जन भागीदारी से होगा… 52 हजार गांवों का विकास

जन भागीदारी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। लोगों को भावनात्मक रूप से विकास कार्यों से जोड़ने के लिए सूबे की शिव सरकार ने अब विकास के लिए नया तरीका तलाश लिया है। इसके तहत सरकार द्वारा सूबे में गौरव दिवस मनाने के बहाने से सामाजिक आंदोलन शुरू करने की तैयारी है। इस आंदोलन के पीछे सरकार की मंशा सभी 52 हजार गांवो का जनभागीदारी से विकास करना है।
यह जन भागीदारी भी ऐसी होगी , जिसमें विकास के तमाम फैसले भी संबधित गांव के लोगों द्वारा ही लिए जाएंगे। यह फैसले  ग्राम सभा में लिए जाएंगे। इसकी वजह से गांव के लोगों द्वारा ही तय किया जाएगा की वे कैसा विकास चाहते हैं। इसके अलावा सामाजिक कामों में  गांव की बेटियों को पढ़ाने के लिए मिलकर फीस चुकाना, बेटी के विवाह में आर्थिक मदद करना, नशाबंदी का संकल्प लेना, स्वच्छता अभियान चलाना, गांव में अन्न बैंक बनाना, कुपोषण को खत्म करना, गांव को गरीबी मुक्त करना और गांव में आपसी झगड़ों को मिल बैठकर सुलझाना आदि शामिल रहेंगे।
खास बात यह है कि इसके लिए सरकार द्वारा कोई राशि नहीं दी जाएगी , बल्कि यह काम जनता को खुद के संसाधनों से करने होंगे। इसे राज्य सरकार के नवाचार के साथ ही शून्य बजट पर विकास का रास्ता निकालने के रूपों में भी देखा जाने लगा है। यह काम हर गांव और शहर में गौरव दिवस मनाने के माध्यम से किया जाएगा। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने गृह ग्राम जैत से कर भी चुके हैं। इसके लिए  52 हजार गांवों का प्लान पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा तैयार किया जा चुका है , जबकि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भी शहरी इलाकों के लिए प्लान तैयार कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस मामले की पूरी जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 3 मार्च को सामूहिक रुप से जनप्रतिनिधियों और कलेक्टर-कमिश्नर को संबोधित कर दे सकते हैं।
इसी दौरान गौरव दिवस मनाने के पीछे सभी उद्देश्यों की जानकारी भी दी जाएगी। दरअसल यह पूरी कवायद विभागों द्वारा बार-बार बजट का दुखड़ा सुनाए जाने का तोड़ निकालने के लिए की जा रही है। सरकार द्वारा तय किया गया हर गांव और शहर का जन्म दिन गौरव दिवस के रुप में मनाया जाएगा। इसका आयोजन सभी गांवों में अगले माह करने के बाद 14 अप्रैल तक जिलों से रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी।
गौरव दिवस के दिन कैसे होंगे तय

नर्मदा नदी के किनारे बसने वाले गांव नर्मदा जयंती के दिन गौरव दिवस मना सकते हैं। इसी तरह गांव के गठन के दिनांक, देश या विदेश में गांव का नाम करने वाले व्यक्ति के जन्मदिन पर, ग्राम के विकास में अपना सर्वस्व लगाने वाले व्यक्ति के नाम पर भी गौरव दिवस का दिन तय किया जा सकता है। इसके अलावा हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहली तारीख  को, नए साल के पहले दिन, धार्मिक आयोजनों के दिन, किसी महापुरुष की जयंती पर और मप्र स्थापना दिवस पर भी गौरव दिवस मानने का निर्णय लिया जा सकता है। जिस तरह से शादी- ब्याह के लिए शुभ दिन देखे जाते हैं, उसी तरह गौरव दिवस के लिए भी शुभ दिन देखकर निर्णय लिए जा सकेंगे।
इस तरह के होंगे आयोजन
गौरव दिवस के दिन देश और विदेश में रह रहे गांव के लोगों को उनके खर्चे पर बुलाया जाएगा। उनका सम्मान होगा और गांव के विकास के लिए आर्थिक सहयोग की अपेक्षा भी की जाएगी। उन्हें कोई एक जिम्मेदारी भी दी जा सकती है जैसे कि स्कूल भवन का निर्माण कराना, आंगनबाड़ी केन्द्र और स्वास्थ्य केन्द्र भवन सहित अन्य निर्माण के कार्य ।  इससे न केवल जनमानस में सम्मान, स्नेह औरत्याग की भावना बढ़ेगी , बल्कि इन सब कार्यक्रमों, अभियानों और संकल्पों को पूरा करने में सरकार के खजाने पर भी कोई बोझ नहीं आएगा।जन भागीदारी से होगा… 52 हजार गांवों का विकास

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