
- मप्र के जंगलों में हर साल होता है सैकड़ों वन्यप्राणी का शिकार
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के जंगल अवैध गतिविधियों का केंद्र बने हुए हैं। अगर यह कहा जाए की प्रदेश के जंगल तस्करों और शिकारियों की ऐशगाह बन गए हैं तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। दरअसल, प्रदेश में साल दर साल अवैध खनन, कटाई और अतिक्रमण और वन्य प्राणियों के शिकार के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। इससे वन्यप्राणी जंगल में भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। साल 2021 में शिकार से 376 हिरण सहित करीब 850 वन्यप्राणियों की मौत हुई, जो रिकार्ड में है। हजारों शिकार के मामले तो पकड़ में ही नहीं आते हैं। सूत्रों के मुताबिक काले हिरण सींग, नाखून और दांत की विदेशों तक में डिमांड है। इससे इनका शिकार ज्यादा हो रहा है।
गौरतलब है कि गुना जिले के आरोन इलाके में शिकारियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ के बाद चार काले हिरणों के सिर समेत अवशेष बरामद हुए हैं। शिकार केवल नर हिरणों का किया गया। जानकारों के मुताबिक नर हिरण पूरे झुंड में सिर्फ एक होता है, यानी शिकारियों ने घात लगाकर इनका शिकार किया है। शिकारियों के तार अंतर्राष्ट्रीय तस्करों से भी जुड़े हो सकते हैं, क्योंकि काले हिरण के अंगों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक मांग है। काले हिरण को वन्य प्राणी संरक्षण नियम 1972 के तहत अनुसूची-1 में रखा गया है। इसी अनुसूची में बाघ, शेर, घडिय़ाल डाल्फिन समेत अन्य महत्वपूर्ण वन्य प्राणी व जीव शामिल हैं। काले हिरण जंगल या पहाड़ी इलाके की बजाए समतल और घास वाले क्षेत्र में रहते हैं। अशोकनगर और गुना जिलों में इन हिरणों की संख्या आठ से 10 हजार के करीब है। वर्ष 2021 में वन विभाग की ओर से प्रदेशभर के जंगलों में 51 हजार से अधिक वन अपराध दर्ज किए गए। इनमें अवैध वन कटाई के सर्वाधिक 40 हजार से अधिक मामले हैं। अतिक्रमण के 1500 तथा जंगल में अवैध खनन के 897 मामले दर्ज किए गए।
वन क्षेत्र में बढ़ रहा इंसानी दखल
वन विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में सामने आए वन अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इन आंकड़ों का विश्लेषण कर जंगल में बिगड़ रहे हालातों का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है जंगलों में इंसानी दखल बढ़ने की बड़ी वजह वन अधिकार अधिनियम के तहत दिए जाने वाले खेती के पट्टे हैं। एक पट्टे की आड़ में कई-कई लोग अवैध रूप से जंगलों में जुताई- बुवाई करने लगते हैं। वन विभाग के अनुसार 20 अक्टूबर 2021 की स्थिति में प्रदेश में व्यक्तिगत 2 लाख 26 हजार 862 वन अधिकार पत्र पर 3 लाख 39 हजार 203.400 हेक्टेयर वनक्षेत्र आवंटित किया गया। इसी प्रकार से सामुदायिक 27 हजार 962 अधिकार पत्र पर 5 लाख 92 हजार 874.300 हेक्टेयर वनक्षेत्र वितरित किए गए। नोडल आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में 2 लाख 66 हजार 232 वन अधिकार पत्रों में से 1 लाख 62 हजार 399 अभिलेख वन विभाग को उपलब्ध करा दिए हैं। शेष 1,03,833 अभिलेख उपलब्ध कराने प्रक्रिया प्रचलित है। इसके कारण इंसनों की जंगलों में स्थाई रूप से मौजूदगी बढ़ी है।
वन अमला भी सुरक्षित नहीं
वर्ष 2021 में वन अपराध प्रकरणों की कार्रवाई के दौरान वनकमियों पर हमले की 27 घटनाएं सामने आईं। इनमें आठ वन कर्मचारी घायल हुए वन रक्षक सखाराम मंडलोई की खंडवा में मारपीट की घटना के दौरान मौत तक हो गई थी जबकि वन रक्षक मदनलाल वमाज की डाकुओं से मुठभेड़ में मौत हो गई थी। दो वनकर्मी सूर्यप्रकाश बालाघाट और राजपरीक्षित भट्ट वन रक्षक सतपुड़ा नेशनल पार्क की जंगल की आग बुझाने के दौरान झुलसने से मौत हो गई थी।