.98 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। इसी तरह साल 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
निगरानी होती है पर रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होती
पौधारोपण के छह महीने बाद इनकी निगरानी और गणना भी हुई। पौधों की निगरानी तीन साल तक की जाती है। हर छह महीने में पौधों की गणना होती है। गणना में देखा जाता है कि लगाए गए पौधों में से कितने फीसदी बचे, लेकिन पौधे लगाने के बाद की गणना और निगरानी का रिकॉर्ड आपको कहीं नहीं मिलेगा। विधान सभा में प्रस्तुत रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के वनों को हरा रखने और पौधारोपण के बाद उनके संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने बीते चार साल में 1600 करोड़ रुपए खर्च किए। पौधारोपण पर 1510 करोड़ रुपए खर्च हुए और रख-रखाव पर करीब 90 करोड़। इतना खर्च होने के बाद भी हरियाली नहीं बढ़ी।
पूर्व मंत्री ने पकड़ी थी गड़बड़ी
पिछली सरकार के कार्यकाल में वन मंत्री उमंग सिंगार ने पौधारोपण में होने वाली धांधली रोकने के लिए एक सर्वे कराया था। उस सर्वे में पौधारोपण की हकीकत सामने आई थी। विभाग ने बैतूल उत्तर वनमंडल की शाहपुर रेंज में 15,526 पौधे लगाने का दावा किया था, लेकिन मौके पर नौ हजार गड्ढे ही मिले थे। इनमें भी दो से ढाई हजार पौधे ही मिले। गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने पांच कर्मचारियों को निलंबित किया था।
पौधारोपण गड़बड़ी में गर्ग को नोटिस
दक्षिण सागर वन मंडल में पौधारोपण में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है। करीब निर्धारित संख्या से 20000 गड्ढे कम खोदे गए थे। यही नहीं बल्कि उर्वरक मिट्टी होने के बावजूद भी मार्केट से मिट्टी और खाद खरीदना दशार्या गया है। इस मामले में पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव ने जांच की थी और जांच में दोषी पाए जाने पर दक्षिण सागर वन मंडल के डीएफओ नवीन गर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

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