अपनों के निशाने पर आए… कांग्रेसी विधायक, बनी मुश्किल

कांग्रेसी विधायक

कार्रवाई के नाम पर पार्टी में चुप्पी के हालात

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय चुनावों में मिली पार्टी की जीत से उत्साहित कांग्रेस को एक दर्जन से अधिक विधायकों ने जोर का झटका धीरे से दिया है। इसकी वजह से प्रदेश कांग्रेस का संगठन और उसके बड़े नेताओं के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल भाजपा प्रत्याशी को क्रॉस वोटिंग की वजह से 19 अधिक मत मिले हैं। इनमें 13 वोट तो कांग्रेस विधायकों के तय हैं। इसके अलावा पांच मत निरस्त हुए हैं, वह भी कांग्रेस के खाते के ही बताए जा रहे हैं। अब इन विधायकों की तलाश करने के साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पार्टी के ही अंदर से उठनी तेज हो गई है। इसकी वजह से एक बार फिर प्रदेश में कमलनाथ को बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेंस विधायकों द्वारा पार्टी लाइन से हटकर राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान किए जाने की वजह से एक बार फिर कमलनाथ के प्रबंधन पर सवाल खड़े होने लगे हैं। इसकी वजह है सरकार में होने के बाद भी पार्टी के विधायकों द्वारा पहले एक साथ बगाबत कर भाजपा का दामन थाम लेना। इसके बाद भी कांग्रेस विधायकों का एक के बाद एक भाजपा में जाना लगा रहा है। हद तो यह हो गई की राष्ट्रपति चुनाव में भी पार्टी के कई विधायकों ने एक साथ कमलनाथ को गच्चा दे दिया। यह गच्चा कमलनाथ एस समय खा गए जबकी पहले से ही श्ह माना जा रहा था की पार्टी के कई विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं। इसके बाद भी पार्टी ने इस मामले में लापरवाही दिखाई। दरअसल इसी तरह की लापरवाही करीब ढाई साल पहले तब भी दिखाई गई थी जब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी। जिसकी परीणिति कांग्रेस की सरकार के गिरने के रुप में सामने आयी थी। सरकार गिरने के बाद भी संगठन ने सबक नहीं लिया और उसी तरह की कार्यशैली आज भी जारी है। खास बात यह है की अब तक जो कयास लगाए जा रहे हैं उनमें कहा जा रहा है की द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने वालों में कांग्रेस के आदिवासी विधायकों के अलावा कुछ सामन्य वर्ग के विधायक भी शामिल हैं। दरअसल भाजपा ने सोची समझी रणनीति के तहत इस मामले में पूरी तरह से जनजातीय प्रत्याशी के नाम कांग्रेस के आदिवासी वर्ग के विधायकों से भावनात्मक रूप से एनडीए प्रत्याशी का समर्थन करने का आव्हान किया था। इस बीच भाजपा नेताओं द्वारा कांग्रेस के कुछ आदिवासी विधायकों से मेल- मुलाकात करने की भी खबरें आई थीं। यही नहीं भोपाल में यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा व कमलनाथ के सामने बैठक में कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने तो यहां तक आरोप लगाया था की उन्हें भाजपा ने क्रॉस वोटिंग के लिए 50 लाख रुपए आॅफर किए गए हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी को इक्का-दुक्का विधायकों पर संदेह था, लेकिन इस बात का अंदाजा नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे।  
क्रॉस वोटिंग का खुलासा होने के बाद अब पार्टी के अंदर से ही ऐसे विधायकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जाने लगी है। इस मामले में पूर्व मंत्री नेता मुकेश नायक का तो यहां तक कहना है की क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक आस्तीन के सांप हैं। उनको चिन्हित कर पार्टी से बाहर करना चाहिए। उनका आरोप है की क्रॉस वोटिंग के लिए पैसों का बड़ा खेल हुआ है। उन्होंने कहा कि जिन विधायकों ने घात लगाकर पार्टी के साथ धोखा किया है, उनको किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए।
कांग्रेस के 29 हैं आदिवासी विधायक
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 30 पर जीत दर्ज की थी। कांतिलाल भूरिया के उपचुनाव जीतने पर इनकी संख्या बढ़कर 31 हो गई थी। बाद में दो विधायक-बिसाहूलाल सिंह और सुमित्रा कास्डेकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इसलिए वर्तमान में कांगेस के आदिवासी विधायकों की संख्या 29 है।
नाथ जल्द करेंगे मुलाकात
पार्टी सूत्रों की माने तो इस मामले में कमलनाथ द्वारा अपने विश्वसनीय आदिवासी विधायकों से चर्चा कर फीडबैक लिया गया है। माना जा रहा है की जल्द ही नाथ पार्टी के इस मामले में संदिग्ध विधायकों को बुलाकर चर्चा कर सकते हैं। फिलहाल क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, यह तो अभी तय नहीं है, लेकिन किसी तरह की बड़ी कार्रवाई की उम्मीद तो नहीं की जा रही है। इसकी वजह है अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव। अगर अदिवासी विधायकों पर कार्रवाई की जाती है तो उनके समाज का तबका नाराज हो सकता है, जिसका बड़ा नुकसान पार्टी को चुनाव में होगा। इस वजह से ही पार्टी फूंक-फूंककर कदम रखने जा रही है। यही वजह है की इस मामले में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह गोलमोल जबाब देकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।  
भाजपा हुई हमलावर
प्रदेश के कांग्रेस विधायकों द्वारा की गई क्रास वोटिंग पर प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ के कारण पहले कांग्रेस की सत्ता गई। उसके बाद साख और अब नाक ही चली गई। उनका कहना है की अब तो कांग्रेस को दयनीय हालत में पहुंचाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि इससे अधिक हास्यास्पद क्या होगा कि इतनी दयनीय हालत में भी कांग्रेस प्रदेश में अगली बार सरकार बनाने का दावा कर रही है। वर्तमान हालात देखकर ऐसा लग रहा है कि 2023 तक कांग्रेस शायद ही बचे। उधर, नगरीय निकाय और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह कांग्रेस ने देश के जनजातीय समुदाय की जनभावनाओं के खिलाफ काम किया है उससे देश का पूरा जनजातीय समाज कांग्रेस से नाराज है। उसकी इस नाराजगी से कांग्रेस का आने वाले चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पचास साल तक जनजातियों का मात्र अपना वोट बैंक समझा, उनके हितों व भावनाओं का शोषण किया। कांग्रेस ने जनजातीय महिला का राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह विरोध किया उससे कांग्रेस की नीयत स्पष्ट हो गई है। मध्यप्रदेश में विपक्ष की क्रास वोटिंग पर उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता पूरी तरह खंडित होकर सामने आ गई है।

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