
- प्रशासन की लापरवाही: बिजली और पानी के लिए मिला बजट ही दबाकर बैठे …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नौनिहालों की सेहत से लेकर पढ़ाई लिखाई तक की नींव रखकर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए पे्ररित करने का जिम्मा होने के बाद भी वे बिजली व पानी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है। ऐसे में आंगनबाड़ियों में आने वाले बच्चों के इस भीषण गर्मी में क्या हाल हो रहे हैं, समझा जा सकता है। सरकार व प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है की उनके लिए मिला बजट ही दबाकर बैठ गए हैं, जिसकी वजह से बिल नहीं भरे जा सके हैं, फलस्वरुप बिजली विभाग ने हजारों केन्द्रों की बिजली तक काट दी है। उधर, पानी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से अब बच्चों को घर से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा नही है, की यह हाल प्रदेश के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के केन्द्रों की है, बल्कि राजधानी भोपाल में भी यही हाल बने हुए हैं। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों का रखरखाव न होने की वजह से नगर निगम द्वारा बनवाए गए आंगनबाड़ी भवन जर्जर होने की कगार पर पहुंचने लगे हैं। कई भवनों के हाल तो इतने बुरे हो गए हैं की उनकी छतों से प्लास्टर तक गिरने लगा है। यही नहीं कई में बारिश में पानी भर जाता है। इन केंद्रों में शौचालय की व्यवस्था न होने से महिला कार्यकर्ता और सहायिकाओं को परेशान होना पड़ता है। पिछले पांच सालों में इन भवनों में किसी तरह का कोई मरम्मत का कार्य तक नहीं कराया गया है। यह हाल तब बने हुए हैं ,जब भोपाल में इन आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत कराने के लिए पांच माह पूर्व महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दो करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, लेकिन अब तक इन भवनों में किसी तरह का कोई काम शुरू नहीं किया गया है।
नल है , लेकिन नहीं आता पानी
ग्रामीण क्षेत्रों में भी आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत और अधिक खराब है। यहां केंद्रों में बिजली की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों और कार्यकर्ताओं को गर्मी में भी बैठना पड़ता है। इसी तरह से कुछ केंद्रों पर टंकी और नल तो लगवा दिए गए हैं। लेकिन टंकी नहीं भरने से उनमें प ानी आता ही नहीं है। इस तरह की अव्यवस्थाओं के कारण कई केन्द्र सप्ताह में दो या तीन दिन ही खुल पाते हैं। अगर राजधानी के केन्द्रों की बात की जाए तो बुधवारा में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में 50 से अधिक बच्चे आते हैं, लेकिन यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। बच्चों के लिए पानी पास में स्थित स्कूल से लेकर आना पड़ता है। लगभग यही हाल इतवारा में बने आंगनबाड़ी केंद्र में भी हैं। इस केन्द्र में 70 बच्चे आते हैं, लेकिन यहां पर न तो बिजली का कनेक्शन है और न ही पानी की व्यवस्था। उधर, गिन्नौरी स्थित दो आंगनबाड़ी केंद्रों में करीब 100 से अधिक बच्चे आते हैं। यहां बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था पास स्थित एक भवन से की जाती है और वहीं से बिजली लेकर काम चलाया जाता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों की कट रही बिजली
शहडोल जिले की आंगनबाड़ी केंद्र जुड़वानी की बिजली काट दी गई है। बाणसागर के अतिरिक्त तहसीलदार (वसूली) विद्युत न्यायालय ने वसूली का नोटिस जारी कर दिया है। जिले के अधिकारी कहते हैं कि विभाग बिजली बिल जमा करने के लिए विभाग से कोई बजट नहीं मिला है। यह स्थिति अकेले जुड़वानी केंद्र की नहीं है बल्कि प्रदेश के 34 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली बिल जमा करने की वजह से इस तरह का संकट बन गया है। प्रदेश में 97 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें 42,500 आंगनबाड़ी केंद्र सरकारी भवनों में संचालित हैं। 34,100 केंद्रों में बिजली कनेक्शन के लिए जल जीवन मिशन के अन्तर्गत राशि उपलब्ध कराई गई है। एक कनेक्शन में पांच हजार रुपए शुल्क लेने का प्रावधान है। शेष 8 हजार से अधिक केंद्रों में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बिजली कनेक्शन कराया जाना है। शेष केंद्र किराए के भवनों में संचालित हैं जहां बिजली कनेक्शन हैं।
मंजूर हुए 84 करोड़
सूत्रों की माने तो आंगनबाड़ी केंद्रों के बिजली बिल 400 रुपए मासिक चुकाने और नए कनेक्शन के लिए करीब 84 करोड़ का बजट मंजूर किया है। लेकिन, विभाग ने यह राशि जिलों को नहीं भेजी है। विभाग को 8 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में नए बिजली कनेक्शन कराए जाने हैं तथा बिजली बिल के 30 करोड़ जारी करना है।