
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में हुए निकाय चुनाव की कमान भाजपा व कांग्रेस के एक दर्जन नेताओं के हाथों में ही रही है। यह बात अलग है की इसमे ंसे महज आधा दर्जन नेता ही सामने रहे हैं, बाकी नेताओं ने पीछे से कार्यालय में बैठकर ही रणनीति के हिसाब से पार्टी के पक्ष में पर्दे के पीछे से लगातार काम कर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत में अहम भूमिका निभाई है। यह वे चेहरे हैं जिनके बारे में शायद ही आम आदमी को पता हो की उनकी भी निकाय चुनाव में बेहद अहम भूमिका रही है। अब इन चुनाव के परिणामों के आधार पर ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ओर कई नेताओं का सियासी भविष्य तय होना संभावित है।
इस तरह का अहम किरदार निभाने वाले चेहरों में दोनों दलों के पार्टी अध्यक्ष के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं। यह तीनों चेहरे ऐसे रहे हैं जो पूरे चुनाव के समय मैदान में उतरकर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में फ्रंट पर मोर्चा सम्हाले रहे। इसके अलावा अन्य नेता पार्टी दफ्तर में बैठकर रणनीतिक प्रबंधन को अंजाम देने में लगे रहे। भाजपा की तरफ से जहां चुनाव प्रचार की पूरी कमान सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के हाथ में रही तो कांग्रेस में प्रचार की कमान प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के पास रही है। इन चुनाव को लेकर भाजपा ने कामों का राज्य से लेकर संभाग और जिला स्तर तक विकेंद्रीयकरण किया था, लेकिन कांग्रेस में मुख्य रूप से कमलनाथ और प्रत्याशी ही सारे कामों को अपने स्तर पर देख रहे थे।
भाजपा के अन्य नेताओं की भूमिका
भाजपा में प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा जहां संगठन की बैठकों का काम देखते रहे तो साथ ही असंतुष्टों को मनाने के साथ ही प्रदेश की रणनीति में भी अहम काम करते रहे। वे संघ के बतौर प्रचारक भाजपा में आए हैं, जिसकी वजह से वे पर्दे के पीछे ही रहकर काम करना पसंद करते हैं। इसी तरह से निकाय चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक उमाशंकर गुप्ता ने टिकट से लेकर प्रबंधन तक की जिम्मेदारी को देखा है। उनके पास ही टिकट के लिए रायशुमारी कराकर रिपोर्ट बनाने का जिम्मा रहा है। इसके अलावा बेहद अहम किरदार निकाय चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक भगवानदास सबनानी का भी रहा है। वे पूरे चुनाव में शिकायतों से लेकर कम्युनिकेशन का काम देखते रहे।
यह भी लड़ाते रहे किला
प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने भोपाल स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठकर पूरा कामकाज किया है। सभी जिलों से आने वाली शिकायतों को देखने से लेकर मैदानी स्तर पर संवाद का पूरा काम इनके ही पास रहा है। नाथ के सभी निर्देशों के संगठन में क्रियान्वयन की दायित्व भी इनके पास ही रहा है। इसी तरह से प्रदेश महामंत्री राजीव सिंह भी चंद्रप्रभाष के बाद सबसे ज्यादा चुनाव प्रबंधन का काम संभालने वाले नेता है। उनके पास चुनावी तैयारी से लेकर उस पर अमल कराने की जिम्मेदारी रही है।
भाजपा में इन हाथों में रहा पूरा काम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वाधिक प्रचार जिम्मेदारी संभाली। वे टिकट वतिरण से लेकर चुनाव परिणाम तक प्रदेश में सर्वाधिक सक्रिय नेताओं में पहले स्थान पर बने रहे। पार्टी का चुनाव में वे सबसे बड़ा व प्रमुख चेहरा भी थे। उनके द्वारा प्रचार के दौरान पांच दर्जन सभाएं तो की ही गईं साथ ही करीब दो दर्जन रोड शो भी किए गए। इसी तरह से भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा प्रदेश में पार्टी के संगठन प्रमुख होने के नाते न केवल रणनीतिक फैसलों में अहम भूमिका निभाते रहे , बल्कि टिकट, प्रचार, प्रबंधन की जिम्मेदारी को भी देखते रहे। वे प्रदेश में ऐसे दूसरे नेता रहे जिनके द्वारा निकाय चुनावों में शिवराज के बाद सबसे अधिक प्रचार किया है। इसके अलावा पार्टी की ओर से निकाय चुनाव प्रबंधन का जिम्मा नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के हाथों में रहा। यही नहीं वे चुनाव परिणाम की मॉनिटरिंग भी करते रहे। वे ओबीसी आरक्षण के मुद्दे की अगुवाई से लेकर फैसलों में सलाहकार के सबसे प्रमुख किरदार में रहे।
कांग्रेस में इनकी रही अग्रणी भूमिका
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह टिकट वितरण से लेकर पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने में अपनी भूमिका निभाते रहे। इसके अलावा वे रणनीतिक रुप से कमलनाथ की मदद करते रहे। भोपाल सीट पर तो वे पूरी तरह से फोकस करते रहे। यह बात अलग है की भोपाल सीट पर कांगे्रस को हार का सामना करना पड़ा है। उधर, प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनाव के अहम फैसले करते रहे। वे ही पार्टी का सबसे प्रमुख चेहरा थे। उनकी ही अगुवाई में पूरा चुनाव लड़ा गया। प्रचार से लेकर रणनीति में भी लगे रहें। सारे रणनीतिक फैसले लेने से लेकर प्रबंधन भी देखते रहे। इसी तरह से नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी मैदानी जिम्मा सम्हाले रहे। खासतौर पर ग्वालियर -चंबल अंचल में वे पूरी तरह से फोकस किए रहे। फलस्वरूप इस अंचल में कांग्रेस को अहम सफलता भी मिली है।