
- प्रचार में खर्च की कोई सीमा नहीं
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में पंचायत चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हर चुनाव में उम्मीदवार के खर्च की सीमा तय करने वाला चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों में रुपए खर्च करने की कोई सीमा नहीं रखी है। इससे पंचायत चुनावों में जरूरत से ज्यादा रुपए पानी की तरह बहेंगे। पंचायत चुनाव भले ही पार्टी के आधार पर नहीं होते हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों का हस्तक्षेप पूरा होता है।
पार्टियां अपने समर्थकों को चुनाव मैदान में उतारती हैं और उनके प्रचार-प्रसार में भी मदद करती है। वहीं प्रत्याशी अपने स्तर पर भी खर्च करते हैं। ऐसे में इस बार पंचायत चुनाव में पानी की तरह पैसा बहाने की तैयारी है। प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान पैसे खर्च करने पर कोई रोक नहीं होगी यानी उम्मीदवार जितना चाहे उतना पैसा खर्च कर सकता है उससे कोई पूछताछ नहीं होगी और न ही किसी तरह का हिसाब मांगा जाएगा। खास बात ये है कि मप्र निर्वाचन आयोग ने नगर पंचायत, नगर पालिका और निगम के अध्यक्ष और महापौर के लिए खर्च की सीमा तय कर रखी है लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में खर्च की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
मप्र में खर्च की कोई लिमिट तय नहीं
पंचायत चुनाव का ऐलान होते ही सरगर्मी बढ़ गई है। भावी उम्मीदवार तैयारियों में जुट गए हैं। यूपी बिहार जैसे राज्यों में जहां पंचायत चुनाव में अधिकतम खर्च की सीमा तय है मप्र में ऐसी कोई लिमिट तय नहीं की गई है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवार जितना चाहें पैसे खर्च कर सकते हैं यानी चुनाव में पानी की तरह पैसा बहता देखा जाएगा। हालांकि निर्वाचन आयोग ने कुछ गाइडलाइन्स तय की हैं जिनका पालन करना जरूरी होगा
नहीं रख सकेंगे हथियार, आतिशबाजी पर भी प्रतिबंध
पंचायत चुनाव को लेकर कलेक्टर अविनाश लवानिया ने धारा 144 में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। इसके अनुसार, बारात, राजनीतिक कार्यक्रमों, जुलूस रैली में बिना अनुमति आतिशबाजी नहीं होगी। प्रचार में राजनीतिक दल, संस्था, व्यक्ति बिना अनुमति तीन से अधिक गाड़िय़ों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। लाउड स्पीकर के लिए अनुमति लेनी होगी। सभा, रैली, जुलूस बिना अनुमति नहीं होंगे। शैक्षणिक संस्थान, शासकीय कार्यालय परिसरों, रेस्ट हाउस में सभा चुनावी कार्यक्रम नहीं होंगे। आपत्तिजनक नारे नहीं लगाएंगे। शस्त्र लाठी नहीं रख सकेंगे। बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है। इसके बाद कलेक्टर ों द्वारा यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्र ग्राम पंचायत, निर्वाचन क्षेत्र, वार्ड क्षेत्र में चुनाव समाप्त होने तक यह आदेश लागू रहेंगे। पंचायत चुनाव होने तक यदि किसी ने आतिशबाजी की और हथियार लेकर निकला तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नगरीय निकायों में शिकंजा
पंचायत चुनाव में प्रत्याशी जमकर पैसे खर्च कर सकते हैं, लेकिन निकाय चुनाव में पार्षद और महापौर के लिए खर्च की राशि तय कर दी गई है। नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा भी बीते रोज हो चुकी है। हालांकि इसके लिए आयोग ने गाइडलाइन पहले ही जारी कर दी थी।
गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग ने भा विधानसभा चुनाव की खर्च सीमा 30.80 और लोकसभा में 77 लाख रुपए तय की है। इसके अलावा महंगाई को देखते हुए आयोग खर्च की राशि को समय-समय पर रिवाइज भी करता है। यहां तक कि राज्य सरकार ने पार्षद-महापौर चुनावों के लिए भी खर्च की सीमा तय कर रखी है। पार्षदों के खर्च की सीमा ढाई लाख से लेकर 75 हजार तक होगी। वहीं महापौर के लिए 35 लाख तक रखी है।
जमकर खर्च होगा
पंचायत चुनावों में जिला जनपद सदस्य से लेकर पंच पद के प्रत्याशी चुनाव प्रचार, झंडे, बैनर, रैली, मतदाताओं और समर्थकों पर जमकर खर्च कर सकते हैं। प्रत्याशियों को इस संबंध में कलेक्टरों और निर्वाचन अधिकारियों को लेखा-जोखा भी नहीं देना पड़ेगा। सरपंच से लेकर जिला पंचायत के चुनाव अब महत्वपूर्ण हो गए हैं। जिला पंचायत सदस्य का क्षेत्र में विधायकों से कम प्रभाव नहीं होता है। उनके क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए राशि विधायकों के लगभग बराबर ही दी जाती है। प्रत्याशी लाखों, करोड़ों खर्च करते हैं। इस बार पंचायतों के तीनों चरणों के नामांकन एक साथ भरे जा रहे हैं, जबकि मतदान अलग-अलग तारीखों में होंगे। ऐसे में दूसरे और तीसरे चरण के प्रत्याशियों को चुनाव में जमकर खर्च करने का मौका मिलेगा। हालांकि प्रत्याशी मतदाताओं को प्रलोभन, पैसा या सामग्री देता है तो उस पर चुनाव आचार संहिता के तहत कार्रवाई होगी। शराब वितरण पर पुलिस की नजर रहती है।