नगरीय निकाय परिणाम… सत्ता साकेत में होंगे बड़े फेरबदल

नगरीय निकाय
  • मंत्रिमंडल में फेरबदल से लेकर होगी प्रशासनिक सर्जरी

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। तीन दिन बाद दूसरे चरण की मतगणना के बाद तय हो जाएगा की प्रदेश की जनता सरकार व अफसरों को लेकर क्या सोचती है और उसका कामकाज कैसा मानती है। इसकी वजह है त्रिस्तरीय पंचायत के अलावा नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों का आना। जिस दल को इन दोनों ही चुनावों में बहुमत मिलेगा , माना जाएगा की अगली बार प्रदेश में उसी दल की ही सरकार होगी। अगर सत्ता के अनुकूल चुनाव परिणाम नहीं रहे तो तय है की प्रदेश मंत्रिमंडल से लेकर संगठन और प्रशासन स्तर पर व्यापक रूप से फेरबदल होगा। इसकी वजह है इन चुनावों को अगले साल होने वाले विधानसभा के आम चुनाव के लिए सेमीफाइनल माना जाना। पहले चरण के तहत प्रदेश के बड़े शहरों में जिस तरह से कम मतदान हुआ है उसकी वजह से संगठन के साथ ही सरकार में बैठे लोग भी सकते में हैं। इसके लिए सरकार संगठन को दोषी मानकर चल रही है। उधर, संगठन इसके लिए सरकार व खासतौर पर मनमानी करने वाली नौकरशाही को दोष दे रही है। यही वजह है की सरकार के सूत्रों का कहना है की इन चुनाव परिणामों के बाद अगस्त के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपने मंत्रियों के कामों की समीक्षा कर सकते हैं। माना जा रहा है की इसके साथ ही वे अपने मंत्रिमंडल का पुर्नगठन भी कर सकते हैं। इसमें वे तीन या चार नए चेहरों को शामिल कर सकते हैं। इस पुर्नगठन में कई मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे तो कई का भार कम किया जाएगा। माना जा रहा है की जिन मंत्रियों का कामकाज अच्छा नहीं पाया जाएगा, उन्हें हल्के विभागों को प्रभार दे दिया जाएगा। दरअसल इस बार प्रदेश सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने पहली बार नया दांव चलते हुए बड़े शहरों में  मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से और छोटे शहरों में नगरपालिका और नगरपरिषद के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए हैं। इसकी वजह से छोटे शहरों में पार्षद अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। अब निकाय चुनाव के लिए दोनों चरणों का मतदान हो चुका है, लिहाजा भाजपा की नजरें चुनाव परिणामों पर लगी हुई हैं। चुनाव नतीजों के बाद ही संगठन सत्ता के शीर्ष नेताओं के साथ मंथन कर अगली रणनीति तैयार करेगा। बीते चुनाव में सभी 16 नगरनिगमों में जीत हासिल करने वाली भाजपा के सामने इस बार भी सभी सीटों पर जीत दर्ज करने की बढ़ी चुनौति बनी हुई है , जबकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नही है। दरअसल प्रदेश में पहले चरण का चुनाव परिणाम 17 को और दूसरे चरण की मतगणना बीस जुलाई को होनी है। इसके बाद तय हो जाएसगा की प्रदेश में शहरी सरकार किस दल के हाथों में रहने वाली है। दरअसल प्रदेश में अगले साल करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इसकी वजह से निकाय चुनाव बेहद अहम माने जा रहे हैं। अगर निकाय चुनाव भाजपा के पक्ष में नही आए तो सबसे पहले संगठन में बड़ा बदलाव होना तय माना जता रहा है। इसकी वजह है प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल भी इस साल समाप्त हो जाएगा। अगर चुनाव परिणाम अच्छे रहे तो माना जा रहा है की उन्हें एक और कार्यकाल मिल सकता है। इसके अलावा निकाय चुनावों के परिणामों से विधायक की लोकप्रियता का भी आंकलन हो जाएगा और जिलाध्यक्षों का परफार्मेन्स का भी पता चल जाएगा। वैसे भी चर्चा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद एक दर्जन जिलों की कमान नए नेताओं को सौंपी जाएगी। यह वे जिलाध्यक्ष हैं, जिनके कामकाज से न तो संगठन खुश है और न ही सत्ता में बैठे लोग। दरअसल उनकी स्थानीय विधायकों के साथ भी पटरी नहीं बैठती है। इसकी वजह से विवाद की स्थिति बनी रहती है। वैसे भी निकाय चुनाव के दौरान कई विधायकों व पदाधिकारियों की शिकायतें प्रदेश संगठन तक आयी हैं। दरअसल इस बार बनी चुनाव में राजनैतिक परिस्थितियों की वजह से भाजपा संगठन मानकर चल रहा है कि नगरीय निकाय के चुनाव परिणाम अलग हो सकते हैं , जिसकी वजह से अभी से बदलाव को लेकर काम शुरू कर दिया गया है।
