
- आधा घंटे की बारिश ने जबलपुर व सागर शहर में खोली विकास की पोल
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। निकाय चुनाव का प्रचार अब पूरे शबाब पर पहुंच रहा है , ऐसे में मानसून की दस्तक ने भाजपा नेताओं की टेंशन बढ़ा दी है। भीषण गर्मी के चलते जहां एक तरफ नागरिक बारिश का इंतजार कर रहे हैं , तो वहीं भाजपा नेता चाह रहे हैं कि किसी तरह से निकाय चुनाव का मतदान होने तक बारिश न हो। इसके लिए उनके द्वारा भगवान तक को याद किया जा रहा है। दरअसल भाजपा नेताओं को पता है कि अगर आधा एक घंटे भी बारिस हुई तो अधिकांश नगर निगमों वाले शहरों में पानी आम लोगों के लिए मुसीबत बन जाएगा और इसका खामियाजा भाजपा प्रत्याशियों को भुगतना पड़ेगा। दरअसल बीते रोज ही आधा -एक घंटे की बारिश ने ही जबलपुर और सागर में विकास की सारी पोल खोलते हुए लोगों को सड़कों पर घुटनों तक पानी में चलने पर मजबूर कर दिया। लगभग यही हाल प्रदेश के अन्य शहरों में बनना तय हैं। अधिकांश शहरों में सड़कें खुदी पड़ी हैं नालों की साप सफाई तक नहीं हुई जिसकी वजह से जरा सी बारिश में न केवल पानी भर जाता है बल्कि सड़कें भी कीचड़ युक्त हो जाती हैं ,जिसकी वजह से लोगों को उन पर चलना तक मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा मरम्मत नहीं होने की वजह से सड़कें भी गड्ढों में बदल चुकी हैं। इन हालातों की वजह से ही शहरों को स्मार्ट सिटी और हाईटेक सिटी बनाने संबंधी सत्ताधारी दल के दावे बेअसर साबित हो रहे हैं, जिसकी वजह से भाजपा प्रत्याशियों को भरोसा दिलाने में पसीना आ रहा है। इसी वजह से ही भाजपा प्रत्याशियों को डर सता रहा है कि यदि ज्यादा बारिश हो गई तो पानी के साथ उनकी जीत की उम्मीदें भी बह सकती हैं। उधर, कांग्रेस ने तो बारिश में शहरी बाशिंदों की हो रही फजीहत के कई वीडियो फुटेज को वायरल करने के साथ ही उन्हें अपने चुनाव प्रचार का हिस्सा ही बना लिया है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और रीवा-सतना में भी कमोबेश इसी तरह की स्थिति है।
यह है वजह
दरअसल प्रदेश में भाजपा की सरकार है। निकाय चुनाव दो साल से अधिक समय बाद हो रहे हैं। ऐसे में भाजपा सरकार ने चुनावी निकायों में जिन अफसरों को कमान दे रखी थी, उनके द्वारा अपने हिसाब से काम करने की वजह से इस तरह की स्थिति बनी है। इन निकायों की कमान प्रशासनिक अफसरों के हाथों में होने की वजह से जनता की परेशानियों को हल करने में रुचि ही नहीं ली गई। बीते दो साल से हालात यह बने रहे की सफाई तो ठीक नालियां तक साफ कराने में आम आदमियों को पसीना आता रहा है। यही नहीं अधिकांश शहरों की कालोनियों में स्ट्रीट लाइट तक नहीं जलाईं गईं। यह अफसर इस दौरान आम आदमी तो ठीक नेताओं तक के फोन उठाना मुनासिब नहीं समझते थे। नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होने के पहले जरुर सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू की तब कहीं जाकर कुछ काम शुरू किया गया। इसकी वजह से लोगों में नाराजगी है। उधर ठेकेदारों द्वारा तमाम कामों के लिए भी अच्छी सड़कों को खोदकर उन्हें बेहद खराब हालातों में पहुंचा दिया है। इसकी वजह से पहले से ही लोग बेहद परेशान बने हुए थे, लेकिन अब बारिश की वजह से उन पर तो चलना तक बेहद ही मुश्किल बन गया है।
दो शहरों में बिगड़ चुके हैं हालात
जबलपुर और सागर जैसे दोनों शहरों में ऐसा पहली बार हुआ कि थोड़ी देर की बारिश ने ही सड़कों पर कमर तक पानी भर दिया। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी और चुनावी प्रबंधक सड़कों पर कमर तक बहते पानी और डूबे वाहनों के वीडियो सोशल मीडिया पर चलाकर सत्ताधारी दल के प्रति लोगों के गुस्सा को और भड़काने का काम शुरू कर दिया है। जबलपुर में नरघैया, दमोह नाका, शिवनगर सहित निचले इलाकों में सड़कों पर इतना पानी भर गया कि लोगों की कारें आधी डूबने लगीं। घरों में गटर का पानी घुसने लगा, खासतौर पर जिन क्षेत्रों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम चल रहे हैं वहां तो जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू ने आपदा में अवसर को देखते हुए पानी में भीगते हुए और कमर तक बहते पानी में जाकर अपना चुनावी प्रचार जारी रखा।
सागर में बाइकें भी आधी डूबीं
सागर शहर में भी हाल ही में हुई बारिश ने भाजपा के महापौर प्रत्याशी और वार्डों के प्रत्याशियों की उम्मीदों पर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यह पहला मौका था जब शहर में आधा घंटे की बारिश ने न केवल निचली बस्तियों को अस्त-व्यस्त कर दिया, बल्कि मुख्य मार्केट कटरा बाजार , राधा तिगड्डा और वंदना होटल के आसपास सड़कों पर पानी भर गया। लोगों की मोटर साइकलें आधी से ज्यादा पानी में डूब गईं। सारा पेंच वर्क पानी में बह गया। यह स्थिति देख भाजपा प्रत्याशियों और जिले के भाजपा नेताओं की नींद उड़ गई है।