35 फीसदी अधिक कीमतों में गई 6 जिलों में शराब दुकानें

शराब दुकानें

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में नए वित्त वर्ष के लिए शराब दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शुरूआती नीलामी में ही सरकार की नई नीति राजस्व आय को लेकर बेहद कारगर दिखना शुरू हो गई है। इसकी वजह है शराब ठेकों के पहले चरण में जिन आधा दर्जन जिलों में ठेकों की नीलामी की प्रक्रिया की गई है उन जिलों में मिली बोली तय की गई कीमत से भी 40 फीसदी तक अधिक मिली है। अगर पहले चरण में लगी बोली का औसत निकाला जाय तो रिजर्व राशि के मुकाबले औसतन अब तक 35 फीसदी अधिक की बोली लगाई गई है। इसकी वजह से प्रदेश सरकार को बीते साल की तुलना में डेढ़ गुना अधिक राजस्व मिलना तो तय ही माना जाने लगा है।
इन आधा दर्जन जिलों में अभी महज शराब दुकानों के लिए बनाए गए बड़े ग्रुपों के लिए बोली में ठेकदारों ने रुचि दिखाई है, जिसकी वजह से छोटे ग्रुपों वाली दुकानों की नीलामी होना शेष है। गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार ने इस बार महज 17 जिलों में तीन चरण में शराब दुकानों के टेंडर कराया जाना तय किया हुआ है। इसके तहत पहले चरण में इंदौर, जबलपुर, कटनी, सागर, बालाघाट और रीवा में शराब के ठेकों की नीलामी प्रक्रिया की गई है। पहले चरण के तहत की गई नीलामी में हालांकि रीवा और बालाघाट में 70 फीसदी ग्रुप और जबलपुर, कटनी, इंदौर, व सागर में 40 प्रतिशत ग्रुपों में ही ठेकेदारों ने रूचि दिखाई।
खास बात यह रही कि सभी ग्रुप रिजर्व प्राइस से अधिक दरों पर गये। इंदौर, और जबलपुर में जहां रिजर्व प्राइस से 40 फीसदी अधिक कीमत पर ग्रुप गये, वहीं रीवा और बालाघाट में यह आंकड़ा 35 से 40 प्रतिशत रहा। सागर और कटनी में रिजर्व प्राइस से 30 फीसदी अधिक कीमत पर ग्रुपों को ठेकेदारों ने लिया। अब इन जिलों की बची हुई दुकानों की नीलामी एक बार फिर से की जाएगी। दरअसल, प्रदेश के 17 जिलों में एक ही ग्रुप द्वारा अभी दुकानों का संचालन किया जा रहा है। जिसकी वजह से इन जिलों में ठेकेदारों द्वारा मोनोपॉली बनाकर शराब का विक्रय किया जा रहा है। इन जिलों में ठेकदारों द्वारा सिंडीकेट तैयार कर लिया गया था। इसकी वजह से सरकार ने नए साल के लिए इन जिलों में छोटे-छोटे ग्रुपों में ठेके कराने का निर्णय लिया है।
भोपाल में एक हजार करोड़ की रिजर्व प्राइस
भोपाल में शराब दुकानों के लिए कुल 33 ग्रुप बनाए गए हैं। इन दुकानों की नीलामी के लिए एक फरवरी से टेंडर लाइव किए जा चुके हैं। भोपाल में 11 फरवरी दोपहर एक बजे तक ऑनलाइन टेंडर जमा किए जा सकेंगे। इसी दिन दोपहर दो बजे से टेंडर खोलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विभाग ने भोपाल के 33 ग्रुप के लिए 1057 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस तय की है। चालू वित्त वर्ष में 780 करोड़ में सिंगल ग्रुप को ठेके दिये गये थे। हालांकि यह टेंडर दस माह के लिए ही किए गए थे।
किस चरण में कौन से जिलो में होंगे टेंडर: भोपाल सहित 17 जिलों में तीन चरणों में टेंडर प्रक्रिया पूरी की जानी है।  पहले चरण में इंदौर, बालाघाट, रीवा सागर जबलपुर और कटनी के लिए 7 फरवरी को टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है। दूसरे चरण में भोपाल सतना, शिवपुरी, खंडवा, भिंड और छिंदवाड़ा में 11 को नीलामी के लिए टेंडर प्रक्रिया की जाना है। तीसरे व अंतिम चरण में ग्वालियर, नीमच, उज्जैन ,राजगढ़ और मुरैना में 15 फरवरी को टेंडर खोले जाएंगे।
आठ जिले प्रभारियों के भरोसे
सागर जिले के शराब दुकानों को लेने में ठेकेदारों ने ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। इसके पीछे वहां नियमित जिला आबकारी अधिकारी की पदस्थापना न होना है। इसके अलावा देवास, अशोक नगर, श्योपुर, अनूपपुर, गुना और दतिया जिला भी अधिकारी विहीन चल रहे हैं। इसकी वजह है अधिकारियों की पदस्थापना का प्रस्ताव लंबे समय से मंत्रालय में लंबित होना हैं।
ठेकेदारों को नहीं भा रहे छोटे ग्रुप  
दरअसल नई आबकारी नीति के तहत आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए किये जा रहे टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नई नीति में किए गए प्रावधानों की वजह से ठेकेदार दुकानों के बड़े ग्रुप लेने में अधिक रूचि ले रहे हैं। यही वजह है कि इन बड़े ग्रुप के लिए बोली लगाने के लिए बड़ी संख्या में ठेकेदार आगे आए हैं। इंदौर में 26 मदिरा समूहों की कुल 69 मदिरा दुकानों के लिए 152 ई-टेंडर्स डाले गए हैं। इन टेंडरों से आरक्षित मूल्य से 18.58 फीसदी अधिक और मौजूदा वर्ष 2021- 22 के परिगणित वार्षिक मूल्य से 41.52 फीसदी अधिक राशि का आॅफर मिला है। है। इसी तरह जबलपुर में सभी बड़े ग्रुप की नीलामी हो गई है, जबकि छोटे ग्रुप रह गए हैं। इस जिले में रिजर्व प्राइस से 35 से 40 फीसदी अधिक राजस्व मिला। रीवा और बालाघाट में 70 फीसदी ग्रुप की नीलामी हो चुकी है। यहां पर भी छोटे ग्रुप रह गए हैं। इसी तरह से कटनी और सागर में भी हाल हैं।  
एक ही दुकान पर मिलेगी देशी व अंग्रेजी शराब
सरकार द्वारा नई आबकारी नीति में किए गए प्रावधान के तहत अब प्रदेश में देशी और अंग्रेजी शराब की बिक्री एक ही दुकान से की जाएगी। इसकी वजह से देशी दुकानों को लेने में ठेकेदारों में होड़ देखी जा रही है। इस बार प्रदेश में 11 डिस्टलरी के जिलों में सप्लाई के लिए टेंडर जारी नहीं होंगे। ऐसे में सभी 11 डिस्टलरी को सभी संभागों में विदेशी शराब की तरह ही गोदामों में शराब रखना अनिवार्य किया गया है। वहां से ठेकेदार शराब की क्वालिटी और कीमत का अध्ययन कर शराब अपनी दुकानों के लिए खरीदेंगे।

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