इस वजह से भी है मंत्रिमंडल में फेरबदल संभावित
नगरीय निकाय चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव की जमावट में सत्ता-संगठन जुटेगा। लिहाजा मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों ने एक बार फिर जोड़ पकड़ लिया है। विधायकों की संख्या के मान से सीएम अभी अपने कुनबे में तीन से चार सदस्यों को और शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा उपचुनाव में चुनाव हारे मंत्रियों ऐदल सिंह कंसाना और इमरती देवी के विभाग सीएम ने अपने पास रख रखें हैं। कंसाना पीएचई और इमरती देवी के पास महिला बाल विकास विभाग था। इसके अलावा जन सर्म्‍पक और एनबीडीए विभाग भी सीएम के पास है। माना जा रहा है कि सीएम मंत्रिमंडल का विस्तार कर नए मंत्रियों को यह विभाग दे सकते हैं। इसके अलावा परफार्मेन्स के हिसाब से कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव भी तय माना जा रहा है। संगठन सूत्रों की माने तो राष्ट्रपति चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में बड़ी बैठक का आयोजन कर चुनाव परिणामों की समीक्षा की जाएगी। बदलाव के संकेत इसी बैठक में नेताओं को दे दिए जाएंगे।
होगी बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी
प्रदेश में निकाय व नगरीय निकाय चुनाव से पहले ही बड़े प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी की खबरें आ रही थीं , लेकिन इन चुनावों की घोषणा की वजह से उसे टाल दिया गया था। अब होने वाली प्रशासनिक सर्जरी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की जाएगी। इसके साथ ही जिन निकायों में भाजपा के प्रत्याशी पराजित होंगे उन जिलों के भी कलेक्टर व एसपी बदले जाना तय माना जा रहा है। इस सर्जरी में उन अफसरों को भी बदला जानाएगा जिनका कार्यकाल एक ही जिले में तीन साल हो चुका है। दरअसल इन चुनावों के दौरान प्रचार के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते एक माह में दो बार पूरा प्रदेश नापा है।  इस दौरान उन्हें इस बात का अहसास हो गया है कि मंत्रालय में बैठे अफसरों द्वारा दी जाने वाली जानकारी के अनुसार स्थिति नहीं है। प्रशासनिक कामकाज को लेकर निचले स्तर पर आम जनता में बहुत नाराजगी है। मूलभूत सुविधाओं को लेकर भी लोग परेशान हैं। इसके अलावा इस तरह की शिकायतें भी मिली हैं कि कई अफसर कार्यालयों में बैठते ही नहीं, यदि बैठते भी हैं तो आम जनता से मिलते ही नहीं। इस तरह के अफसरों की सूची तैयार कराई जा रही है। माना जा रहा है की इस फेरबदल में करीब एक दर्जन जिलों के कलेक्टर व एसपी बदले जा सकते हैं। शिवपुरी व धार एसपी का जिले में तीन साल से अधिक का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन्हें अन्य जिलों में भेजा जा सकता है। बताया जाता है कि मंत्रियों से पटरी नहीं बिठा पाने वाले दर्जनभर प्रमुख सचिव व अपर मुख्य सचिव के विभाग बदले जा सकते हैं। विधानसभा चुनाव के लिए लगभग पन्द्रह माह का समय बचा है, इस कारण कई मंत्री अपने प्रमुख सचिवों के खिलाफ खुलकर आ गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से कई बार विभाग के प्रमुख सचिव की शिकायत भी की जा चुकी है।

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