पेयजल संकट के बीच दो विभाग आमने-सामने

पेयजल संकट

-प्यास लगने के बाद कुआं खोदने की तैयारी कर रहा है पीएचई विभाग

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ पूरा प्रदेश इन दिनों भीषण गर्मी में गंभीर पेयजल संकट के दौर से गुजर रहा है, तो वहीं इससे संबधित दो विभागों के अफसरों में इस मामले को लेकर ं ठन गई है। हालात यह हो गई कि सरकार को इस मामले में  हस्तक्षेप करना पड़ा है। इसकी वजह है गांवों में नल कनेक्शन नेटवर्क । उधर, गंभीर जलसकंट के बीच अब पीएचई विभाग को इस सकंट से निपटने के लिए कर्मचरियों की भर्ती याद आना शुरू हुई है। यह याद भी तब आयी है जब इसे मामले में विभाग के आला अफसरों को स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फटकार लगा चुके हैं। खास बात यह है की इस विभाग के अफसर जब तक खराब पड़े हैंडपंप सुधारने के लिए दक्ष कर्मचरियों की भर्ती करेंगे तब तक बारिश का मौसम शुरू हो चुका होगा। हालात यह हैं विभाग के प्यास लगने पर कुआं खोदने की तैयारी की जा रही है। इसकी वजह से न केवल सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है , बल्कि विभाग के मंत्री से लेकर आला अफसरों तक के कामकाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दरअसल विभाग ने अब 400 इंजीनियर्स की संविदा भर्ती करने की तैयारी करना शुरू की  है, जिनकी भर्ती अगले दो माह में की जानी है। विभाग को अब समझ में आया है कि उसके पास खराब हैंडपंप और अन्य जलस्रोतों को ठीक करने के लिए  दक्ष कर्मचारियों के अलावा पर्याप्त अमला नही है। उधर , गांवों में नल कनेक्शन नेटवर्क तैयार करने को लेकर जल निगम और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी अफसरों के आमने-सामने आने के बाद सरकार को बीच में आना पड़ा है। सरकार ने तय किया है कि जिन क्षेत्रों में जल निगम ने पानी सप्लाई का नेटवर्क तैयार किया है, वहां पीएचई नहीं करेगा। दोनों में खींचतान के चलते जल सप्लाई की कई परियोजनाएं लेट हो गई हैं। जल निगम पहले से घर-घर नल कनेक्शन कर रहा है। तब दस से बीस गांवों के बीच में तीन से चार गांवों में पानी सप्लाई का नेटवर्क तैयार नहीं हो पाया था। अब जल जीवन मिशन के तहत घर-घर नल कनेक्शन देने का काम शुरू हुआ, तो इन क्षेत्रों में नेटवर्क तैयार करने से निगम ने हाथ खड़े कर दिए। पीएचई भी काम करने को तैयार नहीं था, क्योंकि उसे छूटे हुए गांवों में नेटवर्क तैयार कर पानी सप्लाई करने में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते। इसे लेकर कलेक्टरों ने अपने स्तर पर निगम, पीएचई के इंजीनियरों से चर्चा की तो दोनों ने हाथ खड़े कर दिए।
 हैंडपंप व नलों से नहीं आ रहा पानी
गर्मी आते ही प्रदेश में जल संकट को लेकर जो तस्वीर उभरती है ,वह किसी से छिपी नहीं है ज्यादातर गांव में हैंडपंप और नल तो लगे हैं लेकिन खराब और जर्जर अवस्था में हैं विभाग को कई बार अवगत कराने के बावजूद समाधान नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से हालात यह हो गए हैं कि प्रदेश के जबलपुर संभाग के एक निकाय में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है जहां तीन दिन छोड़कर पानी सप्लाई किया जा रहा है। वहीं, प्रदेश के 16 निकाय ऐसे हैं जहां दो दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है।  संभाग के डोगरपरासिया नगरीय निकाय में तीन दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जा रही है। यही नहीं प्रदेश के अन्य संभागों के सोलह निकाय में भी हालात खराब हैं और वहां दो दिन छोडकर पानी की आपूर्ति की जा रही है। इनमें जबलपुर संभाग के जुन्नारदेव, न्यूटन चिखली, चांद, बिछुआ और कटनी,  इंदौर संभाग के मेघनगर व बिस्टान, उज्जैन संभाग के पानखेड़ी (कालापीपल) व भैसोदामंडी, भोपाल संभाग में सीहोर, मंडीदीप, ब्यावरा, जावर व मुलताई और ग्वालियर संभाग में करैरा व मौ नगरीय निकाय शामिल हैं।
18 हजार हैंडपंप खराब
प्रदेश में 557185 हैंडपंप हैं, यदि पीएचई की रिपोर्ट पर गौर करें तो इनमें से 18000 हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिन्हें सुधारा जा सकता है लेकिन अधिकारियों द्वारा उन्हे ंसुधारने पर काम ही नहीं किया जा रहा है। इनमें से 3100 तो इस हालात में पुहंच गए हैं की उन्हें अब सुधारा ही नहीं जा सकता है। इसी तरह से सिंगल फेस मोटर को लेकर हैं 1600 सिंगल फेस मोटर खराब होने से इतने ही गांव में पेयजल की व्यवस्था पूर्ण रूप से बर्बाद हो चुकी है। 900 मोटरे सुधार योग्य नहीं है। इन आंकड़ों को देखकर समझ आता है की जिम्मेदार मौन हैं और उन्हें आम ग्रामीण जनों को पीने के पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है।

Related Articles