‘भोपाल की हरियाली चर रहे माननीय’

भोपाल की हरियाली
  • राजधानी में ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण करने में वीआईपी किसी से कम नहीं

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रकृति की गोद में स्थित राजधानी भोपाल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है। यही कारण है कि सरकार का पूरा फोकस शहर में हरियाली बढ़ाने पर रहता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिन नेताओं और अफसरों पर शहर की हरियाली बढ़ाने और संरक्षण का दायित्व है, उन्होंने ही ग्रीनबेल्ट पर अतिक्रमण कर कहीं पार्किंग और टॉयलेट तो कहीं सर्वेट क्वार्टर तक बना लिए हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो वीआईपी ग्रीनबेल्ट पर अतिक्रमण करने में कोई किसी से कम नहीं हैं। गौरतलब है कि राजधानी में रहवासी क्षेत्रों को हराभरा बनाने के बजाय इसे खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि शहर में 692 स्थानों पर ग्रीनबेल्ट पर अवैध कब्जे कर पेड़-पौधे नष्ट कर दिए गए हैं। ऐसा करने वालों में वीवीआपी इलाके चार इमली में रहने वाले मंत्री भी शामिल हैं। कई स्थानों पर इन माननीयों ने बंगले के सामने के ग्रीनबेल्ट में बाकायदा गेट लगवाकर पार्किंग या टॉयलेट आदि बनवा दिए हैं। इससे सीपीए द्वारा कराया गया पौधरोपण भी नष्ट हो रहा है। हालात ये कि इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है।
सीपीए ने ननि को लिखा था पत्र
1 अप्रैल से सीपीए समाप्त हो गया है। लेकिन इससे कुछ दिन पहले राजधानी परियोजना वनमंडल ने ग्रीनबेल्ट से कब्जे हटाने नगर निगम को पत्र लिखा था। लेकिन इस संबंध में सिर्फ पत्राचार ही चल। धरातल पर कार्रवाई बिल्कुल नहीं हुई। शहर में हरियाली बढ़ाने और पर्यावरण सुधार को दृष्टिगत रखते हुए राजधानी परियोजना वन मंडल ने शहर में सेंट्रल वर्ज और साइड वर्ज में विभिन्न क्षेत्रों में पौधरोपण कराया था। कई जगह यह पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। वहीं कई जगह इन्हें पनपने ही नहीं दिया गया। ग्रीनबेल्ट में लगातार अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं।
पेड़-पौधे नष्ट कर हॉकर्स कॉर्नर बना दिए
 शहर में कई स्थानों पर सड़क के साइड में बने वुर्ज के पेड़-पौधे नष्ट कर हॉकर्स कॉर्नर बन गए हैं, तो  कहीं पर पाथ-वे बना दिए गए हैं।  कई जगह लोगों ने अपना सामान भर दिया है या कचरा और निर्माण सामग्री डाल दी है। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति वीआपी इलाकों में है। चार इमली में पांच नंबर से ऊपर की ओर चढ़ने पर दाएं हाथ पर लगातार ग्रीनबेल्ट को नष्ट किया है। एक मंत्री के बंगले के सामने ग्रीन बेल्ट को नष्ट  कर पार्किंग बना दी है। यहां वाहन रखे जाते हैं। गेट भी लगाया है। दूसरे मंत्री ने ग्रीनबेल्ट में टॉयलेट बना रखे हैं। एक माननीय ने तो ग्रीन बेल्ट में सर्वेंट क्वार्टर ही बना डाला। खास बात यह है कि मंत्रियों को जो बंगले आवंटित होते हैं वे एक से दो एकड़ क्षेत्र में फैले होते हैं। इसके बावजूद ग्रीनबेल्ट पर कब्जे जमाए जा रहे हैं।
सूची बनी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
जानकारी के अनुसार, बाइंडअप से पहले राजधानी परियोजना प्रशासन की वन मंडल शाखा ने ग्रीन बेल्ट के कब्जों की सूची तैयार की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। सीपीए ने नगर निगम को पत्र लिखा था कि ग्रीन बेल्ट पर कब्जों की सूची में शामिल अतिक्रमण को नोटिस देकर हटाने की कार्रवाई करें। सीपीए के सीमित संसाधनों के चलते कार्रवाई संभव नहीं है। क्षेत्र बड़ा है इसलिए वृहद स्तर पर कार्रवाई किया जाना प्रस्तावित किया गया था।  इस मामले में अपर आयुक्त ननि रितु बाफना का कहना है कि नगर निगम अवैध कब्जे हटाने की लगातार कार्रवाई कर रहा है। ग्रीनबेल्ट से भी आपसी समन्वय बनाकर कब्जे हटाए जाएंगे। हालांकि अतिक्रमण हटाने के बाद उसकी सुरक्षा की व्यवस्था होना चाहिए। चारों तरफ से फेंसिंग कराना और नियमित निगरानी भी संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है।

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