वन अफसरों के खिलाफ लामबंद कर्मचारी, प्रताड़ना व भ्रष्टाचार असंतोष की वजह

वन अफसरों
  • विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों ने आंदोलन का रास्ता चुना…

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का वन महकमा अपनी कार्य प्रणाली की वजह से हमेशा चर्चा में बना रहता है। इस महकमे के अफसरों के खिलाफ अब तक ग्रामीणों की ही शिकायतें सामने आती रहती थीं, लेकिन अब तो विभाग के ही कर्मचारी अपने अफसरों के खिलाफ मोर्चाबंदी करने में लगे हुए हैं। इसकी वजह बताई जा रही है आईएफएस अफसरों द्वारा की जाने वाली मनमानी। मैदानी स्तर पर हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कुछ जिलों में तो विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों ने अपने ही अफसरों के खिलाफ आंदोलन तक का रास्ता चुन लिया है। इसके बाद भी सरकार इन अफसरों को मैदानी स्तर से हटाने को तैयार नहीं दिखती है। इसकी शुरूआत बुदेंलखंड अंचल के छतरपुर से हो चुकी है जिसके बाद इस अंसतोष की चिंगारी शहडोल और छिंदवाड़ा तक पहुंच चुकी है। अगर जल्द ही इस पर काबू नहीं पाया गया तो इसकी जद में कई और जिले भी आ जाएंगे। इस विभाग के मैदानी अमले का कहना है कि आईएफएस अफसर उनको लेकर न केवल तानाशाही रवैया अपनाते हैं, बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देते हैं। यही वजह है कि लंबे समय से छतरपुर में चल रहा मामला शांत नहीं हो पाया है कि सीसीएफ शहडोल पीके वर्मा के खिलाफ वन कर्मचारियों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। वन कर्मचारी संघ पीके वर्मा को शहडोल से हटाने के लिए लगातार सक्रिय बने हुए हैं। वहां के कर्मचारी आज सोमवार को कलेक्टर और कमिश्नर से और उसके बाद तीन मार्च को भोपाल आकर वन मंत्री विजय शाह और प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल से मिलने की घोषणा कर चुके हैं।  मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ ने सीसीएफ वर्मा पर चौकीदारों से घर में झाडू- पोछा लगवाने और स्थाई कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। संघ ने अपने ज्ञापन में कहा है कि स्थाई कर्मचारी नरेश यादव को बीमार होने पर अवकाश भी नहीं दिया और उनके साथ गाली गलौज तक कर दी। यही नहीं, सीसीएफ वर्मा ने यादव को बीमार अवस्था में काम न करने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया। सीसीएफ वर्मा पर यह भी आरोप है कि नियम विरुद्ध कर्मचारियों के तबादला करते हैं और हर मामले में कारण बताओ नोटिस देते हैं। सीसीएफ वर्मा के खिलाफ पनपते असंतोष को शांत करने के लिए वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने भोपाल से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज अग्रवाल को शहडोल भेजा था। अग्रवाल ने डीएफओ की उपस्थिति में वन कर्मचारियों से बातचीत की। इस दौरान कर्मचारियों ने वर्मा पर भ्रष्टाचार और कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय के मामले उठाए। उन मुद्दों का निराकरण किए बिना ही अग्रवाल भोपाल लौट आए। इसके पहले छतरपुर में डीएफओ अनुराग कुमार के खिलाफ बढ़ते असंतोष को लेकर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशासन- 2) महेंद्र सिंह धाकड़ को छतरपुर भेजा था। महेंद्र सिंह धाकड़ ने अनुराग कुमार को हटाने का आश्वासन दिया तब जाकर वन कर्मचारी शांत हुए हैं , लेकिन उन्हें अब तक नहीं हटाए जाने से एक बार फिर से कर्मचारी आंदोलन की राह पकड़ने की तैयारी में जुट गए हैं। छतरपुर में डीएफओ की प्रताड़ना के चलते एक वन कर्मचारी की हार्ट अटैक से निधन हो चुका है।
पश्चिम छिंदवाड़ा में भी भड़क रहा असंतोष
पश्चिम सामान्य वन मंडल छिंदवाड़ा के वन मंडल अधिकारी ईश्वर जरांडे द्वारा शासन के नियमों के विपरीत कार्यवाही करते हुए अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। विदित हो की वर्तमान में राज्य शासन द्वारा तबादलों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है, किंतु शासन के आदेशों को न मानते हुए डीएफओ द्वारा कर्मचारियों का स्थानान्तरण किया जा रहा है। वनमंडलाधिकारी मुख्य वनसंरक्षक की भी नही सुनते है स्थानान्तरण जैसी कार्यवाही से भी इनके द्वारा मुख्य वनसंरक्षक को अवगत नही कराया जाता।  उनकी इस कार्यप्रणाली की वजह से अधीनस्थ अमले में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। हालत यह है कि यहां पर भी कभी भी विस्फोटक स्थिति बन सकती है।      
छतरपुर में यह है मामला
छतरपुर के वनमण्डलाधिकारी अनुराग कुमार पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए छतरपुर वन विभाग के अंतर्गत काम करने वाले लगभग ढाई सौ कर्मचारी हड़ताल पर जा चुके हैं। इनमें अधिकांश वनरक्षक और वनपाल स्तर के कर्मचारी शामिल थे। उनके द्वारा उस समय दिए गए ज्ञापन में कहा गया था कि डीएफओ अनुराग कुमार की कार्यप्रणाली के कारण सभी कर्मचारी पिछले कई दिनों से काम करने में असहज महसूस कर रहे हैं। डीएफओ झूठी शिकायतों के आधार पर बिना सही जांच कराए मनमाने तरीके से वनकर्मियों पर कार्यवाही करते हैं जिससे झूठे शिकायतकर्ताओं को बल मिलता है। वन विभाग का उड़नदस्ता दल वर्तमान में वन अमले को जब्ती आदि में सहयोग नहीं करता बल्कि , डीएफओ की जांच एजेंसी की तरह काम करता है जो कि अनुचित है। उन्होंने बताया कि कई वनकर्मियों को झूठी जांचों के आधार पर श्रमिकों की तरह प्रताड़ित किया गया और उनसे वसूली की कार्यवाही की गई। इन आरोपों पर डीएफओ अनुराग कुमार का कहना था कि वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन एवं वन हानि के कई मामले सामने आए हैं जिसको लेकर विधिवत जांच कराई गई। खासतौर पर बड़ामलहरा रेंज में ऐसे कई मामले मिले हैं। नियमों के मुताबिक ऐसे मामलों में जिम्मेदारी संबधित बीट के वनकर्मियों की होती है इसलिए जांच के बाद उनसे नुकसान की भरपाई कराई जा रही है। इसी वजह से कुछ वनकर्मी इसे प्रताड़ना बताते हैं।

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