
- प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में ग्रीन बिजली बिल भेजकर कंपनियां बचाएंगी करोड़ों रुपए
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। अरबों रुपए के घाटे में चल रही बिजली कंपनियां अब पाई-पाई बचाने की कवायद में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में बिजली कंपनियां अब उपभोक्ताओं को ग्रीन बिल यानी एसएमएस, ईमेल और वॉट्सऐप नंबरों पर बिल भेजेगी। इससे कंपनियों का करोड़ों रुपया बचेगा।
जानकारी के अनुसार, मप्र में उपभोक्ताओं के घरों पर बिजली के जो बिल पहुंचते हैं, उस पर तीनों विद्युत वितरण कंपनियां हर साल करीब 10 करोड़ रुपए खर्च करती हैं। प्रदेश में हर माह एक करोड़ 30 हजार बिलों का वितरण होता है। ये कंपनियां पेपर लेस यानी ग्रीन बिल भेजकर हर साल इतनी राशि बचाने जा रही हैं। मई माह में जारी होने वाले अप्रैल के बिजली बिल एसएमएस, ईमेल और वॉट्सऐप नंबरों पर पीडीएफ भेजे जाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में दोनों व्यवस्था
बिजली कंपनियां फिलहाल शहरी क्षेत्रों में ही ग्रीन बिजली बिल देगी। ग्रामीण क्षेत्रों में दोनों तरह की व्यवस्था जारी रहेगी। ऊर्जा विभाग के आला अधिकारियों के अनुसार, ई-बिल देने से बिल जो कागज में प्रिंट करवाना पड़ता है, उसका खर्च और समय दोनों की बचत होगी। बड़े शहरों के उपभोक्ताओं को छोड़ दिया जाए तो बाकी के पास बिल पहुंचने में अभी 8-10 दिन का वक्त लगता है। पहले रीडिंग फिर बिल बांटने में दोहरा श्रम भी खर्च होता है, इसलिए व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है, ताकि उपभोक्ता को सीधे मोबाइल पर बिल उपलब्ध होगा, इससे बिल की राशि भी समय पर जमा हो सकेगी। चारों प्रमुख शहरों भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में यह व्यवस्था लागू हो रही है।
ग्रीन बिल का पहला राज्य मप्र
संभवत: मप्र देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां ग्रीन बिजली बिल की व्यवस्था लागू होगी। इधर, शुरुआती चरण में ग्रामीण क्षेत्रों में पेपर और डिजिटल बिल की व्यवस्था लागू रहेगी। बिजली कंपनियों के पास लाखों उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर नहीं हैं या जो नंबर हैं, वह बंद हो चुके हैं या बदल गए हैं, इसलिए अब बिजली कंपनियां इन मोबाइल नंबरों को अपडेट कर उसे बिलों से लिंक कर रही हैं। बिल की रीडिंग करने वाले कर्मचारी भी रीडिंग के साथ उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर अपडेट कर रहे हैं। प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग संजय दुबे का कहना है कि पेपरलेस बिजली बिल की व्यवस्था बचत से ज्यादा उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए लागू की जा रही है। उपभोक्ता अब तत्काल बिलों का भुगतान कर सकेंगे। बिलों की छपाई और वितरण पर हर माह 65 लाख रुपए खर्च होते हैं। उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबरों को बिलों से लिंक कराने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि शुरूआत में ग्रामीण क्षेत्रों में दो तरह के बिल की व्यवस्था जारी रहेगी।