
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। आबकारी महकमे द्वारा नए वित्त वर्ष के शराब ठेकों की नीलामी में ठेकेदारों द्वारा रुचि नहीं लेने की वजह से उन्हें लुभाने के लिए कई तरह के नए प्रावधान किए गए हैं। इनमें शराब ठेकों की शर्तों में फौरी तौर पर कुछ राहत दी गई है। इसके बाद अब एक बार फिर से कल यानि की 24 फरवरी को फिर से शराब ठेकों की नीलामी की जा रही है। दरअसल बड़े शराब ठेकेदारों में सबसे अधिक नाराजगी उनकी मोनोपॉली टूटने की वजह से बनी हुई है। वे अब भी शराब ठेकों का संचालन सिंडिकेट बनाकर करना चाहते हैं, लेकिन सरकार इसके लिए राजी नहीं है। सरकार ने अब नई शराब नीति में कुछ संशोधन कर ठेकेदारों को राहत दी है, जिसके बाद विभाग मानकर चल रहा है कि अगली एक दो नीलामी में शराब दुकानों के ठेके का काम पूरा हो जाएगा। संशोधन के तहत प्रदेश के 35 जिलों में शराब दुकानों के लिए अस्सी फीसदी की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। अब 70 फीसदी दुकानें उठने पर जिले को रिन्युअल मान लिया जाएगा। शेष रह गई दुकानों का लॉटरी के माध्यम से नीलाम किया जाएगा इसके बाद भी अगर दुकानों की नीलामी रह जाती है तो फिर उनकी नीलामी टेंडर के माध्यम से की जाएगी। इस संबंध में वाणिज्यक कर विभाग ने आदेश जारी कर दिये हैं। हालांकि सिंगल ग्रुप वाले 17 जिलों में यह प्रावधान लागू नहीं होगा। इन जिलों में ई-टेंडर के माध्यम से ही दुकानों की नीलामी की जाएगी। दरअसल आबकारी आयुक्त के द्वारा शासन को एक प्रस्ताव दिया गया था। जिसमें कहा गया था कि वर्ष 2022-23 के लिए नवीनीकरण के माध्यम से 80 प्रतिशत आरक्षित मूल्य की दुकानों का निष्पादन करने का प्रावधान रखा गया है लेकिन यह होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में नई आबकारी नीति में 80 प्रतिशत की सीमा को 70 प्रतिशत किया जाना उचित होगा। इस पर वाणिज्यक कर विभाग ने नई आबकारी नीति में संशोधन करते हुए 35 जिलों में संचालित मदिरा दुकानों के एकल समूहों पर वर्ष 22-23 के लिए निर्धारित आरक्षित मूल्य में निहित राजस्व के 70 प्रतिशत अथवा उससे अधिक राशि के आवेदन पत्र प्राप्त होने उसे रिन्युअल कर दिया जाएगा। शेष समूहों को ई-टेंडर के माध्यम से निराकृत किया जाएगा। दरअसल नई आबकारी नीति के तहत अगले वर्ष के लिए सरकार द्वारा बड़े समूहों का एकाधिकार खत्म कर छोटे-छोटे समूहों को शराब के ठेके कराए जाने से ग्राहकों को वाजिव दाम पर गुणवत्तायुक्त शराब मिल सकेगी।
सिंगल ग्रुप वाले जिले बन रहे मुसीबत
फिलहाल आबकारी महकमे के लिए सिंगल ग्रुप वाले 17 जिलों में शराब दुकानों की नीलामी विभाग के लिए बेहद मुसीबत बनी हुई है। इन जिलों में अब तक अफसरों को बेहद अधिक जद्दोजहद करनी पड़ी है , इसके बाद भी एक-दो जिलों को छोड़ कोई भी जिला अस्सी फीसदी नीलामी के आंकड़ें को नहीं छू पाया है। इसकी वजह है ठेकेदारों द्वारा नई आबकारी नीति के कई बिंदुओं के प्रावधान पसंद न आना। यही वजह है कि विभाग द्वारा इनमें संशोधन करते हुए कुछ राहत प्रदान की गई है। इसके तहत अब विभाग ने 85 फीसदी माल नहीं उठाने पर लगाई जा रही 5 फीसदी पेनाल्टी को कम करके एक फीसदी कर दिया है। यही नहीं ग्रुप में दुकान घाटे पर होने पर फायदे की दुकान से माल बेचने की भी छूट का प्रावधान कर दिया है।
सूबे के 17 जिलों में शराब दुकानों की नीलामी एक बार फिर से की जाएगी। हालांकि इसमें भी दुकानों के नीलाम होने की अच्छी उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इसकी वजह है अब भी ठेकेदार दी गई राहत से खुश नहीं हैं। ठेकेदार अब भी रिजर्व प्राइस और बैंक का गारंटी को अधिक बता र हे हैं। ठेकेदार दोनों को ही कम करने की मांग कर रहे हैं। ठेकेदारों का कहना है कि सरकार आज भी दस फीसदी तक रिजर्व प्राइस कम कर दे तो सभी ठेके उठ जाएंगे। अभी सरकार ने 25 फीसदी तक रिजर्व प्राइस बढ़ा दी है। जिससे दुकानें महंगी हो गई हैं। इसी तरह बैंक गारंटी 11 फीसदी की गई है। ऐसे में इसे कम करने या दो भाग में लेने की मांग ठेकेदार कर रहे हैं।
भोपाल में सिर्फ 11 ग्रुप ही हो सके नीलाम
मोनोपोली खत्म करने के लिए लाई गई नई शराब पॉलिसी के तहत भोपाल में शराब की दुकानों के 1057 करोड़ के 33 ग्रुप बनाए गए। जिसमें से 11 ग्रुप की दुकानों की ही नीलामी हो सकी है। इससे 318 करोड़ का राजस्व मिलेगा, आबकारी विभाग की नई नीति के आने के बाद पूरे प्रदेश में 12 हजार करोड़ से ज्यादा में शराब दुकानों के जाने का आंकलन था, लेकिन 60 फीसदी
ठेके ही नीलाम हो सके हैं।
सिंडिकेट के विरोध की वजह: सरकार द्वारा कंपनियों-गोदामों से माल (शराब) उठाने को लेकर लगाई गई पाबंदियां ठेकेदारों को रास नहीं आ रही हैं। इसी तरह से घोषित-अघोषित खर्चों को लेकर भी ठेकेदारों का विरोध है। वे कहते हैं कि मुनाफा कम होगा तो खर्च कैसे उठाएंगे। वे अंग्रेजी और देशी शराब एक साथ बेचने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे बिक्री पर असर पड़ेगा। इसी तरह से उनका विरोध 17 जिलों में समूह में ठेके पर दी जाने वाली दुकानों को लेकर भी है। इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, राजगढ़, बालाघाट, खंडवा, रीवा, उज्जैन, कटनी, सतना, भिंड, सागर, नीमच, मुरैना, शिवपुरी, छिंदवाड़ा और ग्वालियर जिलों में तीन-तीन दुकानों को समूह बनाकर ठेके दिए जा रहे हैं। इन जिलों में पहले एकल ठेके की व्यवस्था थी।